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ऑनलाइन क्लास में यूनिफॉर्म पहनने का फरमान, पैरेंट्स बोले- 'कोरोना में जेब खाली, खर्चा कैसे उठाएं' - private schools fees in raipur

कोरोना संक्रमण के कारण स्कूल बंद होने से इसका प्रभाव पूरे राज्य के छात्र-छात्राओं की पढ़ाई पर पड़ा है. छत्तीसगढ़ में अधिकांश इलाके ऐसे हैं जहां ऑनलाइन क्लास के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं. जिस वजह से उनकी पढ़ाई बेहद प्रभावित हुई है. जिसको ऑनलाइन क्लास मिल रही है उनके लिए अब यूनिफार्म पहनकर क्लास करने का नया आदेश जारी हुआ है.

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ऑनलाइन क्लास
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Published : Jul 17, 2021, 7:29 PM IST

रायपुर: कोरोना संक्रमण (Corona Virus) के खतरे के मद्देनजर करीब एक साल से स्कूल बंद हैं. छात्र-छात्राओं को ऑनलाइन क्लास दी जा रही है. इस बीच राजधानी के कुछ निजी स्कूलों ने ऑनलाइन क्लास में बच्चों की स्कूल यूनिफॉर्म के साथ उपस्थिति अनिवार्य कर दी है और इसके आदेश भी जारी कर दिए हैं.

ऑनलाइन क्लास में यूनिफॉर्म पहनने का फरमान

अभिभावकों को फैसले पर आपत्ति

प्राइवेट स्कूलों के आदेश के बाद कई अभिभावकों ने इस फैसले पर आपत्ति जताई है. ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने कहा कि स्कूल प्रबंधन को पढ़ाई पर ध्यान देने की जरूरत है. रायपुर के रहने वाले दीपक बावनकर कहते हैं कि कोरोना संक्रमण से बहुत लोगों का काम प्रभावित हुआ है. कई लोगों की नौकरियां चली गई हैं. लोग आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं और ऐसे में यूनिफॉर्म का वह खर्चा कहां से उठा पाएंगे. उन्होंने कहा कि एक बच्चे के लिए ड्रेस की कीमत लगभग एक हजार रुपए तक होती है. अभिभावक आपदा के इस दौर में ये सब कहां से मैनेज करेंगे.

पेरेंट्स फैसले से नाखुश

राजधानी के अधिकांश पेरेंट्स संक्रमण के दौर में अपने बच्चों की बढ़ाई को लेकर चिंतित हैं. रायपुर के अरुण गोलछा को घर पर बच्चों को स्कूल ड्रेस पहनाकर ऑनलाइन पढ़ाई करवाना अटपटा सा लगता है. वह कहते हैं कि घर पर यूनिफॉर्म पहनकर क्लास करना बच्चों को अजीब लगेगा. उन्होंने कहा कि ऑनलाइन क्लास के दौरान सभी बच्चे एक दूसरे से जुड़े होते हैं. बच्चों को नाइट ड्रेस या अन्य घरेलू कपड़े पहनकर ऑनलाइन क्लास नहीं करनी चाहिए बल्कि शर्ट-पैंट पहनाकर शालीनता से क्लास अटेंड करवाना चाहिए.

उन्होंने आगे कहा कि कोरोना काल में हर चीज ऑनलाइन हो गई है. स्कूल वाले इस वजह से ही ऑनलाइन क्लास में ड्रेस पहनकर बैठने को बोल रहे हैं. लेकिन बच्चे मानने के लिए तैयार नहीं है. इसमें कुछ संसोधन करना चाहिए.

ऑनलाइन क्लास बनी मुसीबत, नेटवर्क की तलाश में बेटी को लेकर घूम रहा पिता

स्कूल बंद होने से ड्रेस बनाने का काम करने वाले व्यापारियों के व्यवसाय पर भी कोरोना काल में बुरा प्रभाव पड़ा है. संक्रमण के दौर में खस्ता हुई व्यापार के हालातों पर व्यापारी प्रकाश मखीजा ने कहा कि वह निजी स्कूलों के अलावा बहुत से सरकारी स्कूलों की ड्रेस बेचते हैं, लेकिन पिछले 2 साल से लॉकडाउन की वजह से हालात ठीक नहीं हैं. उनके लिए रोजगार कर पाना मुश्किल हो गया है. उन्होंने कहा कि उनके सामने अब कमजोर आर्थिक हालातों में परिवार चलाने की चुनौती है.

कैसे हुआ लाखों का नुकसान?

प्रकाश मखीजा की तरह ही शहर के अन्य व्यापारियों के भी कुछ ऐसे ही हालात हैं. व्यापारियों ने शासन से स्कूल खोलने की मांग की है. व्यापारी प्रकाश मखीजा ने कहा कि वह मोनेट, संजेवियर्स, सालेम और सचदेवा समेत कई स्कूलों को यूनिफॉर्म उपलब्ध कराते हैं. वह हर वर्ष केवल ड्रेस बेचकर ही करीब 40 लाख का व्यापार करते थे, लेकिन लॉकडाउन की वजह से उनका लाखों रुपए का नुकसान हो गया है.

क्या बनेगा इससे पढ़ाई का माहौल ?

यूनिफॉर्म पहनकर ऑनलाइन क्लास आयोजित करने को लेकर शिवजी इंग्लिश मीडियम स्कूल के संचालक मुकेश शाह का कहना है कि पहले क्लास के दौरान बच्चे यूनिफार्म में ही आते थे. इससे सभी में एकरूपता रहती थी. बच्चों में पढ़ाई का माहौल बना रहता था. उन्होंने कहा कि पिछले साल हमने यूनिफार्म को अनिवार्य नहीं किया था. इस वर्ष भी नहीं किया है. पिछले साल ऑनलाइन क्लास के दौरान बच्चे किसी भी स्थिति में ऑनलाइन क्लास में बैठ जाते थे, जिसके कारण पढ़ाई के लिए अनुशासन नहीं बन पाता था. उन्होंने कहा कि कई पेरेंट्स की डिमांड थी कि बच्चों को यूनिफॉर्म पहनकर ऑनलाइन क्लास में बैठने के लिए कहा जाए ताकि क्लास में पढ़ाई का माहौल बन सके. इसलिए हमने इस साल बच्चों को कहा है कि यदि हो सके तो ऑनलाइन क्लास के दौरान यूनिफॉर्म में बैठे.

रायपुर: कोरोना संक्रमण (Corona Virus) के खतरे के मद्देनजर करीब एक साल से स्कूल बंद हैं. छात्र-छात्राओं को ऑनलाइन क्लास दी जा रही है. इस बीच राजधानी के कुछ निजी स्कूलों ने ऑनलाइन क्लास में बच्चों की स्कूल यूनिफॉर्म के साथ उपस्थिति अनिवार्य कर दी है और इसके आदेश भी जारी कर दिए हैं.

ऑनलाइन क्लास में यूनिफॉर्म पहनने का फरमान

अभिभावकों को फैसले पर आपत्ति

प्राइवेट स्कूलों के आदेश के बाद कई अभिभावकों ने इस फैसले पर आपत्ति जताई है. ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने कहा कि स्कूल प्रबंधन को पढ़ाई पर ध्यान देने की जरूरत है. रायपुर के रहने वाले दीपक बावनकर कहते हैं कि कोरोना संक्रमण से बहुत लोगों का काम प्रभावित हुआ है. कई लोगों की नौकरियां चली गई हैं. लोग आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं और ऐसे में यूनिफॉर्म का वह खर्चा कहां से उठा पाएंगे. उन्होंने कहा कि एक बच्चे के लिए ड्रेस की कीमत लगभग एक हजार रुपए तक होती है. अभिभावक आपदा के इस दौर में ये सब कहां से मैनेज करेंगे.

पेरेंट्स फैसले से नाखुश

राजधानी के अधिकांश पेरेंट्स संक्रमण के दौर में अपने बच्चों की बढ़ाई को लेकर चिंतित हैं. रायपुर के अरुण गोलछा को घर पर बच्चों को स्कूल ड्रेस पहनाकर ऑनलाइन पढ़ाई करवाना अटपटा सा लगता है. वह कहते हैं कि घर पर यूनिफॉर्म पहनकर क्लास करना बच्चों को अजीब लगेगा. उन्होंने कहा कि ऑनलाइन क्लास के दौरान सभी बच्चे एक दूसरे से जुड़े होते हैं. बच्चों को नाइट ड्रेस या अन्य घरेलू कपड़े पहनकर ऑनलाइन क्लास नहीं करनी चाहिए बल्कि शर्ट-पैंट पहनाकर शालीनता से क्लास अटेंड करवाना चाहिए.

उन्होंने आगे कहा कि कोरोना काल में हर चीज ऑनलाइन हो गई है. स्कूल वाले इस वजह से ही ऑनलाइन क्लास में ड्रेस पहनकर बैठने को बोल रहे हैं. लेकिन बच्चे मानने के लिए तैयार नहीं है. इसमें कुछ संसोधन करना चाहिए.

ऑनलाइन क्लास बनी मुसीबत, नेटवर्क की तलाश में बेटी को लेकर घूम रहा पिता

स्कूल बंद होने से ड्रेस बनाने का काम करने वाले व्यापारियों के व्यवसाय पर भी कोरोना काल में बुरा प्रभाव पड़ा है. संक्रमण के दौर में खस्ता हुई व्यापार के हालातों पर व्यापारी प्रकाश मखीजा ने कहा कि वह निजी स्कूलों के अलावा बहुत से सरकारी स्कूलों की ड्रेस बेचते हैं, लेकिन पिछले 2 साल से लॉकडाउन की वजह से हालात ठीक नहीं हैं. उनके लिए रोजगार कर पाना मुश्किल हो गया है. उन्होंने कहा कि उनके सामने अब कमजोर आर्थिक हालातों में परिवार चलाने की चुनौती है.

कैसे हुआ लाखों का नुकसान?

प्रकाश मखीजा की तरह ही शहर के अन्य व्यापारियों के भी कुछ ऐसे ही हालात हैं. व्यापारियों ने शासन से स्कूल खोलने की मांग की है. व्यापारी प्रकाश मखीजा ने कहा कि वह मोनेट, संजेवियर्स, सालेम और सचदेवा समेत कई स्कूलों को यूनिफॉर्म उपलब्ध कराते हैं. वह हर वर्ष केवल ड्रेस बेचकर ही करीब 40 लाख का व्यापार करते थे, लेकिन लॉकडाउन की वजह से उनका लाखों रुपए का नुकसान हो गया है.

क्या बनेगा इससे पढ़ाई का माहौल ?

यूनिफॉर्म पहनकर ऑनलाइन क्लास आयोजित करने को लेकर शिवजी इंग्लिश मीडियम स्कूल के संचालक मुकेश शाह का कहना है कि पहले क्लास के दौरान बच्चे यूनिफार्म में ही आते थे. इससे सभी में एकरूपता रहती थी. बच्चों में पढ़ाई का माहौल बना रहता था. उन्होंने कहा कि पिछले साल हमने यूनिफार्म को अनिवार्य नहीं किया था. इस वर्ष भी नहीं किया है. पिछले साल ऑनलाइन क्लास के दौरान बच्चे किसी भी स्थिति में ऑनलाइन क्लास में बैठ जाते थे, जिसके कारण पढ़ाई के लिए अनुशासन नहीं बन पाता था. उन्होंने कहा कि कई पेरेंट्स की डिमांड थी कि बच्चों को यूनिफॉर्म पहनकर ऑनलाइन क्लास में बैठने के लिए कहा जाए ताकि क्लास में पढ़ाई का माहौल बन सके. इसलिए हमने इस साल बच्चों को कहा है कि यदि हो सके तो ऑनलाइन क्लास के दौरान यूनिफॉर्म में बैठे.

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