रायपुर: जिले में शिक्षा के अधिकार (Right TO Education) के तहत गड़बड़ी का मामला सामने आया है. विद्यार्थियों की संख्या ज्यादा बताकर प्राइवेट स्कूल द्वारा करोड़ों रुपए का गोलमाल किया गया है. जिला शिक्षा अधिकारी (District Education Officer) द्वारा रुटीन निरीक्षण के दौरान यह बड़ी गड़बड़ी सामने आई है.
बता दें कि 2014-15 से कुछ स्कूलों में हो रही 80 सीटों की गड़बड़ी में यह खुलासा हुआ. जिसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा 22 प्राइवेट स्कूलों को कारण बताओ नोटिस (Show Cause Notice) जारी किया गया है. इसके साथ ही जांच प्रक्रिया जारी है. जांच में दोषी पाए जाने वाले स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात भी कही जा रही है.
एक बच्चे पर वार्षिक खर्च कुल 7,000 रुपए
शिक्षा के अधिकार के अंतर्गत जिन बच्चों के एडमिशन प्राइवेट स्कूल (Private School) में होते हैं. उनकी पढ़ाई का पूरा खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाता है और निजी स्कूलों को 1 बच्चे के पढ़ाई का खर्च सरकार 7,000 रुपए सालाना सरकार देती है. लेकिन अधिकारियों और निजी स्कूल की मिलीभगत के बाद स्कूल में आरटीई के ज्यादा बच्चे पढ़ने की जानकारी देकर ज्यादा राशि ली गई.
सत्र 2014-15 में हुआ गोलमाल
जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा जारी किए गए नोटिस में कहा गया है कि स्कूलों द्वारा सत्र 2014-15 से सीटों की संख्या बढ़ाकर आरटीई के तहत प्रवेश के लिए ज्यादा सीटें दर्शाइ गई है. आरटीई के तहत निजी स्कूलों में 25 फीसदी छात्रों को लेना होता है लेकिन यहां जांच में पाया गया है कि जिन स्कूलों द्वारा कुल सीटें दर्शाई गई है.
उस संख्या के अनुसार विद्यार्थियों का प्रवेश नहीं हुआ है. इसके कारण राइट टू एजुकेशन के तहत प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या उस कक्षा में कुल प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की तुलना में 25 फीसदी से अधिक है. गड़बड़ी के बाद शिक्षा अधिकारी एएन बंजारा (Education Officer AN Banjara) ने 22 स्कूलों को को नोटिस जारी किया है. इसके साथ ही संबंधित स्कूलों के नोडल अधिकारियों को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.
क्या कहते हैं राजीव गुप्ता ?
प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता (Rajeev Gupta, President of Private School Management Association) का कहना है कि इस प्रकरण में तीन बातें निकल कर सामने आ रही है. निर्धारित सीट से ज्यादा बच्चों का प्रवेश हुआ है. इसके अलावा प्राइवेट स्कूलों ने ड्रॉप आउट बच्चों की राशि ली है. इसके साथ ही आरटीई के तहत प्रवेश के लिए एंट्री प्वाइंट एक ही कक्षा होनी चाहिए, लेकिन 2 कक्षाओं को Entry Point बनाकर प्रवेश लिया गया. वहीं स्कूल द्वारा वास्तविक फीस बढ़ाकर बताया गया है.
इसके अलावा 20 से 22 स्कूलों के 1 सरकारी नोडल अधिकारी होते हैं. ये सारी जानकारी नोडल के पास होती है. लेकिन 2014-15 से आरटीई की राशि में जो फर्जीवाड़ा हो रहा है. इसमें निजी स्कूल के साथ सरकारी अधिकारी भी शामिल हैं.
एसोसिएशन ने जारी किया सर्कल
गुप्ता ने बताया कि प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन द्वारा प्रदेश में एक सर्कुलर जारी किया है. आरटीई के तरह जो राशि गरीब बच्चों के पढ़ाई के लिए आती है, उन राशि का घोटाला करना गलत है. अगर ऐसा कोई भी निजी स्कूल करते हुए पाया जाता है तो उसके साथ एसोसिएशन खड़ा नहीं रहेगा.
मिलीभगत से हुआ काम
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने साफ तौर पर इसे मिलीभगत बताया. उन्होंने कहा है कि निजी स्कूल के संचालक सरकार के अधिकारी से मिले हुए हैं. उनके बगैर ऐसा नहीं हो सकता. क्योंकि आरटीई की प्रकिया ऑनलाइन होती है और उन सभी चीजों का वेरिफिकेशन नोडल अधिकारी के द्वारा किया जाता है.
22 स्कूलों को जारी हुआ नोटिस
वहीं जिला शिक्षा अधिकारी एएन बंजारा का कहना है कि, समय-समय पर सरकारी स्कूल और निजी स्कूलों की जांच होती है. जांच के बाद जो कमी पाई जाती है उन्हें नोटिस जारी किया जाता है. अगर खामियां पाई जाती है तो नियम संगत कार्रवाई होती है.
उन्होंने बताया कि सभी स्कूलों की जांच करवाई गई थी. जिसमें 22 स्कूल को उन्होंने नोटिस जारी किया है. इसके साथ ही जिन स्कूलों में खामियां पाई गई, उन्हें नोटिस दिया जा रहा है. निजी स्कूल के अलावा नोडल अधिकारियों को भी नोटिस जारी किया गया है. जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.
राइट टू एजुकेशन में कैसे हो रहा गोलमाल ?
राइट टू एजुकेशन के तहत निजी स्कूलों में कुल सीट की 25 फीसदी सीटें आरटीई के लिए आरक्षित होती है. किसी स्कूल में 100 सीटें हैं. इनमें से 25 सीटें राइट टू एजुकेशन के तहत आरक्षित होती हैं. स्कूल द्वारा सीटें बढ़ाकर बताई गई. लेकिन स्कूल प्रबंधक द्वारा जिन बच्चों के एडमिशन होने थे. उनमें प्रवेश ही नहीं हो पाया. आरटीई के तहत सीटें लगभग भर जाती है. लेकिन यह सिर्फ कागजों पर होता है.