रायपुर: सावन शुरू होने के पहले ही बाबा अमरनाथ यात्रा की शुरुआत हो जाती है. ये यात्रा पूरे सावन भर चलती रहती है. साल 2023 में 2 सावन पड़ रहा है. पूरे 2 महीने तक सावन रहेगा. सावन का महीना 4 जुलाई से शुरू होकर 31 अगस्त तक रहेगा.
अमरनाथ यात्रा की शुरुआत: एक जुलाई से अमरनाथ यात्रा की शुरुआत हो रही है. ये यात्रा 31 अगस्त चलेगी. साल 2023 में बाबा अमरनाथ की यात्रा 62 दिनों की होगी. अमरनाथ यात्रा की कथा का वर्णन पुराणों में है. अमरनाथ की ऐतिहासिक कथा है. ये कथा भगवान भोलेनाथ ने सावन माह में ही माता पार्वती को सुनाया था.अमरनाथ धाम को बाबा बर्फानी के नाम से भी जाना जाता है. इस बारे में ईटीवी भारत ने पंडित मनोज शुक्ला से बातचीत की. उन्होंने अमरनाथ कथा और उससे जुड़ी कई अहम जानकारी दिए.
बाबा अमरनाथ कथा के बारे में जानिए : अमरनाथ यात्रा के पीछे ऐतिहासिक कथा है. जिसमें माता पार्वती भगवान भोलेनाथ से निवेदन करती है कि, आपके गले में जो मुंड की माला है, वह किसकी है. आप मुझको बताइए. इसके बाद भगवान भोलेनाथ, माता पार्वती को बताते हैं कि "हे पार्वती जब-जब यहां जन्म लेकर आए उसके बाद यहां की लीला समाप्त करके वापस आप विलीन हुए. तब-तब हर बार में आपकी खोपड़ी अपने गले में धारण कर लेता हूं. फिर माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ से पूछा कि ऐसा क्या कारण है कि मैं बार-बार मर जाती हूं और आप अमर रहते हैं. इसके पीछे क्या कारण हैं. आप मुझे बताइए, इसके बाद भगवान भोलेनाथ पार्वती को बताते हैं कि, मैंने अमर कथा का पान किया है.
"अमरनाथ यात्रा के दौरान पहाड़ी रास्ता से गुजरना पड़ता है. इस दौरान काफी कठिनाइयां सामने आती है. बाबा अमरनाथ तक पहुंचने के लिए खच्चर, घोड़ा, हेलीकॉप्टर और पालकी का सहारा लेकर लोग अमरनाथ तक की यात्रा करते हैं. अमरनाथ धाम की यात्रा में भारत ही नहीं बल्कि विदेशी भी शामिल होते हैं. इस दौरान बर्फ से बने भगवाने भोलेनाथ का सभी दर्शन करते हैं." -पंडित मनोज शुक्ला
माता पार्वती ने सुनी कथा: इसके बाद माता पार्वती भगवान भोलेनाथ से निवेदन करती हैं कि, मुझे भी अमर कथा सुनना है. ताकि मैं भी अमर हो सकूं. माता पार्वती के निवेदन के बाद भगवान भोलेनाथ एकांत स्थल की तलाश में निकलते हैं. जब भगवान भोलेनाथ कैलाश मानसरोवर से और आगे ऊपर की पहाड़ी में जाते हैं, उस समय भगवान भोलेनाथ एक-एक करके अपने सवारी और साथी को रास्ते में छोड़ कर चले जाते हैं. नाग, गणेश इत्यादि को छोड़ते हुए माता पार्वती के साथ आगे बढ़ते जाते हैं. ताकि अमर कथा का श्रवण पार्वती को करा सकें. भोलेनाथ अमरनाथ यात्रा करते समय जम्मू के आगे पहलगाम से आगे बढ़ते हैं. यहां शेषनाग झील है, आगे गणेश पर्वत है फिर भगवान भोलेनाथ की सवारी नंदी का क्षेत्र है. अमरनाथ ही वह जगह है, जहां पर भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती का बर्फ का श्री विग्रह बनता है. यह वही जगह है, जहां पर भगवान भोलेनाथ जी ने माता पार्वती को अमर कथा सुनाई थी.