रायपुर: भगवान शिव को समर्पित सावन महीना शिवभक्तों के लिए बेहद प्रिय महीना माना जाता है. पवित्र सावन महीने में आने वाली शिवरात्रि को भी अत्यधिक शुभ माना गया है और इस साल सावन की शिवरात्रि शुक्रवार यानी 6 अगस्त को है. इस दिन वज्र और पदम योग का सुंदर संयोग बन रहा है. दिनभर मिथुन राशि में चंद्रमा विराजमान रहेगा और मध्य रात्रि से चंद्रमा स्वयं की राशि में अर्थात कर्क में विराजमान रहेंगे.
क्यों खास है सावन की शिवरात्रि
श्रावण माह में आने वाली शिवरात्रि को सावन शिवरात्रि या श्रावण शिवरात्रि कहते हैं. हालांकि पूरा सावन भगवान शिव को समर्पित हैं, लेकिन इस माह की शिवरात्रि का विशेष महत्व माना जाता है. इस दिन शिवरात्रि व्रत का विशेष महत्व है. मान्यता है कि फाल्गुन महाशिवरात्रि के दिन अनादि शंकर महाराज का विवाह माता पार्वती के साथ हुआ था. उसके बाद से ही सावन के इस पवित्र महाशिवरात्रि का विशष महत्व है.
सावन शिवरात्रि पूजा विधि
सावन मास की शिवरात्रि के दिन भगवान शिव को मलयाचल के चंदन, कुमकुम, पंचामृत, अबीर, परिमल, दुग्ध, जल, राख और भस्म का अभिषेक किया जाता है. इस शिवरात्रि पर बेलपत्र, धतूरा, आक, शमीपत्र, दूब का अभिषेक करने से भोलेनाथ बहुत प्रसन्न होते हैं.
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व्रत के दिन इन बातों का रखें ख्याल
मान्यता है कि सावन की शिवरात्रि का व्रत करने से भगवान शिव-पार्वती दोनों ही प्रसन्न होते हैं. निशीथ काल 12:06 से रात्रि 12:48 तक विशेष शुभ माना गया है. इस समय भगवान की आराधना साधना आरती और घी के दीपक का निरंजन बहुत ही विशेष फलदाई माना गया है. इस व्रत को निराहार करना चाहिए. बच्चे, बूढ़े, जवान सभी इस व्रत को कर सकते हैं.
'ओम नमः शिवाय; मंत्र का जाप
विशेष रूप से कुंवारी कन्याएं श्रावण महीने में इस व्रत को करती हैं तो उन्हें भगवान शिव अपने ही जैसे दुर्लभ गुणों से युक्त पति की प्राप्ति कराने में सहायक होते हैं. भगवान शिव को नर्मदा, गंगा, कावेरी, गोदावरी और प्रयाग के जल से अभिषेक करने पर उनका आशीष भक्तों को जल्द ही प्राप्त होता है. सावन की शिवरात्रि के दिन भगवान शिव को साबूत चावल चढ़ाया जाना चाहिए. यह चावल टूटे खंडित बिल्कुल भी ना हो. 'ओम नमः शिवाय' का मंत्र जाप करते हुए भगवान शिव को बेलपत्र, जलाभिषेक, दुग्ध अभिषेक, शर्करा अभिषेक करना बहुत ही उत्तम फलदाई माना गया है.