रायपुर: रायपुर के प्राचीन मंदिरों में से एक है हटकेश्वरनाथ धाम. ये मंदिर काफी पुराना है. रायपुर स्थित खारून नदी के तट पर बने इस मंदिर से भक्तों की आस्था जुड़ी हुई है. इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए श्रद्धालु महाशिवरात्रि, पुन्नी मेला और सावन के महीने में पहुंचते हैं. इस बार 2 माह का सावन होने के कारण 8 सावन की सोमवारी पड़ेगी. सावन के सोमवार में इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ का विशेष श्रृंगार किया जाएगा. शनिवार, रविवार और सोमवार को भक्तों की भारी भीड़ रहती है. सावन माह में भक्तों की भीड़ होने के कारण मंदिर परिसर में पुलिस को सुरक्षा व्यवस्था में लगाया जाता है.
4 जुलाई से 31 अगस्त तक सावन: इस बार सावन का महीना 4 जुलाई से शुरू होकर 31 अगस्त तक रहेगा. सावन का महीना 2 बार होने की वजह से भक्त भगवान भोलेनाथ की पूजा आराधना 2 महीने तक कर सकेंगे. शिवालयों में भीड़ अन्य दिनों की तुलना में सोमवार को अधिक देखने को मिलेगी. इसके साथ ही मंदिर में भक्तों की एंट्री मेन गेट से होगी. दर्शन के बाद भक्त दक्षिण द्वार पर स्थित पिछले वाले गेट से बाहर निकल सकेंगे.
"हटकेश्वरनाथ का यह मंदिर काफी प्राचीन मंदिर है. रायपुर के आसपास के साथ ही दूर-दराज से भी भक्त सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ के दर्शन लिये पहुंचते हैं. सावन की शुरुआत होते ही भोलेनाथ के दर्शन के लिए लंबी लाइन लगी रहती है. सावन के महीने में यहां पर जो रौनक देखने को मिलती है. वह शायद ही कहीं मिलती होगी. कांवड़ियों के लिए भी यहां खास व्यवस्था है." - प्रताप राजपुरोहित, श्रद्धालु
"2 महीने का सावन होने के कारण इस बार 8 सोमवार पड़ रहे हैं. इस आठ सोमवार में भगवान भोलेनाथ का भव्य शृंगार किया जाएगा. इसके साथ ही भक्तों और श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का भी आयोजन किया जाएगा. शनिवार, रविवार और सोमवार के दिन भक्तों की भीड़ अधिक होने के कारण भगवान भोलेनाथ को जल अर्पित करने के लिए गर्भ गृह के दरवाजे के पास अरघा लगाकर जल अर्पित किया जाता है." -सुरेश गिरी गोस्वामी, पुजारी, हटकेश्वरनाथ मंदिर
राजा ब्रह्मदेव ने कराया था निर्माण: इस प्राचीन मंदिर के इतिहास पर गौर करें तो इस मंदिर का निर्माण सन 1402 में राजा ब्रह्मदेव ने किया था. उस समय हैययवंशी राजाओं का शासन काल था. ऐसी मान्यता है कि राजा ब्रह्मदेव शिकार पर निकले थे. तभी रायपुर के पास उनके घोड़े को चोट लगी और वह घोड़ा गिर गया, जिसके बाद उस स्थल से घास-फूस और सूखी लकड़ियों को हटाकर देखा गया तो वहां पर स्वयंभू शिवलिंग के दर्शन राजा ब्रह्मदेव को हुआ. राजा ने खारून नदी से जल लाकर शिवलिंग को अर्पित किया और भगवान से प्रार्थना की कि उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हो. अगर उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी तो वह इस मंदिर का निर्माण कराएंगे. पुत्र प्राप्ति के बाद राजा ने इस मंदिर का निर्माण कराया. हटकेश्वरनाथ धाम रायपुर के खारून नदी के तट पर है, जिसे लोग वर्तमान में महादेव घाट मंदिर के नाम से जानते हैं.