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Sankashti Chaturthi: संकष्टी चतुर्थी के व्रत से मिलती है भगवान गणेश की असीम कृपा

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Published : Feb 27, 2023, 11:36 AM IST

चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश का दिन माना जाता है और इसलिए इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है. हालांकि, हर चंद्र मास में दो चतुर्थी तिथियां होती हैं. पहली जो अमावस्या के बाद आती है उसे विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है और दूसरी जो पूर्णिमा के बाद आती है उसे संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है.When is Sankashti Chaturthi in March

sankasti chaturthi 11 march
संकष्टी चतुर्थी

रायपुर: द्विजप्रिय संकष्टी गणेश चतुर्थी फाल्गुन या माघ के महीने में पड़ती है. मार्च के महीने में संकष्टी चतुर्थी 11 तारीख को पड़ रही है. इस दिन को भगवान गणेश की आराधना के लिए समर्पित करते हैं. कुछ अनुयायी कठोर उपवास रखते हैं, जबकि अन्य आंशिक उपवास रखते हैं. आंशिक उपवास रखते हुए भक्त फल, सब्जियां और पौधों की जड़ें फलाहार के रूप में ले सकते हैं. इस दिन मूंगफली, आलू और साबूदाने की खिचड़ी भी कुछ प्रमुख फलाहार हैं.शाम को चंद्रमा को देखने के बाद संकष्टी पूजा की जाती है.शाम को भगवान गणेश की पूजा करने और चंद्रमा के दर्शन करने के बाद व्रत तोड़ा जाता है.इस दिन मोदक बनाए जाते हैं क्योंकि यह भगवान गणेश का पसंदीदा भोजन है.

भगवान गणेश करते हैंं हर दुख को दूर: जो व्यक्ति संकष्टी चतुर्थी का व्रत करना चाहता है उसे प्रात: काल अर्थात ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए. फिर उन्हें व्रत रखने का संकल्प लेना चाहिए और फिर भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए. पूजा के दौरान फूल, अगरबत्ती, मिठाई आदि चढ़ा सकते हैं. भगवान गणेश, जिन्हें विनायक के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व रखते हैं. उन्हें विघ्नहर्ता माना जाता है और किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले भगवान की पूजा करना शुभ माना जाता है.

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संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि: पूजा के दौरान भगवान गणेश की प्रतिमा को फूलों से सजाया जाता है. मूर्ति के सामने दीपक भी जलाया जाता है. इसके बाद भक्त संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा पढ़ते हैं. शाम को चंद्रमा को देखने के बाद संकष्टी पूजा की जाती है. शाम को भगवान गणेश की पूजा करने और चंद्रमा के दर्शन करने के बाद व्रत तोड़ा जाता है.

रायपुर: द्विजप्रिय संकष्टी गणेश चतुर्थी फाल्गुन या माघ के महीने में पड़ती है. मार्च के महीने में संकष्टी चतुर्थी 11 तारीख को पड़ रही है. इस दिन को भगवान गणेश की आराधना के लिए समर्पित करते हैं. कुछ अनुयायी कठोर उपवास रखते हैं, जबकि अन्य आंशिक उपवास रखते हैं. आंशिक उपवास रखते हुए भक्त फल, सब्जियां और पौधों की जड़ें फलाहार के रूप में ले सकते हैं. इस दिन मूंगफली, आलू और साबूदाने की खिचड़ी भी कुछ प्रमुख फलाहार हैं.शाम को चंद्रमा को देखने के बाद संकष्टी पूजा की जाती है.शाम को भगवान गणेश की पूजा करने और चंद्रमा के दर्शन करने के बाद व्रत तोड़ा जाता है.इस दिन मोदक बनाए जाते हैं क्योंकि यह भगवान गणेश का पसंदीदा भोजन है.

भगवान गणेश करते हैंं हर दुख को दूर: जो व्यक्ति संकष्टी चतुर्थी का व्रत करना चाहता है उसे प्रात: काल अर्थात ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए. फिर उन्हें व्रत रखने का संकल्प लेना चाहिए और फिर भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए. पूजा के दौरान फूल, अगरबत्ती, मिठाई आदि चढ़ा सकते हैं. भगवान गणेश, जिन्हें विनायक के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व रखते हैं. उन्हें विघ्नहर्ता माना जाता है और किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले भगवान की पूजा करना शुभ माना जाता है.

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संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि: पूजा के दौरान भगवान गणेश की प्रतिमा को फूलों से सजाया जाता है. मूर्ति के सामने दीपक भी जलाया जाता है. इसके बाद भक्त संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा पढ़ते हैं. शाम को चंद्रमा को देखने के बाद संकष्टी पूजा की जाती है. शाम को भगवान गणेश की पूजा करने और चंद्रमा के दर्शन करने के बाद व्रत तोड़ा जाता है.

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