ETV Bharat / state

संकष्टी चतुर्थी 2022 : हस्त नक्षत्र और शूल योग में संकष्टी चतुर्थी का पर्व, ऐसे करें गणपति की पूजा

author img

By

Published : Feb 17, 2022, 3:40 PM IST

Updated : Feb 17, 2022, 11:24 PM IST

संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा (Worship of Ganpati on Sankashti Chaturthi) अर्चना की जाती है. इस बार संकष्टी चतुर्थी हस्त नक्षत्र और शूल योग (Hasta Nakshatra and Shool Yoga) में पड़ रहा है. संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा अर्चना करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है.

Worship of Ganpati on Sankashti Chaturthi
संकष्टी चतुर्थी पर गणपति की पूजा

रायपुर: ओम श्री गणेशाय नमः सनातन समय से ही यह माना गया(Worship of Ganpati on Sankashti Chaturthi) है कि, भगवान श्री गणेश समस्त संकटों को हरने वाले हैं. भगवान श्री गणेश प्रथम पूज्य प्रथमेश और समस्त विघ्नों को हरने वाले हैं इसलिए उन्हें (Hasta Nakshatra and Shool Yoga) विघ्नहर्ता माना गया है. कोई भी शुभ कार्य संकट हरण श्री गणेश जी के आशीर्वाद से ही प्रारंभ किया जाता है. आज के शुभ दिन रविवार हस्त नक्षत्र शूल योग और करण बालव करण कन्या राशि का प्रभाव स्पष्ट दिखाई पड़ रहा है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग हस्त में रिक्ता रोग विमुक्त स्नान का मुहूर्त भी बन रहा है.

संकष्टी चतुर्थी पर गणपति की पूजा



ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि, अनेक शुभ योगों में संकष्टी चतुर्थी का पर्व पड़ रहा है. मध्य रात्रि के समय चंद्रमा का आगमन तुला राशि में हो जाएगा. भगवान श्री गणेश जी की राशि भी कन्या राशि मानी गई है. अर्थात भगवान श्री गणेश कन्या राशि के स्वामी माने गए हैं.

Gariaband Rajim Maghi Punni Mela: त्रिवेणी संगम में स्नान के साथ राजिम माघी पुन्नी मेले की शुरुआत

गणेश भगवान को कौन सा प्रसाद चढ़ाना चाहिए ?

लंबोदर महाराज को संकष्टी चतुर्थी के शुभ दिन दूब की माला, मगज के लड्डू, बेसन के लड्डू और मोदक के लड्डू चढ़ाए जाते हैं. भगवान श्री गणेश को केले के पत्ते के आसन में और मंडप में बिठा कर पूजा अर्चना करनी चाहिए. भगवान श्री गणेश जी को केला, संतरा, अंगूर और मौसमी फल विशेष रुप से प्रिय हैं. अबीर, गुलाल, रोली, चंदन, परिमल बंधन, सिंदूर, चंदन, गोपा चंदन, श्वेत चंदन आदि माध्यमों से भगवान श्री गणेश जी का अभिषेक किया जाता है. शंकर जी के व्रत में चंद्रोदय का विशेष महत्व है. चंद्र दर्शन के पश्चात ही व्रत को तोड़ा जाता है. संकष्टी चतुर्थी में चंद्रउदय का मुहूर्त रात्रि 9 बजकर 28 मिनट का है. आज के शुभ दिन व्रत उपवास दान का विशेष महत्व है.

संकष्टी चतुर्थी पर ऐसे करें भगवान की पूजा

पंडित विनीत शर्मा के मुताबिक संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह-सुबह स्नान ध्यान से निवृत्त होकर भगवान गणेश की पूजा अर्चना करनी चाहिए. भगवान गणेश सभी तरह के कष्ट, विपदाओ और बाधाओं पर विजय दिलाते हैं. इसलिए आज के शुभ दिन गणेश चालीसा और शीर्ष गणेश सहस्त्रनाम और गणेश जी की आरती उत्साह मंगल के साथ की जाती है. भगवान श्री गणेश जी को पूजा करते समय कलश में दूब का भी उपयोग पूरी श्रद्धा से करना चाहिए. दूब के द्वारा ही श्री गणेश जी को स्नान, शुद्ध स्नान कराया जाना चाहिए. गंगा, नर्मदा, गोदावरी, कृष्णा अथवा संगम के जल से आचमन आदि का उपयोग करना चाहिए.

Bhishma Ashtami 2022: माघ शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को इस वजह से मनाई जाती है भीष्म अष्टमी

संपूर्ण पूजा विधि में शुद्ध निर्मल वस्त्र पहन पूजन करना चाहिए. लंबी सूर्य ग्रहण शक्ति को बढ़ाने की प्रेरणा देती है. संकष्टी के गणेश जी के विशाल नेत्र हमें दूरदर्शी होने की प्रेरणा प्रदान करते हैं. लंबे दांत साहस निर्भयता और पराक्रम वीर होने का संदेश देते हैं. लंबा मस्तक हमें सुमतिवान, धैर्यवान और विकट स्थितियों में स्थिर रहने की कला में माहिर बनाते हैं. आज के शुभ दिन पूजन में गणेश जी की आरती पूरे भाव से गाए जाने का विधान है. जो जातक इन सभी नियमों का पालन करता है और भगवान गणेश की पूजा अर्चना करता है. उन्हें शुभ फलों की प्राप्ति होती है.

रायपुर: ओम श्री गणेशाय नमः सनातन समय से ही यह माना गया(Worship of Ganpati on Sankashti Chaturthi) है कि, भगवान श्री गणेश समस्त संकटों को हरने वाले हैं. भगवान श्री गणेश प्रथम पूज्य प्रथमेश और समस्त विघ्नों को हरने वाले हैं इसलिए उन्हें (Hasta Nakshatra and Shool Yoga) विघ्नहर्ता माना गया है. कोई भी शुभ कार्य संकट हरण श्री गणेश जी के आशीर्वाद से ही प्रारंभ किया जाता है. आज के शुभ दिन रविवार हस्त नक्षत्र शूल योग और करण बालव करण कन्या राशि का प्रभाव स्पष्ट दिखाई पड़ रहा है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग हस्त में रिक्ता रोग विमुक्त स्नान का मुहूर्त भी बन रहा है.

संकष्टी चतुर्थी पर गणपति की पूजा



ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि, अनेक शुभ योगों में संकष्टी चतुर्थी का पर्व पड़ रहा है. मध्य रात्रि के समय चंद्रमा का आगमन तुला राशि में हो जाएगा. भगवान श्री गणेश जी की राशि भी कन्या राशि मानी गई है. अर्थात भगवान श्री गणेश कन्या राशि के स्वामी माने गए हैं.

Gariaband Rajim Maghi Punni Mela: त्रिवेणी संगम में स्नान के साथ राजिम माघी पुन्नी मेले की शुरुआत

गणेश भगवान को कौन सा प्रसाद चढ़ाना चाहिए ?

लंबोदर महाराज को संकष्टी चतुर्थी के शुभ दिन दूब की माला, मगज के लड्डू, बेसन के लड्डू और मोदक के लड्डू चढ़ाए जाते हैं. भगवान श्री गणेश को केले के पत्ते के आसन में और मंडप में बिठा कर पूजा अर्चना करनी चाहिए. भगवान श्री गणेश जी को केला, संतरा, अंगूर और मौसमी फल विशेष रुप से प्रिय हैं. अबीर, गुलाल, रोली, चंदन, परिमल बंधन, सिंदूर, चंदन, गोपा चंदन, श्वेत चंदन आदि माध्यमों से भगवान श्री गणेश जी का अभिषेक किया जाता है. शंकर जी के व्रत में चंद्रोदय का विशेष महत्व है. चंद्र दर्शन के पश्चात ही व्रत को तोड़ा जाता है. संकष्टी चतुर्थी में चंद्रउदय का मुहूर्त रात्रि 9 बजकर 28 मिनट का है. आज के शुभ दिन व्रत उपवास दान का विशेष महत्व है.

संकष्टी चतुर्थी पर ऐसे करें भगवान की पूजा

पंडित विनीत शर्मा के मुताबिक संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह-सुबह स्नान ध्यान से निवृत्त होकर भगवान गणेश की पूजा अर्चना करनी चाहिए. भगवान गणेश सभी तरह के कष्ट, विपदाओ और बाधाओं पर विजय दिलाते हैं. इसलिए आज के शुभ दिन गणेश चालीसा और शीर्ष गणेश सहस्त्रनाम और गणेश जी की आरती उत्साह मंगल के साथ की जाती है. भगवान श्री गणेश जी को पूजा करते समय कलश में दूब का भी उपयोग पूरी श्रद्धा से करना चाहिए. दूब के द्वारा ही श्री गणेश जी को स्नान, शुद्ध स्नान कराया जाना चाहिए. गंगा, नर्मदा, गोदावरी, कृष्णा अथवा संगम के जल से आचमन आदि का उपयोग करना चाहिए.

Bhishma Ashtami 2022: माघ शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को इस वजह से मनाई जाती है भीष्म अष्टमी

संपूर्ण पूजा विधि में शुद्ध निर्मल वस्त्र पहन पूजन करना चाहिए. लंबी सूर्य ग्रहण शक्ति को बढ़ाने की प्रेरणा देती है. संकष्टी के गणेश जी के विशाल नेत्र हमें दूरदर्शी होने की प्रेरणा प्रदान करते हैं. लंबे दांत साहस निर्भयता और पराक्रम वीर होने का संदेश देते हैं. लंबा मस्तक हमें सुमतिवान, धैर्यवान और विकट स्थितियों में स्थिर रहने की कला में माहिर बनाते हैं. आज के शुभ दिन पूजन में गणेश जी की आरती पूरे भाव से गाए जाने का विधान है. जो जातक इन सभी नियमों का पालन करता है और भगवान गणेश की पूजा अर्चना करता है. उन्हें शुभ फलों की प्राप्ति होती है.

Last Updated : Feb 17, 2022, 11:24 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.