रायपुर: राजधानी में यह मंदिर देवेंद्र नगर के नज़दीक साईं नगर में है. करीब 30 साल पहले इस मंदिर का निर्माण एक शासकीय कर्मचारी ने अपनी जीवन भर के जमा पूंजी से करवाया था. जिसके बाद से ही वह कर्मचारी अपनी नौकरी बीच में ही छोड़ कर उस मंदिर के बाजू में बाबा की सेवा में गुजार रहा है. रिटायर्ड कर्मचारी के परिवारजनों को अब तक किसी ने नहीं देखा है. लोगों का मानना है कि शायद उन्होंने संन्यास ले लिया है और वे बाबा की सेवा को अपनी पूरी जिंदगी दे रहे हैं.
शिर्डी के साईं मंदिर जैसा रायपुर में बाबा का मंदिर: बाबा के दरबार में हर गुरुवार भिक्षुकों की लंबी कतार लगी रहती है. जहां उन्हें भंडारा में खाने का मौका मिलता है. हर गुरुवार को दरबार में भंडारे का आयोजन किया जाता है. यह आयोजन भक्तगण में से ही कोई एक करवाता है. भंडारे में खिचड़ी तो कभी पुलाव तो कभी पोहा जैसे प्रसाद बांटे जाते हैं. मंदिर का रंग रोगन भी बिल्कुल शिर्डी के साईं बाबा मंदिर जैसा किया हुआ है. बड़े से प्रांगण में बना यह मंदिर देखने में काफी आकर्षक है. यदि आप अंदर जाकर कुछ देर भी यहां बैठ जाते हैं, तो आपको सुकून का अहसास होता है. सारे तनाव चिंता से आप दूर हो जाते हैं और आपकों काफी शांति महसूस होती है.
मंदिर में नहीं है कोई पंडित: वैसे तो मंदिर की सेवा पूरी तरह से वह रिटायर्ड कर्मचारी करते हैं. मंदिर में किसी भी तरह की कोई पंडित की व्यवस्था भी नहीं की गई है. केवल बाबा के भक्त गणों में से कोई एक जो मंदिर का सेवादार बन के मंदिर में ही सुबह शाम रहता है. वहीं आने वाले भक्तों को प्रसाद वितरण करता है, साथ ही सुबह शाम बाबा की आरती भी करता है.
मंदिर के सेवादार ने कही ये बात: मंदिर के सेवादार रमेश कुमार ने बताया कि" यह मंदिर 30 साल पुराना है. सुबह यह मंदिर 6 से 11:00 बजे तक खुलता है. वहीं शाम को 5:30 से 8:00 बजे तक खुला रहता है. गुरुवार को 6:30 से 1:00 बजे तक, उसके बाद 3:00 बजे से 9:00 बजे तक मंदिर का समय है. हफ्ते के हर गुरुवार को यहां पर भंडारे का आयोजन होता है. जिसमें खिचड़ी और हलवा वितरण किए जाते हैं भंडारा भक्तगण अपने ही खर्चे पर करते हैं."
बाबा साईं को सर्वधर्म के लोग मानते हैं: बाबा साईं कलयुग में थी अनोखे व्यक्तित्व के धनी थे. उन्हें हर धर्म के लोग पूजते हैं. वर्तमान में भी साईं बाबा को मुस्लिम, सिख, हिंदू, जैसे सर्वधर्म के लोग मानते हैं. कुछ लोगों का मानना है कि साईं बाबा को सबसे पहले 28 सितंबर 1835 में पातरी गांव, जो कि महाराष्ट्र में है. वहां देखा गया था. तो वहीं कुछ लोगों कहते हैं कि बाबा साईं को 1838 में तत्कालीन आंध्रप्रदेश के पातरी गांव में देखा गया था. लेकिन सभी एकमत पर राजी होते हैं कि साईं बाबा की मृत्यु 1918 में शिर्डी में हुई थी. शायद यही वजह है कि शिर्डी में उनका भव्य दरबार लगता है.