रायपुर : दोहरीकरण कार्य के कारण पंडरी मंडी गेट से लगे चंद्रशेखर नगर स्थित रेल क्षेत्र की बस्ती पर (sabotage in rail township of Raipur) रेलवे ने तोड़फोड़ की कार्रवाई की थी. इसमें 26 परिवारों के मकान तोड़ दिये गये थे. बीते 17 फरवरी को हुई इस कार्रवाई के बाद से अब तक उन पीड़ितों को आशियाना नहीं मिल सका है. रेलवे की इस कार्रवाई से प्रभावित 26 परिवार के लोग पंडरी स्थित धान मंडी में अस्थायी रूप से शरण लिये हुए हैं. हालांकि नगर निगम ने टैंकर से पानी की व्यवस्था की है, लेकिन ये लोग खुले में ही नहाने व शौच के विवश हैं. इतना ही नहीं इन परिवारों में से कुछ के बच्चों का कल से 12वीं का बोर्ड एग्जाम भी है. ऐसे में ये बच्चे खुले में पढ़ाई करने को मजबूर हैं.
मच्छरों के बीच खुले में पढ़ाई को मजबूर हैं बच्चे
रेलवे ने 17 फरवरी को पंडरी से लगे चंद्रशेखर नगर के 26 मकानों को तोड़ दिया था. उसके बाद से ये लोग मंडी में अस्थायी रूप से शरण लिये हैं. ईटीवी भारत की टीम जब इन प्रभावितों का जायजा लेने पहुंची तो आधा दर्जन बच्चे खुले में ही पढ़ाई करते दिखे. हमने 12वीं के छात्र जितेश यादव से बात की. उन्होंने बताया कि 2 मार्च यानी कल से उनका एग्जाम है. वह खुले में ही पढ़ाई करने को मजबूर हैं. शाम ढलते मच्छरों का आतंक शुरू हो जाता है. इस कारण पढ़ाई में काफी दिक्कतें होती हैं.
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पीड़ितों ने सुनाई व्यथा-घर के लिए पैसे मांगते अधिकारी
तोड़फोड़ प्रभावितों ने बताया कि चंद्रशेखर नगर में कोई 20 से 25 साल से रह रहा था तो कोई 40 साल से. कुछ लोग तो नगर निगम को टैक्स भी अदा कर रहे थे. लेकिन मकान टूटने के बाद से ही इनका मनोबल भी टूट चुका है. प्रभावितों ने बताया कि जब हम आवासन की बात करते हैं तो अधिकारी हमसे पैसे की मांग करते हैं. हमसे नए मकान के लिए 90 से 95 हजार रुपये रिश्वत के रूप में मांगा जा रहा है. अगर इतने पैसे होते तो किराए के मकान में अपना गुजारा कर सकते थे. इस गंदगी और मच्छरों के बीच में रहने की जरूरत ही नहीं होती.