रायपुर: पूरे देश में 25 मार्च से लॉकडाउन कर दिया गया है. 21 दिनों के इस लॉकडाउन में जिंदगी के पहियों के साथ ही गाड़ी के पहिए भी थम गए हैं. गाड़ी के पहिए थमना आर्थिक स्थिति के लिए भले ही ठीक न समझा जा रहा हो, लेकिन इसका दूसरा पहलू काफी सुखद नजर आ रहा है.
22 मार्च को रायपुर में धारा 144 लगते ही एक तरह से यहां लॉक डाउन शुरू हो गया था, जिसके चलते आम दिनों की तुलना में रायपुर में सड़क दुर्घटनाओं में काफी कमी आई है. जबकि आम दिनों में पूरे जिले में वाहनों के भारी दबाव के कारण आए दिन सड़क हादसे होते रहते थे और कई जिंदगियां मौत के मुंह में समा जाती थी.
लॉकडाउन में अच्छी बात ये हुई कि इस दौरान जिले के 18 ब्लैक स्पॉट या दुर्घटनाजन्य क्षेत्र में एक भी सड़क हादसा नहीं हुआ. लॉकडाउन में सड़कों पर वाहनों का दबाव कम होने के साथ ही लापरवाही पूर्वक गाड़ी चलाने वाले भी अपने घरों से नहीं निकल रहे हैं, जिसके कारण भी सड़क हादसों में कमी आई है. 18 ब्लैक स्पॉट में मंदिर हसौद चौक, जोरा चौक, टाटीबंध चौक, रायपुरा चौक, धनेली नाला, माना बस्ती, खरोरा, जैसे 18 ब्लैक स्पॉट रायपुर जिले में चिन्हित किए गए हैं जहां ज्यादातर सड़क हादसे होते हैं.
रायपुर जिले में पिछले 6 महीने के सड़क हादसों का आंकड़ा-
- अक्टूबर 2019 में 166 सड़क दुर्घटनाएं हुई थी जिसमें 32 लोगों की मौत हुई थी और 113 घायल हुए थे.
- नवंबर में 182 सड़क एक्सीडेंट हुए इसमें 35 लोगों की मौत हुई और 120 घायल हुए.
- इसी तरह दिसंबर में 161 सड़क दुर्घटनाएं हुई और 45 लोगों की जान गई.
- जनवरी और फरवरी में भी सड़क दुर्घटनाओं का आंकड़ा करीब 200 या इसके पार है.
- मार्च में इन आंकड़ों में काफी कमी आई है, मार्च 2020 की बात करें तो 79 सड़क दुर्घटनाएं हुई जिसमें 32 लोगों की जान गई और 86 लोग घायल हुए.
- लॉक डाउन के बाद से रायपुर जिले में एक भी सड़क हादसा नहीं हुआ है.
यातायात विभाग के डीएसपी सतीश ठाकुर का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान सड़कों पर यातायात का दबाव कम होने के कारण ही सड़क हादसों में कमी आई है. लॉकडाउन किसी बड़ी मुसीबत से कम नहीं है लेकिन अगर लॉकडाउन से कई घरों के चिराग बुझने से बच जाएं तो ये लॉकडाउन 'अच्छा' है.