रायपुर: अयोध्या में भगवान श्री राम के बहुप्रतीक्षित मंदिर के शिलान्यास के बाद छत्तीसगढ़ यानी श्रीराम के ननिहाल पर राम वन गमन पथ बनाने को लेकर राज्य सरकार बड़ा काम करने जा रही है. राज्य को दक्षिण कौशल राज्य भी कहा जाता है, इस लिहाज से छत्तीसगढ़ मां कौशल्या की भूमि है. प्रदेश सरकार ने मां कौशल्या के ऐतिहासिक मंदिर को भव्य तरीके बनाने का प्लान तैयार कर रखा है. साथ ही कोरिया से लेकर सुकमा तक श्री राम वन गमन पथ मार्ग को बनाने का शंखनाद कर दिया है.
छत्तीसगढ़ में श्री राम वन गमन शोध संस्थान ने बीते 16 सालों से राम वन गमन पथ पर रिसर्च किया है. आज उस रिसर्च टीम में शामिल शोधकर्ता और 'छत्तीसगढ़ पर्यटन में राम वन गमन पथ' के लेखक से जानेंगे कि कैसे इस टीम ने मिलकर राम वन गमन पथ पर शोध किया था और सालों तक श्री राम के यहां होने का साक्ष्य इकट्ठा किया.
राम वन गमन पथ पर किया गया अध्ययन
रिसर्चर डॉक्टर हेमु यदु ने ETV भारत से बात करते हुए बताया कि उनकी पूरी टीम ने छत्तीसगढ़ में 24 ऋषि आश्रमों में जा जाकर, 20 नदियों के संगम और करीब 124 स्थानों पर इसका अध्ययन किया. डॉक्टर हेमु यदु ने इस अध्ययन पर एक किताब भी लिखी है, जिसका नाम है 'छत्तीसगढ़ पर्यटन में राम वन गमन पथ'. इस अध्ययन के आधार पर ही छत्तीसगढ़ में राम वन गमन को लेकर उन्होंने एक रिपोर्ट तैयार की थी, जिसे पुरातत्व विभाग को सौंपा है. इस पुस्तक में 75 स्थानों का उल्लेख है जिसमें से 51 स्थानों को डेवलप करने का सरकार ने निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि चंदखुरी में माता कौशल्या के ऐतिहासिक मंदिर को भव्यता के साथ तैयार करना हमारे इतिहास को संजोने में बेहद सुखद कदम है.
सीएम बघेल ने दिए राम वन गमन पथ प्रोजेक्ट पर काम शुरू करने के निर्देश
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खुद सीएम हाउस में बैठक लेकर राम वन गमन पथ के विकास और सौंदर्यीकरण के लिए काम शुरू करने के निर्देश दिए हैं. छत्तीसगढ़ शासन की ओर से जो कार्य योजना राम वन गमन पथ के लिए तैयार की गई है, उसमें तीर्थ और पर्यटन स्थलों के द्वार से लेकर लैंप पोस्ट और बैंच तक के सौंदर्यीकरण पर विशेष ध्यान दिया गया है. पूरे राम वन गमन पथ को राममय बनाने के लिए अगस्त से ही काम शुरू करने के निर्देश दे दिए गए हैं.
'पग-पग पर होंगे भगवान राम के दर्शन'
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस योजना का प्रेजेंटेशन देखकर ही इसे फाइनल किया है. फाइनल किए गए प्रोजेक्ट के मुताबिक राम वन गमन पथ में श्रद्धालुओं और पर्यटकों को यात्रा के दौरान पग-पग में भगवान श्रीराम के दर्शन होंगे. मार्ग के किनारे जगह-जगह संकेतक, तीर्थ और पर्यटन स्थलों की जानकारी, भगवान श्रीराम के वनवास से जुड़ी कथाएं देखने और सुनने को मिलेगी.
राम वन गमन पथ के मुख्य मार्ग सहित कुल 2 हजार 260 किलोमीटर की लंबाई तक यह पथ राममय होगा. इस मार्ग के किनारे जगह-जगह भगवान श्रीराम के वनवास से जुड़ी कथाएं भी प्रदर्शित की जाएंगी. राम वन गमन पथ के दोनों ओर विभिन्न प्रजातियों के लाखों पौधे लगाए जाएंगे ताकि यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं और पर्यटकों के दिलो-दिमाग में प्रभु श्री राम के वनवास का एहसास बना रहे.
कौशल्या मंदिर निर्माण के लिए 154 करोड़ की योजना तैयार
मुख्यमंत्री के सामने राम वन गमन पथ को लेकर जो प्रेजेंटेशन दिया गया है. इसमें 137 करोड़ रुपए की लागत वाली इस परियोजना पर अगस्त महीने से ही काम शुरू करने का ऐलान किया गया है. इसकी शुरुआत रायपुर के पास मां कौशल्या मंदिर चंदखुरी से की जाएगी. चंदखुरी भगवान राम का ननिहाल है. यहां माता कौशल्या का प्राचीन मंदिर है, जो सातवीं शताब्दी का है. माता कौशल्या मंदिर का डेवलपमेंट करने के लिए 154 करोड़ की योजना तैयार की गई है.
प्रदेश के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे का कहना है कि भगवान राम के वनवास का ज्यादा समय छत्तीसगढ़ में ही बीता है. कोरिया जिले के सीतामढ़ी हरचौका से राम वन गमन पथ की शुरुआत होती है और सुकमा जिले के रामाराम में यह खत्म होती है. इस बीच की दूरी करीब 1400 किलोमीटर है. मंत्री चौबे का कहना है कि प्रभु श्रीराम ने अपने वनवास काल में 1400 किलोमीटर की पदयात्रा छत्तीसगढ़ में पूरी की थी. उनका कहना है कि राम वनगमन पथ को सर्किट बनाने का जो फैसला लिया गया है, पर्यटन विभाग ने उसका प्रेजेंटेशन दिखाया है, जिसपर जल्द ही काम करने के आदेश दिए गए हैं.
भव्य होगा राम वन गमन पथ का निर्माण
राम वन गमन पथ पर पहले चरण में जिन 9 स्थानों का चयन किया गया है, उन सभी में आकर्षक लैंडस्केप तैयार किया जाएगा. सभी स्थानों पर पर्यटकों के लिए सुविधाओं का विकास सर्वोच्च प्राथमिकता के तहत किया जा रहा है. राम वन गमन परिपथ में कोरिया से लेकर सुकमा तक 100 किलोमीटर तक सूचनात्मक स्वागत द्वार स्थापित किए जाएंगे. यात्रियों को इससे पता चल सकेगा कि वे वन गमन के लिए सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं या नहीं. सभी पर्यटन केंद्रों में विशेष साज-सज्जा वाले पर्यटक सूचना केंद्र भी स्थापित किए जाएंगे.
राम वन गमन पथ का रूट मैप तैयार कर सभी विभागों को भी भेज दिया गया है. चंदखुरी, शिवरीनारायण, तुरतुरिया और राजिम के लिए परियोजना की रिपोर्ट तैयार की जा चुकी है. शिवरीनारायण ब्रिज के ऊपर लेजर लाइट शो का भी इंतजाम किया जा रहा है. धमतरी जिले के सप्त ऋषि आश्रम का सौंदर्यीकरण और विकास भी किया जाएगा. वहीं नगरी को भी पर्यटन के रूप में विकसित किए जाने की योजना है.
पहले चरण में 9 स्थानों को किया गया चिन्हित
पर्यटन विभाग ने इतिहासकारों से चर्चा कर विभिन्न शोध और प्राचीन मान्यताओं के आधार पर छत्तीसगढ़ में राम वन गमन पथ के लिए 75 स्थानों को चिन्हित किया है. प्रथम चरण में जिन 9 स्थानों का चयन किया गया है-
- सीतामढ़ी हरचौका (कोरिया)
- रामगढ़ (सरगुजा)
- शिवरीनारायण (जांजगीर-चांपा)
- तुरतुरिया (बलौदाबाजार)
- चंदखुरी (रायपुर)
- राजिम (गरियाबंद)
- सिहावा सप्तऋषि आश्रम (धमतरी)
- जगदलपुर (बस्तर)
- रामाराम (सुकमा)
पढ़ें- माता कौशल्या की जन्मभूमि चंदखुरी में जल्द होगा भव्य मंदिर का निर्माण- सीएम भूपेश बघेल
छत्तीसगढ़ में परंपरा है कि मामा अपने भांजे का पैर छूकर सम्मान करते हैं. इसके पीछे यही वजह है कि छत्तीसगढ़ को भगवान श्रीराम का ननिहाल माना जाता है. इसके कारण ही अपने भांजे को सम्मान देने मामा खुद भांजे का पैर पड़ते रहे हैं. अब छत्तीसगढ़ सरकार खुद माता कौशल्या के मंदिर को भव्य तरीके से डेवलप करने के साथ ही पूरे राज्य में भगवान राम के वनवास की यादों को सहेजने के लिए काम कर रही है.