रायपुर: 26 जनवरी 1950 को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने 21 तोपों की सलामी के बाद भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को फहराया और भारतीय गणतंत्र के ऐतिहासिक जन्म की घोषणा की और संविधान लागू हुआ. अंग्रेजी शासन से छुटकारा पाने के 894 दिनों के बाद हमारा देश पूर्ण रूप से स्वतंत्र राज्य बन पाया. तब से आज तक हर साल समूचा देश इस दिन गणतंत्र दिवस गर्व और उल्लास के साथ मनाता है.
1946 में हुई थी संविधान सभा की पहली बैठक: संविधान सभा की पहली बैठक सोमवार 9 दिसंबर 1946 को सुबबह 11 बजे शुरू हुई, जिसमें 210 सदस्य शामिल थे. 11 दिसंबर 1946 को संविधान सभा की बैठक में डॉ. राजेंद्रप्रसाद को स्थायी अध्यक्ष चुना गया, जो आखिर तक इस पद का दायित्व संभालते रहे. 13 दिसंबर 1946 को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने संविधान का उद्देश्य प्रस्ताव सभा में प्रस्तुत किया, जो 22 जनवरी 1947 को पारित किया गया.
संविधान के उद्देश्य प्रस्ताव की ये थीं प्रमुख बातें: भारत एक पूर्ण संप्रभुता संपन्न गणराज्य होगा, जो स्वयं अपना संविधान बनाएगा. भारत संघ में ऐसे सभी क्षेत्र शामिल होंगे, जो इस समय ब्रिटिश भारत में हैं या देशी रियासतों में हैं या इन दोनों से बाहर, ऐसे क्षेत्र हैं, जो प्रभुतासंपन्न भारत संघ में शामिल होना चाहते हैं. भारतीय संघ और उसकी इकाइयों में समस्त राजशक्ति का मूल स्रोत स्वयं जनता होगी. भारत के नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, पद, अवसर और कानूनों की समानता, विचार, भाषण, विश्वास, व्यवसाय, संघ निर्माण और कार्य की स्वतंत्रता, कानून तथा सार्वजनिक नैतिकता के अधीन प्राप्त होगी.
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9 दिसंबर 1947 को संविधान सभा ने शुरू किया था काम: स्वतंत्रता मिलने के बाद संविधान सभा की घोषणा हुई और इसने अपना काम 9 दिसंबर 1947 से शुरू कर दिया. डॉ भीमराव अंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू, डॉ राजेंद्र प्रसाद, सरदार वल्लभभाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि इसके प्रमुख सदस्य थे. संविधान निर्माण में कुल 22 समितियां थीं जिसमें प्रारूप समिति (ड्राफ्टींग कमेटी) सबसे प्रमुख और महत्त्वपूर्ण थी, जिसने 2 वर्ष 11 माह और 18 दिन में भारतीय संविधान का निर्माण किया और 26 नवंबर 1949 को इसे संविधान सभा के अध्यक्ष डाॅ राजेंद्र प्रसाद को सौंपा. इसलिए हर साल 26 नवंबर भारत में संविधान दिवस के मनाया जाता है.