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नक्सलियों ने फिर खेला खूनी खेल, 17 जवान शहीद, गम में डूबा देश

शनिवार 21 मार्च को डीआरजी और एसटीएफ के करीब 600 जवान सुकमा जिला मुख्यालय से सर्चिंग पर निकले हुए थे. सुकमा के कसालपाड़ में शहीद हुए जवानों के पार्थिव शरीर को सुकमा जिला मुख्यालय लाया गया है. यहां से सभी पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि देने के बाद उनके घर के लिए भेज दिया जाएगा.

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लाल आतंकियों ने फिर किया लहूलुहान
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Published : Mar 22, 2020, 11:02 PM IST

सुकमा/रायपुर: एक तरफ पूरी दुनिया एक वायरस के कहर से बचने के लिए लॉक-डाउन की स्थिति में है. वहीं बस्तर को एक बार फिर लाल आतंकियों ने लहूलुहान कर दिया है. सुकमा के एलमागुंडा के घने जंगल में हुई मुठभेड़ में पुलिस के 17 जवान शहीद हो गए हैं. इस वारदात को अंजाम देते हुए नक्सलियों ने बड़े पैमाने में हथियार भी लूट ले गए हैं. शहीद होने वाले जवानो में 12 डीआरजी के जवान हैं जबकि एसटीएफ के 5 जवान शामिल हैं.

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नक्सल हमला
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पेड़ में गोली के निशान

बड़ा फोर्स जंगल में कर रहा था सर्चिंग
21 मार्च को डीआरजी और एसटीएफ के करीब 600 जवान सुकमा जिला मुख्यालय से सर्चिंग पर निकले हुए थे. जवानों का ये दल बुरकापाल, मिलपा होते हुए एलमागुंडा के घने जंगलों में पहुंचता है. यहां तक पहुंचते तक ये बड़ी टीम करीब 50 जवानों के अलग-अलग दलों में सेपरेट हो जाती है और खास रणनीति के तहत दुर्गम पहाड़ी इलाके में आगे बढ़ती है. यहीं नक्सलियों की प्लाटून नंबर 1 ने एंबुश लगाकर इन्हीं में से एक दल को निशाने पर लेता है. हमारे जवानों ने भी अचानक हुए इस हमले का जोरदार तरीके से जवाब दिया. मौके से मिले निशान बताते हैं कि इस हमले में नक्सलियों को भी काफी नुकसान हुआ है. हालांकि ये साफ नहीं हो पाया है कि कितने नक्सल हताहत हुए हैं. ये भी बताया जा रहा है कि कुख्यात नक्सली कमांडर हिड़मा इस इलाके में मौजूद था और उसी के अगुआई में नक्सलियों ने इस हमले को अंजाम दिया.

लाल आतंकियों ने फिर किया लहूलुहान

लंबे समय बाद स्थानीय पुलिस पर बड़ा हमला
बस्तर में नक्सलियों से लोहा ले रहे जवानों के लिए स्थानीय परिस्थिति भी बड़ी चुनौती बन जाती है. अक्सर सीआरपीएफ या दूसरे पैरामिलिट्री फोर्स के जवान इसके चलते परेशानियों का सामना करते हैं. लेकिन इस हमले में वे जवान शिकार हुए हैं वे स्थानीय थे जिन्हें इस इलाके के बारे में अच्छी खासी जानकारी थी. ज्यादातर शहीद जवान सुकमा जिला और बस्तर संभाग के रहने वाले थे. ऐसे में आशंका ये भी है कि नक्सलियों को कहीं न कहीं जवानों के मुवमेंट की जानकारी पहले ही मिल गई होगी. तभी वे इन जवानों को एंबुश में फंसा लिए.

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नक्सल हमले में मोटार
इस हमले के बाद एक बार फिर राजधानी से लेकर बस्तर तक मीटिंग का दौर शुरू हो गया है. एक तरफ पूरी दुनिया कोरोना से बचने के लिए संघर्ष कर रही है. तो दूसरी ओर छत्तीसगढ़ एक फिर दहल गया है. अपने पुराने जख्म से 17 परिवार के दीपक को नक्सलवाद ने निगल लिया है. अब हमले की उच्चस्तरीय समीक्षा के अलावा बचा है आंसूओं का सैलाब.

सुकमा/रायपुर: एक तरफ पूरी दुनिया एक वायरस के कहर से बचने के लिए लॉक-डाउन की स्थिति में है. वहीं बस्तर को एक बार फिर लाल आतंकियों ने लहूलुहान कर दिया है. सुकमा के एलमागुंडा के घने जंगल में हुई मुठभेड़ में पुलिस के 17 जवान शहीद हो गए हैं. इस वारदात को अंजाम देते हुए नक्सलियों ने बड़े पैमाने में हथियार भी लूट ले गए हैं. शहीद होने वाले जवानो में 12 डीआरजी के जवान हैं जबकि एसटीएफ के 5 जवान शामिल हैं.

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नक्सल हमला
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पेड़ में गोली के निशान

बड़ा फोर्स जंगल में कर रहा था सर्चिंग
21 मार्च को डीआरजी और एसटीएफ के करीब 600 जवान सुकमा जिला मुख्यालय से सर्चिंग पर निकले हुए थे. जवानों का ये दल बुरकापाल, मिलपा होते हुए एलमागुंडा के घने जंगलों में पहुंचता है. यहां तक पहुंचते तक ये बड़ी टीम करीब 50 जवानों के अलग-अलग दलों में सेपरेट हो जाती है और खास रणनीति के तहत दुर्गम पहाड़ी इलाके में आगे बढ़ती है. यहीं नक्सलियों की प्लाटून नंबर 1 ने एंबुश लगाकर इन्हीं में से एक दल को निशाने पर लेता है. हमारे जवानों ने भी अचानक हुए इस हमले का जोरदार तरीके से जवाब दिया. मौके से मिले निशान बताते हैं कि इस हमले में नक्सलियों को भी काफी नुकसान हुआ है. हालांकि ये साफ नहीं हो पाया है कि कितने नक्सल हताहत हुए हैं. ये भी बताया जा रहा है कि कुख्यात नक्सली कमांडर हिड़मा इस इलाके में मौजूद था और उसी के अगुआई में नक्सलियों ने इस हमले को अंजाम दिया.

लाल आतंकियों ने फिर किया लहूलुहान

लंबे समय बाद स्थानीय पुलिस पर बड़ा हमला
बस्तर में नक्सलियों से लोहा ले रहे जवानों के लिए स्थानीय परिस्थिति भी बड़ी चुनौती बन जाती है. अक्सर सीआरपीएफ या दूसरे पैरामिलिट्री फोर्स के जवान इसके चलते परेशानियों का सामना करते हैं. लेकिन इस हमले में वे जवान शिकार हुए हैं वे स्थानीय थे जिन्हें इस इलाके के बारे में अच्छी खासी जानकारी थी. ज्यादातर शहीद जवान सुकमा जिला और बस्तर संभाग के रहने वाले थे. ऐसे में आशंका ये भी है कि नक्सलियों को कहीं न कहीं जवानों के मुवमेंट की जानकारी पहले ही मिल गई होगी. तभी वे इन जवानों को एंबुश में फंसा लिए.

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नक्सल हमले में मोटार
इस हमले के बाद एक बार फिर राजधानी से लेकर बस्तर तक मीटिंग का दौर शुरू हो गया है. एक तरफ पूरी दुनिया कोरोना से बचने के लिए संघर्ष कर रही है. तो दूसरी ओर छत्तीसगढ़ एक फिर दहल गया है. अपने पुराने जख्म से 17 परिवार के दीपक को नक्सलवाद ने निगल लिया है. अब हमले की उच्चस्तरीय समीक्षा के अलावा बचा है आंसूओं का सैलाब.
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