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आखिर टीएस सिंहदेव ने पंचायत मंत्रीपद से क्यों दिया इस्तीफा, पढ़िए सिंहदेव का इस्तीफानामा..

Read Singhdeo resignation letter: छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने पंचायत मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. इस इस्तीफे के उन्होंने कई कारण बताए हैं. सीएम को लिखे इस्तीफे वाले पत्र में टीएस सिंहदेव ने इसका जिक्र किया है.

TS Singhdeo
टीएस सिंहदेव
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Published : Jul 16, 2022, 8:15 PM IST

Updated : Jul 16, 2022, 8:40 PM IST

रायपुर: शनिवार को पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव (Chhattisgarh Health Minister TS Singhdeo) ने मुख्यमंत्री के नाम अपना इस्तीफा सौंपा (Read Singhdeo resignation letter)है. उन्होंने इस्तीफे की कई वजह बताई है. सिंहदेव ने लिखा... "विगत तीन वर्षों से अधिक से पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के भारसाधक मंत्री के रूप में कार्य कर रहा हूं. इस दौरान कुछ ऐसी परिस्थितियां निर्मित हुई हैं, जिससे आपको अवगत कराना चाहता हूं."

"प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए राज्य सरकार ने नहीं दिया आर्थिक सहयोग": सिंहदेव ने लिखा "प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत प्रदेश के आवास विहीन लोगों को आवास बनाकर दिया जाना था, जिसके लिए मैंने कई बार आपसे चर्चा कर राशि आवंटन का अनुरोध किया था. किन्तु इस योजना में राशि उपलब्ध नहीं की जा सकी. फलस्वरूप प्रदेश के लगभग 8 लाख लोगों के लिए आवास नहीं बनाये जा सके.इसके अतिरिक्त 8 लाख घर बनाने में से करीब 10 हजार करोड़ प्रदेश की अर्थव्यवस्था में सहायक होते. हमारे जन घोषणा पत्र में छत्तीसगढ़ के 36 लक्ष्य अंतर्गत ग्रामीण आवास का अधिकार प्रमुख रूप से उल्लेखित है. विचारणीय है कि प्रदेश में वर्तमान सरकार के कार्यकाल में बेघर लोगों के लिए एक भी आवास नहीं बनाया जा सका और योजना की प्रगति निरंक रही. मुझे दुःख है कि इस योजना का लाभ प्रदेश के आवास विहीन लोगों को नहीं मिल सका."

Read Singhdeo resignation letter
सिंहदेव का इस्तीफानामा
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सिंहदेव का इस्तीफानामा
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सिंहदेव का इस्तीफानामा
Read Singhdeo resignation letter
सिंहदेव का इस्तीफानामा

"मंत्री के प्रोटोकॉल का किया गया उल्लंघन": आगे सिंहदेव ने लिखा, "किसी भी विभाग के अधीन Discretionary योजनाओं के अंतर्गत कार्यो की स्वीकृति का अनुमोदन उस विभाग के भारसाधक मंत्री का निर्धारित अधिकार है. किन्तु मुख्यमंत्री समग्र ग्रामीण विकास योजना के अंतर्गत कार्यों की अंतिम स्वीकृति हेतु Rules of Business के विपरीत मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की एक समिति गठित की गयी. कार्यों की स्वीकृति हेतु मंत्री के अनुमोदन उपरांत अंतिम निर्णय मुख्य सचिव की समिति द्वारा लिये जाने की प्रक्रिया बनाई गई, जो प्रोटोकाल के विपरीत और सर्वथा अनुचित है, जिस पर मेरे द्वारा समय-समय पर लिखित रूप से आपत्ति दर्ज कराई गई. किन्तु आजपर्यन्त इस व्यवस्था को सुधारा नहीं जा सका है. फलस्वरूप 500 करोड़ से ज्यादा की राशि का उपयोग मंत्री/विधायक/जनप्रतिनिधि के सुझावों के अनुसार विकास कार्यों में नहीं किया जा सका. वर्तमान में पंचायतों में अनके विकास कार्य प्रारंभ ही नहीं हो पाये."

यह भी पढ़ें: कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव ने पंचायत मंत्री पद से दिया इस्तीफा

"पेसा के बिंदुओं को बदलने में विश्वास नहीं": सिंहदेव ने लिखा, "पेसा अधिनियम आदिवासी भाई-बहनों के अधिकारों के संरक्षण के लिए एक महत्त्वपूर्ण कदम है. इसे प्रदेश में लागू करने के संबंध में जनघोषणा-पत्र में भी वादा किया था तथा काफी मेहनत से नियम बनाये गये थे ताकि उसे सफलतापूर्वक प्रदेश में लागू किया जा सके. दिनांक 13 जून, 2020 से प्रदेश के आदिवासी ब्लॉकों में जाकर वहां के स्थानीय लोगों, स्थानीय जनप्रतिनिधियों इत्यादि से निरंतर 02 वर्षों से संवाद स्थापित कर इसका प्रारूप तैयार किया गया. किन्तु विभाग द्वारा जो प्रारूप कैबिनेट कमेटी को भेजा गया था. जिसके अनुसार चर्चा हुई उसमें जल, जंगल जमीन से संबंधित महत्वपूर्ण बिन्दुओं को बदल कर कैबिनेट की प्रेसिका में शायद पहली बार बदल दिया गया.भारसाधक मंत्री को विश्वास में नहीं लिया गया जो कि अस्वस्थ्य परम्परा को स्थापित करेगा. इस विषय पर पृथक से मैंने व्यक्तिगत पत्र भी आपको लिखा है."

"सीएम को जनघोषणा पत्र की दिलाई याद": सिंहदेव ने लिखा, "जनघोषणा-पत्र में किये गये वादों में पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकारों को पूर्ण रूप से लागू करना भी है, जिसके लिए मैंने आपसे कई बार चर्चा तथा विभागीय तौर पर भी पहल की. किन्तु मुझे यह निराश मन से कहना पड़ रहा है कि इस पर आजपर्यन्त कोई भी सहमति/सकारात्मक पहल नहीं हो पायी. महात्मा गांधी नरेगा योजना का सफल क्रियान्वयन इस प्रदेश में हुआ है. उल्लेखनीय है कि कोरोना काल में जब जरूरतमंदों को रोजगार की सबसे ज्यादा जरूरत थी, छत्तीसगढ़ इस योजना के क्रियान्वयन में सम्पूर्ण भारत में अग्रणी रहा 20 हजार से अधिक कोविड केयर सेंटर्स का सफलतापूर्वक संचालन पंचायतों द्वारा किया गया. प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में योजना के माध्यम से हम ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार देने में सफल रहे. जिसकी प्रशंसा देश के सभी हिस्सों में हुई. मनरेगा का कार्य करने वाले रोजगार सहायकों के मेहनत को देखते हुये उनके वेतनवृध्दि का प्रस्ताव पंचायत विभाग द्वारा वित्त विभाग को प्रेषित किया गया. जो कि वित्त विभाग की सहमति न मिलने के कारण आजपर्यन्त लंबित है. इस विषय पर व्यक्तिगत तौर पर आपसे कई बार चर्चा हुई."

"साजिश के तहत रोजगार सहायकों से करवाई गई हड़ताल": सिंहदेव ने लिखा, "एक साजिश के तहत रोजगार सहायकों से हड़ताल करवाकर मनरेगा के कार्यों को प्रभावित किया गया, जिसमें सहायक परियोजना अधिकारियों (संविदा) की भूमिका स्पष्ट रूप से निकल कर आई. स्वयं आपके द्वारा हड़तालरत कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने के लिए एक कमेटी गठित की गई. इसके बाद भी हडताल वापस नहीं ली गई. हड़ताल के कारण लगभग 1250 करोड़ का मजदूरी भुगतान प्रभावित हुआ तथा ग्रामीण अर्थ व्यवस्था में नहीं पहुंच सका. समन्वय के माध्यम से आपसे अनुमोदन लेकर सहायक परियोजना अधिकारियों (संविदा) के स्थान पर रेगुलर सहायक परियोजना अधिकारियों की पदस्थापना भी कर दी गई थी, ताकि मनरेगा का कार्य सुचारू रूप से चल सके और रोजगार की तालाश कर रहे नागरिकों को रोजगार से वंचित न होना पड़े."

"रोजगार की जरूरत थी तब कार्य प्रभावित रखा": सिंहदेव ने लिखा, "जब हमारे प्रदेश को रोजगार की सबसे ज्यादा जरूरत थी, तो सहायक परियोजना अधिकारियों के द्वारा कार्य को प्रभावित रखा गया. जबकि रोजगार सहायक अपने काम पर वापस आना चाह रहे थे. जब मुझे यह जानकारी प्राप्त हुई कि हटाए गये सहायक परियोजना अधिकारी (संविदा) की पुनर्नियुक्ति की कार्रवाई चलने लगी, तब दूरभाष पर मैंने आपसे चर्चा कर अपना मत दिया था कि उन्हें उसी पद पर पुनः नियुक्ति न दिया जाये और अगर रखना ही है तो समकक्ष वेतन के आधार पर विभाग के अन्य पद पर रखा जा सकता है, उसी पद पर पुनः रखना सर्वथा अनुचित रहेगा तथा भविष्य में आंदोलन की प्रवृत्ति बलवती होगी तथा अच्छा संदेश नहीं जायेगा. ऐसी परिस्थिति में ऐसे कर्मचारी जो कि जनहित तथा राज्यहित के विपरीत कार्य कर रहे थे, उनकी पुनः नियुक्ति अनुचित है. लेकिन इन सबके बावजूद कल इनकी पुनः पदस्थापना मेरे बगैर अनुमोदन के कर दी गई, जो कि मुझे स्वीकार्य नहीं है."

रायपुर: शनिवार को पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव (Chhattisgarh Health Minister TS Singhdeo) ने मुख्यमंत्री के नाम अपना इस्तीफा सौंपा (Read Singhdeo resignation letter)है. उन्होंने इस्तीफे की कई वजह बताई है. सिंहदेव ने लिखा... "विगत तीन वर्षों से अधिक से पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के भारसाधक मंत्री के रूप में कार्य कर रहा हूं. इस दौरान कुछ ऐसी परिस्थितियां निर्मित हुई हैं, जिससे आपको अवगत कराना चाहता हूं."

"प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए राज्य सरकार ने नहीं दिया आर्थिक सहयोग": सिंहदेव ने लिखा "प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत प्रदेश के आवास विहीन लोगों को आवास बनाकर दिया जाना था, जिसके लिए मैंने कई बार आपसे चर्चा कर राशि आवंटन का अनुरोध किया था. किन्तु इस योजना में राशि उपलब्ध नहीं की जा सकी. फलस्वरूप प्रदेश के लगभग 8 लाख लोगों के लिए आवास नहीं बनाये जा सके.इसके अतिरिक्त 8 लाख घर बनाने में से करीब 10 हजार करोड़ प्रदेश की अर्थव्यवस्था में सहायक होते. हमारे जन घोषणा पत्र में छत्तीसगढ़ के 36 लक्ष्य अंतर्गत ग्रामीण आवास का अधिकार प्रमुख रूप से उल्लेखित है. विचारणीय है कि प्रदेश में वर्तमान सरकार के कार्यकाल में बेघर लोगों के लिए एक भी आवास नहीं बनाया जा सका और योजना की प्रगति निरंक रही. मुझे दुःख है कि इस योजना का लाभ प्रदेश के आवास विहीन लोगों को नहीं मिल सका."

Read Singhdeo resignation letter
सिंहदेव का इस्तीफानामा
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सिंहदेव का इस्तीफानामा
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सिंहदेव का इस्तीफानामा
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सिंहदेव का इस्तीफानामा

"मंत्री के प्रोटोकॉल का किया गया उल्लंघन": आगे सिंहदेव ने लिखा, "किसी भी विभाग के अधीन Discretionary योजनाओं के अंतर्गत कार्यो की स्वीकृति का अनुमोदन उस विभाग के भारसाधक मंत्री का निर्धारित अधिकार है. किन्तु मुख्यमंत्री समग्र ग्रामीण विकास योजना के अंतर्गत कार्यों की अंतिम स्वीकृति हेतु Rules of Business के विपरीत मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की एक समिति गठित की गयी. कार्यों की स्वीकृति हेतु मंत्री के अनुमोदन उपरांत अंतिम निर्णय मुख्य सचिव की समिति द्वारा लिये जाने की प्रक्रिया बनाई गई, जो प्रोटोकाल के विपरीत और सर्वथा अनुचित है, जिस पर मेरे द्वारा समय-समय पर लिखित रूप से आपत्ति दर्ज कराई गई. किन्तु आजपर्यन्त इस व्यवस्था को सुधारा नहीं जा सका है. फलस्वरूप 500 करोड़ से ज्यादा की राशि का उपयोग मंत्री/विधायक/जनप्रतिनिधि के सुझावों के अनुसार विकास कार्यों में नहीं किया जा सका. वर्तमान में पंचायतों में अनके विकास कार्य प्रारंभ ही नहीं हो पाये."

यह भी पढ़ें: कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव ने पंचायत मंत्री पद से दिया इस्तीफा

"पेसा के बिंदुओं को बदलने में विश्वास नहीं": सिंहदेव ने लिखा, "पेसा अधिनियम आदिवासी भाई-बहनों के अधिकारों के संरक्षण के लिए एक महत्त्वपूर्ण कदम है. इसे प्रदेश में लागू करने के संबंध में जनघोषणा-पत्र में भी वादा किया था तथा काफी मेहनत से नियम बनाये गये थे ताकि उसे सफलतापूर्वक प्रदेश में लागू किया जा सके. दिनांक 13 जून, 2020 से प्रदेश के आदिवासी ब्लॉकों में जाकर वहां के स्थानीय लोगों, स्थानीय जनप्रतिनिधियों इत्यादि से निरंतर 02 वर्षों से संवाद स्थापित कर इसका प्रारूप तैयार किया गया. किन्तु विभाग द्वारा जो प्रारूप कैबिनेट कमेटी को भेजा गया था. जिसके अनुसार चर्चा हुई उसमें जल, जंगल जमीन से संबंधित महत्वपूर्ण बिन्दुओं को बदल कर कैबिनेट की प्रेसिका में शायद पहली बार बदल दिया गया.भारसाधक मंत्री को विश्वास में नहीं लिया गया जो कि अस्वस्थ्य परम्परा को स्थापित करेगा. इस विषय पर पृथक से मैंने व्यक्तिगत पत्र भी आपको लिखा है."

"सीएम को जनघोषणा पत्र की दिलाई याद": सिंहदेव ने लिखा, "जनघोषणा-पत्र में किये गये वादों में पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकारों को पूर्ण रूप से लागू करना भी है, जिसके लिए मैंने आपसे कई बार चर्चा तथा विभागीय तौर पर भी पहल की. किन्तु मुझे यह निराश मन से कहना पड़ रहा है कि इस पर आजपर्यन्त कोई भी सहमति/सकारात्मक पहल नहीं हो पायी. महात्मा गांधी नरेगा योजना का सफल क्रियान्वयन इस प्रदेश में हुआ है. उल्लेखनीय है कि कोरोना काल में जब जरूरतमंदों को रोजगार की सबसे ज्यादा जरूरत थी, छत्तीसगढ़ इस योजना के क्रियान्वयन में सम्पूर्ण भारत में अग्रणी रहा 20 हजार से अधिक कोविड केयर सेंटर्स का सफलतापूर्वक संचालन पंचायतों द्वारा किया गया. प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में योजना के माध्यम से हम ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार देने में सफल रहे. जिसकी प्रशंसा देश के सभी हिस्सों में हुई. मनरेगा का कार्य करने वाले रोजगार सहायकों के मेहनत को देखते हुये उनके वेतनवृध्दि का प्रस्ताव पंचायत विभाग द्वारा वित्त विभाग को प्रेषित किया गया. जो कि वित्त विभाग की सहमति न मिलने के कारण आजपर्यन्त लंबित है. इस विषय पर व्यक्तिगत तौर पर आपसे कई बार चर्चा हुई."

"साजिश के तहत रोजगार सहायकों से करवाई गई हड़ताल": सिंहदेव ने लिखा, "एक साजिश के तहत रोजगार सहायकों से हड़ताल करवाकर मनरेगा के कार्यों को प्रभावित किया गया, जिसमें सहायक परियोजना अधिकारियों (संविदा) की भूमिका स्पष्ट रूप से निकल कर आई. स्वयं आपके द्वारा हड़तालरत कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने के लिए एक कमेटी गठित की गई. इसके बाद भी हडताल वापस नहीं ली गई. हड़ताल के कारण लगभग 1250 करोड़ का मजदूरी भुगतान प्रभावित हुआ तथा ग्रामीण अर्थ व्यवस्था में नहीं पहुंच सका. समन्वय के माध्यम से आपसे अनुमोदन लेकर सहायक परियोजना अधिकारियों (संविदा) के स्थान पर रेगुलर सहायक परियोजना अधिकारियों की पदस्थापना भी कर दी गई थी, ताकि मनरेगा का कार्य सुचारू रूप से चल सके और रोजगार की तालाश कर रहे नागरिकों को रोजगार से वंचित न होना पड़े."

"रोजगार की जरूरत थी तब कार्य प्रभावित रखा": सिंहदेव ने लिखा, "जब हमारे प्रदेश को रोजगार की सबसे ज्यादा जरूरत थी, तो सहायक परियोजना अधिकारियों के द्वारा कार्य को प्रभावित रखा गया. जबकि रोजगार सहायक अपने काम पर वापस आना चाह रहे थे. जब मुझे यह जानकारी प्राप्त हुई कि हटाए गये सहायक परियोजना अधिकारी (संविदा) की पुनर्नियुक्ति की कार्रवाई चलने लगी, तब दूरभाष पर मैंने आपसे चर्चा कर अपना मत दिया था कि उन्हें उसी पद पर पुनः नियुक्ति न दिया जाये और अगर रखना ही है तो समकक्ष वेतन के आधार पर विभाग के अन्य पद पर रखा जा सकता है, उसी पद पर पुनः रखना सर्वथा अनुचित रहेगा तथा भविष्य में आंदोलन की प्रवृत्ति बलवती होगी तथा अच्छा संदेश नहीं जायेगा. ऐसी परिस्थिति में ऐसे कर्मचारी जो कि जनहित तथा राज्यहित के विपरीत कार्य कर रहे थे, उनकी पुनः नियुक्ति अनुचित है. लेकिन इन सबके बावजूद कल इनकी पुनः पदस्थापना मेरे बगैर अनुमोदन के कर दी गई, जो कि मुझे स्वीकार्य नहीं है."

Last Updated : Jul 16, 2022, 8:40 PM IST
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