रायपुर: मध्य प्रदेश की राजनीति में आए सियासी भूचाल ने छत्तीसगढ़ में भी हलचल पैदा कर दी है. एमपी में कांग्रेस के महाराज रहे सिंधिया अब भाजपा के महाराज के रूप में जाने जाएंगे. जैसे ही सिंधिया के इस्तीफे की खबरें आई छत्तीसगढ़ में लोग इसे राजघराने से ताल्लुक रखने वाले मंत्री टीएस सिंहदेव से जोड़ दिया और सीएम भूपेश बघेल को नसीहत देने लगे.
इस बड़े राजनीतिक उलटफेर और छत्तीसगढ़ की स्थिति पर प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार रमेश नैय्यर ने कहा कि, 'भूचाल दिख नहीं रहा, लेकिन खतरा कब आ जाए कहा नहीं जा सकता है'.
'भूपेश बघेल का नाम दूर-दूर तक नहीं'
वरिष्ठ पत्रकार रमेश ने कहा कि, 'छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में सीएम की लिस्ट में भूपेश बघेल का नाम दूर-दूर तक नहीं था. यदि किसी का नाम था तो वो था सिर्फ सिंहदेव और चरणदास महंत का. ये दो नाम ही ऐसे है थे, जिनपर जोरो-शोरों से चर्चा चल रही थी. कुछ दिन बीतने के बाद भूपेश बघेल का नाम चर्चा में आया'.
'सिंहदेव सीएम रेस में आगे'
उन्होंने कहा मीडिया रिपोर्ट्स में भी सीएम बनने की सबसे ज्यादा संभावना यदि किसी की थी तो वे थे सिंहदेव. लेकिन बाद में बघेल ने राहुल गांधी से मुलाकात की और अपने नाम पर अड़ गए, इस कारण उन्हें सीएम बनाना पड़ा. इन सबके कारण बघेल सभी को साथ लेकर चलने की कोशिश करते रहे. बीते दो सालों में किसी भी तरह की दरार कांग्रेस पार्टी को हिला नहीं पाई'.
'भूपेश को कई खतरा नहीं'
उन्होंने एक कहावत का उदाहरण देते हुए कहा कि, 'ये जो घटना क्रम है बादलों की तरह घुमड़ता रहता है, जब कोई तैयार नहीं होता है तो संकट की बिजली कड़क उठती है और उनपर गिर पड़ती है. वैसे तो भूपेश को कई खतरा दिख नहीं रहा है'.
क्यों लगाए जा रहे कयास
बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफे के बाद छत्तीसगढ़ को लेकर भी कयास लगाए जाने लगे हैं. सिंधिया को मध्य प्रदेश में 'महाराज' कहा जाता है. छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव भी सरगुजा राजपरिवार से हैं. जिस तरह सिंधिया मुख्यमंत्री की रेस में थे, वैसे ही सिंहदेव का नाम भी सीएम के लिए चर्चा में था. सिंधिया के इस्तीफे को लोग सोशल मीडिया में सिंहदेव से जोड़ने लगे हैं.