रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के चौथे दिन गुरूवार को सरकार चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज अधिग्रहण से संबंध में विधेयक लेकर आई. जिसे लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि ऐसी क्या आपात स्थिति आ गई कि बघेल सरकार को मेडिकल कॉलेज के अधिग्रहण की जरूरत पड़ी, जो एक परिवारिक संपत्ति है.
कर्ज की सीमा एफआरपीएम एक्ट के पीक पर: रमन सिंह
डॉ. रमन सिंह ने कहा कि जब अनुपूरक बजट सदन में पेश किया गया और छत्तीसगढ़ की वित्तीय स्थिति के बारे में राज्य के मुख्यमंत्री, वित्त मंत्री ने जानकारी दी तो उससे ही स्पष्ट हो गया था कि हमारी कर्ज की सीमा एफआरपीएम (FRBM) एक्ट के पीक पर पहुंच गई है. जो 75-76 हजार करोड़ का है. यह हालात दो-ढाई साल में बदले हैं. इसके बाद भी सरकार के पास इंफ्रास्ट्रक्चर और सड़कों के लिए पैसा नहीं है. पंचायत के सारे विकास काम ठप हो गए हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा कि मेडिकल कॉलेज अधिग्रहण विधेयक को लेकर जो नोट प्रस्तुत किया गया, उसमें बताया गया है कि राज्य सरकार से वर्तमान मालिकों ने अपनी वित्तीय स्थिति को देखते अधिग्रहण का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा कि इसका छात्रों के भविष्य से क्या संबंध है. छात्र तो अपने भविष्य के लिए संघर्ष कर ही रहे हैं. छात्रों ने पहले ही अपने स्थानांतरण के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगा रखी है.
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से कॉलेज की मान्यता रद्द
डॉ. रमन सिंह ने कहा कि कॉलेज पर कई मामले चल रहे हैं. इस कॉलेज की मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने मान्यता रद्द कर दी है. यह कॉलेज कर्ज में डूबा हुआ है. 2020 के अनुसार इस कॉलेज पर 125 करोड़ का कर्ज है. रुंगटा कॉलेज से इस मेडिकल कॉलेज का सौदा हुआ था. उसके द्वारा 35-40 करोड़ रुपए भी दे दिए गए. बाद में इस पैसे की वापसी का मामला अभी कोर्ट में चल रहा है. उन्होंने कहा कि आज देश में 58 मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे हैं. इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा 75% राशि दी जा रही है. महज 25% राशि खर्च कर राज्य में चार और मेडिकल कॉलेज खोले जा सकते हैं, लेकिन उस ओर पहल नहीं किया गया है.
डॉ. रमन सिंह ने अधिग्रहण के संबंध में आरोप लगाते हुए कहा कि यह सरकार इसलिए यह कर रही है क्योंकि यह एक पारिवारिक मामला है.