रायपुर: छत्तीसगढ़ एक बार फिर बेरोजगारी के मुद्दे पर सियासी जंग छिड़ गई है. सरकार पर बरोजगारी को लेकर विपक्ष हमलावर है. पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने हाल ही में एक ट्वीट किया है. रमन सिंह ने ट्वीट के माध्यम से भूपेश बघेल सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि भूपेश सरकार प्रदेश के कारीगरों को छोड़कर पश्चिम बंगाल के कारीगरों से काम करा रही है. रमन के इस ट्वीट के बाद प्रदेश में एक बार फिर बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर राजनीति गरमा गई है.
रमन सिंह ने ट्वीट के माध्यम से शायराना अंदाज पर भूपेश सरकार पर तंज कसा है. रमन सिंह ने अपने ट्वीट में कहा है कि "तुम हो कुछ और नजर कुछ और आते हो, अपनों को छलने का हुनर कहां से लाते हो" साथ ही रमन ने लिखा कि, सीएम भूपेश बघेल के प्रदेश हितैषी होने के दावे-वादे खोखले हैं. तभी प्रदेश के कारीगरों को छोड़कर बंगाल के कारीगरों से हथकरघा काम करा रहे हैं. ये स्वांग, ये ड्रामा, ये नौटंकी जनता सब समझती है.
हथकरघा विभाग पर बीजेपी ने लगाए गंभीर आरोप
इधर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने का कहना है कि पूर्व की रमन सरकार ने प्रदेश में लोगों को हथकरघा के माध्यम से रोजगार देने काम किया है. पूर्ववर्ती सरकार के द्वारा महिला स्व सहायता समूह को रोजगार दिया जाता था, लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद भूपेश सरकार इन महिला समूह का रोजगार छीनने में लगी हुई है. उपासने ने कहा कि हथकरघा विभाग ने पश्चिम बंगाल के कारीगरों को 70 लाख यूनिफार्म सिलने का काम दिया है.
सच्चिदानंद उपासने ने कहा कि प्रदेश में महिलाओं को काम देने के एवज में पैसे की मांग की जा रही है. इस प्रकार के भ्रष्टाचार का आरोप महिला स्व सहायता समूह ने लगाया है. उपासने ने कहा कि भूपेश सरकार छत्तीसगढ़ के गरीबों ओर महिलाओं के मुंह का निवाला छीनने का काम कर रही है. उन्होंने सरकार से इस तरह क्या काम करने वाले लोगों के खिलाफ संख्त कार्रवाई किए जाने की मांग की है.
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जांच के बाद दोषियों के खिलाफ होगी सख्त कार्रवाई: कांग्रेस
वहीं कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि हथकरघा विकास एवं विपणन विभाग प्रदेश के लोगों को रोजगार मुहैया कराता है. स्थानीय लोगों से बुनाई और सिलाई का काम लिया जाता है. इस संस्था के माध्यम से ही सरकारी संस्थाओं में गणवेश उपलब्ध कराया जाता है. ऐसे में अगर इस तरह की शिकायत मिल रही है, तो उसकी जांच कराई जाएगी. अगर जांच में शिकायत सही पाई जाती है, तो दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की जाएगी.
हथकरघा विभाग में मचा हड़कंप
वहीं दूसरी ओर विपक्ष के इस हमले के बाद हथकरघा विभाग में हड़कंप मच गया है. आनन-फानन में अधिकारियों ने मामले के जांच के आदेश दिए हैं. छत्तीसगढ़ राज्य हथकरघा विकास विपणन संघ मर्यादित रायपुर के प्रबंध संचालक राजेश सिंह राणा का कहना है कि ऐसा संभव ही नहीं है. हथकरघा के तहत दूसरे राज्य के लोगों को गणवेश सिलाई का काम दिया गया हो. राणा ने बताया कि प्रदेश में कोऑपरेटिव सोसाइटी के द्वारा महिला स्व सहायता समूहो का रजिस्ट्रेशन किया जाता है. इन रजिस्टर समूह को ही विभाग काम देता है. ऐसे में दूसरे राज्य के समूह को काम दिया जाना संभव ही नहीं है.
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संघ कार्यालय में पदस्थ रेडीमेड कक्ष प्रभारी पर रिश्वत मांगने का आरोप
इसी बीच यह बात भी सामने आ रही थी कि संघ कार्यालय में पदस्थ रेडीमेड कक्ष प्रभारी के द्वारा काम देने के एवज में पैसे की मांग की जाती है. प्रभारी खुलेआम प्रबंध संचालक और अध्यक्ष के नाम पर पैसे की मांग करता है. इतना ही नहीं पैसा न देने पर इन महिला स्व सहायता समूह को सिलाई का काम नहीं दिया जाता है. महिला स्व सहायता समूह की इस शिकायत पर राजेश सिंह राणा का कहना है कि शिकायत मिलने के बाद जांच के आदेश दे दिए गए हैं. अगर शिकायत सही पाई जाती है तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
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हथकरघा विभाग प्रदेश के बेरोजगारों को रोजगार दे रहा
छत्तीसगढ़ राज्य हथकरघा विकास विपणन संघ मर्यादित के सचिव बीपी मनहर बताया कि हथकरघा विभाग लगातार प्रदेश के बेरोजगारों को रोजगार दे रहा है. विभाग, महिला स्व सहायता समूहों को समय-समय पर काम देता आ रहा है. उसका समय पर भुगतान भी कर रहा है. इस दौरान मनहर ने पिछले पांच साल में बुनाई और सिलाई कारीगरों को किए गए भुगतान का आंकड़ा भी जारी किया. आइए एक नजर डालते हैं विभाग के द्वारा साल 2016 से लेकर 8 सितंबर 2020 तक बुनाई और सिलाई के लिए किए गए भुगतान पर-
साल दर बुनाई-सिलाई की दी गई मजदूरी
साल 2016-17
- बुनाई की मजदूरी- 50 करोड़
- सिलाई की मजदूरी- 16.39 करोड़
साल 2017-18
- बुनाई की मजदूरी- 51.32 करोड़
- सिलाई की मजदूरी- 25.31 करोड़
साल 2018-19
- बुनाई की मजदूरी- 75.15 करोड़
- सिलाई की मजदूरी- 26.29 करोड़
साल 2019-20
- बुनाई की मजदूरी - 47.62 करोड़
- सिलाई की मजदूरी- 23.54 करोड़
साल 2020-21
- बुनाई की मजदूरी- 15.74 करोड़
- सिलाई की मजदूरी- 13.60 करोड़
15 करोड़ 74 लाख 13 हजार 60 रुपए का भुगतान किया गया. इन 5 सालों की बात की जाए तो लगातार बुनाई और सिलाई की मजदूरी का भुगतान बढ़ता गया है, यानी कि लोगों को ज्यादा रोजगार मिला है. वर्तमान में भी विभाग को लगभग 62 लाख गणवेश सिलाई का ऑर्डर मिला हुआ है, जिसमें से लगभग 50 लाख गणवेश तैयार हो चुके हैं.
मनहर का कहना है कि 247 बुनकर समितियों के माध्यम से लगभग 45 हजार बुनकरों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है. वहीं 486 महिला स्व सहायता समूह की 5 हजार 832 महिलाओं को गणवेश सिलाई का काम देकर रोजगार मुहैया कराया गया है. मनहर ने बताया कि विभाग के द्वारा लॉकडाउन के दौरान भी महिला स्व सहायता समूह की मदद के लिए मास्क सिलाई का काम दिया गया. इस दौरान इन महिला स्व सहायता समूह ने 4 लाख मास्क तैयार किए, जिन्हें शासकीय और निजी संस्थानों को भेजा गया. लॉकडाउन के दौरान मिले काम से खुश होकर इन महिला स्व सहायता समूह ने स्वेच्छा से मुख्यमंत्री सहायता कोष में 1 लाख 45 हजार रुपए दान भी दिया था. इस तरह से विभाग लगातार प्रदेश में लोगों को रोजगार मुहैया कराने का काम करता आ रहा है.
जांच के बाद होगा मामले का खुलासा
बता दें कि विभाग ने साफ कर दिया है कि किसी भी स्थिति में प्रदेश के बाहर के लोगों को विभाग के द्वारा कोई भी काम नहीं दिया गया है. जो भी काम विभाग ने दिए हैं. वह प्रदेश के बुनकरों और महिला स्व सहायता समूह को दिया है. ऐसे में विभाग इन दावों में कितनी सच्चाई है. इसका पता तो मामले की जांच के बाद ही चलेगा. अब देखने वाली बात है कि इस मामले में विभाग क्या कार्रवाई करता है. वही पक्ष और विपक्ष इस मुद्दे को कहां तक ले जाता है.