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Raksha Bandhan 2022: जानिए कब है रक्षाबंधन, क्या है राखी का महत्व ? - Raksha Bandhan is the festival of brother and sister

हर साल सावन माह की पूर्णिमा को रक्षा बंधन का त्यौहार मनाया जाता है. इसे राखी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. यह पर्व भाई-बहन के प्रेम का उत्सव है. इस बार 11 अगस्त को रक्षाबंधन (Raksha Bandhan is the festival of brother and sister) है.

Raksha Bandhan 2022
रक्षा बंधन 2022
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Published : Jul 3, 2022, 4:21 PM IST

रायपुर: भाई-बहन के बीच अटूट प्रेम और पावन रिश्ते की मजबूती का पर्व रक्षाबंधन है. हर साल सावन माह की पूर्णिमा को रक्षाबंधन पड़ता है. इस बार 11 अगस्त को रक्षाबंधन है. इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षासूत्र, राखी या मौली बांधकर उनके दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. भाई भी अपनी बहनों को उपहार देकर ताउम्र उनकी रक्षा का वचन देता (Raksha Bandhan is the festival of brother and sister) है.

रक्षा बंधन की कथाएं: पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार जब प्रभु श्रीहरि ने वामन अवतार लेकर राजा बलि का सारा राज्य तीन पग में ही मांग लिया था और राजा बलि को पाताल लोक में रहने को कहा, तब राजा बलि ने स्वयं श्रीहरि को पाताल लोक में अतिथि के रूप में उनके साथ चलने का आग्रह किया. इस पर श्रीहरि उन्हें मना नहीं कर पाए और उनके साथ पाताल लोक चले गए. लेकिन बहुत वक्त गुजरने के बाद भी जब प्रभु नहीं लौटे तो मां लक्ष्मी को चिंता होने लगी. अन्ततः नारद जी ने मां लक्ष्मी को राजा बलि को अपना भाई बनाकर और फिर उनसे तोहफा स्वरूप श्रीहरि को मांगने के लिए कहा. माता लक्ष्मी ने वैसा ही किया और राजा बलि के साथ अपना संबंध गहरा बनाने के लिए उनके हाथ में रक्षासूत्र बांधा.

ये कथा भी है प्रचलित:राखी को लेकर एक ऐसा ही प्रसंग मध्यकालीन भारतीय इतिहास में देखने को मिलता है. उस समय चित्तौड़ की गद्दी पर रानी कर्णावती आसीन थीं. वह एक विधवा रानी थीं. चित्तौड़ की सत्ता को कमजोर हाथों में देखकर गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने उनपर हमला कर दिया. ऐसे में रानी अपने राज्य को महफूज़ रखने में असमर्थ होने लगी. तब उन्होंने चित्तौड़ की रक्षा के लिए एक राखी मुगल सम्राट हुमायूं को भेजी. हुमायूं ने भी रानी कर्णावती की रक्षा हेतु अपनी एक सेना की टुकड़ी को चित्तौड़ भेजा. अन्ततः बहादुर शाह की सेना को पीछे हटना पड़ा था.

रक्षा बंधन का शुभ मुहूर्त: श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त , गुरुवार के दिन पूर्वाह्न 10 बजकर 38 मिनट से शुरू होकर उसके अगले दिन 12 अगस्त, शुक्रवार को सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर समाप्त होगी. उदयातिथि में त्योहार मनाने के नियमानुसार, रक्षाबंधन का पर्व 11 अगस्त के दिन मनाया जाएगा. 11 अगस्त को बहनें अपने भाइयों को सुबह 8 बजकर 51 मिनट से लेकर रात्रि 9 बजकर 19 मिनट के शुभ मुहूर्त के बीच राखी बांध सकती हैं.

रक्षाबंधन का शुभ योग: रक्षाबंधन के दिन चंद्रमा मकर राशि में रहेंगे और घनिष्ठा नक्षत्र के साथ शोभन योग भी लगेगा. वहीं, भद्रा काल को छोड़कर राखी बांधने के लिए पूरा 12 घंटे का समय मिलेगा. बता दें कि इस तिथि पर भद्रा काल और राहुकाल का विशेष महत्व है. भद्रा काल और राहुकाल में राखी नहीं बांधी जाती है. क्योंकि इस काल में शुभ कार्य वर्जित माना जाता है. कहा जाता है कि इस दौरान कोई भी शुभ कार्य करने से उसमें सफलता नहीं मिलती है.

रायपुर: भाई-बहन के बीच अटूट प्रेम और पावन रिश्ते की मजबूती का पर्व रक्षाबंधन है. हर साल सावन माह की पूर्णिमा को रक्षाबंधन पड़ता है. इस बार 11 अगस्त को रक्षाबंधन है. इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षासूत्र, राखी या मौली बांधकर उनके दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. भाई भी अपनी बहनों को उपहार देकर ताउम्र उनकी रक्षा का वचन देता (Raksha Bandhan is the festival of brother and sister) है.

रक्षा बंधन की कथाएं: पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार जब प्रभु श्रीहरि ने वामन अवतार लेकर राजा बलि का सारा राज्य तीन पग में ही मांग लिया था और राजा बलि को पाताल लोक में रहने को कहा, तब राजा बलि ने स्वयं श्रीहरि को पाताल लोक में अतिथि के रूप में उनके साथ चलने का आग्रह किया. इस पर श्रीहरि उन्हें मना नहीं कर पाए और उनके साथ पाताल लोक चले गए. लेकिन बहुत वक्त गुजरने के बाद भी जब प्रभु नहीं लौटे तो मां लक्ष्मी को चिंता होने लगी. अन्ततः नारद जी ने मां लक्ष्मी को राजा बलि को अपना भाई बनाकर और फिर उनसे तोहफा स्वरूप श्रीहरि को मांगने के लिए कहा. माता लक्ष्मी ने वैसा ही किया और राजा बलि के साथ अपना संबंध गहरा बनाने के लिए उनके हाथ में रक्षासूत्र बांधा.

ये कथा भी है प्रचलित:राखी को लेकर एक ऐसा ही प्रसंग मध्यकालीन भारतीय इतिहास में देखने को मिलता है. उस समय चित्तौड़ की गद्दी पर रानी कर्णावती आसीन थीं. वह एक विधवा रानी थीं. चित्तौड़ की सत्ता को कमजोर हाथों में देखकर गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने उनपर हमला कर दिया. ऐसे में रानी अपने राज्य को महफूज़ रखने में असमर्थ होने लगी. तब उन्होंने चित्तौड़ की रक्षा के लिए एक राखी मुगल सम्राट हुमायूं को भेजी. हुमायूं ने भी रानी कर्णावती की रक्षा हेतु अपनी एक सेना की टुकड़ी को चित्तौड़ भेजा. अन्ततः बहादुर शाह की सेना को पीछे हटना पड़ा था.

रक्षा बंधन का शुभ मुहूर्त: श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त , गुरुवार के दिन पूर्वाह्न 10 बजकर 38 मिनट से शुरू होकर उसके अगले दिन 12 अगस्त, शुक्रवार को सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर समाप्त होगी. उदयातिथि में त्योहार मनाने के नियमानुसार, रक्षाबंधन का पर्व 11 अगस्त के दिन मनाया जाएगा. 11 अगस्त को बहनें अपने भाइयों को सुबह 8 बजकर 51 मिनट से लेकर रात्रि 9 बजकर 19 मिनट के शुभ मुहूर्त के बीच राखी बांध सकती हैं.

रक्षाबंधन का शुभ योग: रक्षाबंधन के दिन चंद्रमा मकर राशि में रहेंगे और घनिष्ठा नक्षत्र के साथ शोभन योग भी लगेगा. वहीं, भद्रा काल को छोड़कर राखी बांधने के लिए पूरा 12 घंटे का समय मिलेगा. बता दें कि इस तिथि पर भद्रा काल और राहुकाल का विशेष महत्व है. भद्रा काल और राहुकाल में राखी नहीं बांधी जाती है. क्योंकि इस काल में शुभ कार्य वर्जित माना जाता है. कहा जाता है कि इस दौरान कोई भी शुभ कार्य करने से उसमें सफलता नहीं मिलती है.

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