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उत्तर रेलवे ने लॉकडाउन की चुनौती को स्वीकार किया: राजीव चौधरी

उत्तर रेलवे के जनरल मैनेजर राजीव चौधरी ने बताया कि सभी जोनल रेलवे में आगे रहते हुए उत्तर रेलवे ने इस चुनौती को स्वीकार किया और लॉकडाउन के दौरान मालभाड़ा रेलगाडियां चलाकर आवश्यक आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखने में अपना योगदान दिया.

Rajiv Chaudhary said Northern Railway accepts lockdown challenge
उत्तर रेलवे के जनरल मैनेजर राजीव चौधरी
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Published : Aug 7, 2020, 5:00 AM IST

नई दिल्ली: पूरी दुनिया कोरोना महामारी से लड़ रही है और एक बड़ी चुनौती का सामना कर रही है. भारतीय रेलवे को भी ऐसी ही एक गम्भीर स्थिति का सामना करना पड़ रहा है. सीमित संख्या में यात्री सुविधाओं के साथ-साथ प्लांनिंग की अधिकतर चीजों पर आशंकाओं के बादल मंडरा रहे हैं. हालांकि इस समय का फायदा उठाकर रेलवे अपने सालों से लंबित पड़े कामों को निपटा रही है.

'उत्तर रेलवे सबसे आगे'

उत्तर रेलवे के जनरल मैनेजर राजीव चौधरी ने बताया कि सभी जोनल रेलवे में आगे रहते हुए उत्तर रेलवे ने इस चुनौती को स्वीकार किया और लॉकडाउन के दौरान मालभाड़ा रेलगाडियां चलाकर आवश्यक आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखने में अपना योगदान दिया. रेलपथ और अन्य ढांचागत सुविधाओं का रख-रखाव एक कठिन काम है, जिसे लगातार किए जाने की जरूरत होती है. रेलवे ने इस समय का उपयोग बड़े पैमाने पर ढांचागत और अनुरक्षण कामों में तेजी लाने के लिए किया. लॉकडाउन के बाद अब अनलॉक के दौरान भी रेलवे अपने मिशन में रुकी नहीं है.


'जुलाई में किए बड़े-बड़े काम'

अनलॉक-2 की घोषणा होने के बाद जुलाई 2020 में रेलवे ने कई बड़े काम किए हैं. रेलवे का इंजीनियरिंग विभाग रेलपथों, रेल पुलों, रेल इमारतों जैसी सभी अवसंरचनाओं के रख-रखाव और अनुरक्षण का काम करता है. जुलाई 2020 के दौरान 14035 किलोमीटर रेलपथ की रिकॉर्डिंग की गई, जोकि सामान्य की लगभग दुगुनी है. 25 मार्च, 2020 से अब तक 60 हजार किलोमीटर रेलपथ की रिकॉर्डिंग की गई है. रेल पटरियों की दरारों को रोकने के लिए 3124 ट्रैक किलोमीटर पटरियों की यूएसएफडी टैस्टिंग की गई और जुलाई में ही 22009 रेल वैल्डिंग की गई.


'रेलवे लाइनों का काम सबसे ऊपर'

उन्होंने बताया कि रेलपथ रेलवे का सबसे कीमती और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा है. रेलगाडियों को सुरक्षित और सुचारू रूप से चलाने के लिए रेलपथों की नियमित निगरानी और रख-रखाव की आवश्यकता होती है. उत्तर रेलवे ने बड़े पैमाने पर पटरियों को बदलने, पूरे रेलपथ का नवीनीकरण करने, पुराने और खराब स्लीपरों को बदलने, रेलपथों की डीप-स्‍क्रीनिंग इत्यादि जैसे अनुरक्षण कार्य किए हैं. इस अवधि के दौरान 67 सीटीआर यूनिटों को बदलने, 112 ट्रैक किलोमीटर का रेल नवीनीकरण, 21 स्लीपर नवीनीकरण (प्राइमरी), 45 ट्रैक किलोमीटर प्लेन ट्रैक की डीप-स्क्रीनिंग, 61 टर्न-आउटों की डीप-स्क्रीनिंग, 43 टर्न-आउटों को बदलने और एक यार्ड ले-आउट में एक सुधार कार्य किया गया.

'ट्रैक के अन्य काम'

उन्होंने कहा कि उत्तर रेलवे ने रेलपथों के निरीक्षण के लिए अत्याधुनिक मशीनों का उपयोग कर रही है. मौजूदा उपकरणों के अलावा 1670 अतिरिक्त ट्रैक मशीनों का इस माह की दौरान इस्तेमाल किया गया और ट्रैक मशीनों द्वारा 408 टर्न-आउटों की टैम्पिंग, पीक्यूआरएस/टीआरटी द्वारा 15.2 ट्रैक किलोमीटर का नवीनीकरण, गिट्टी हटाने वाली मशीन द्वारा 40.5 मेन लाइन ट्रैक की डीप-स्क्रीनिंग और टी-28 ट्रैक मशीन द्वारा 13 टर्न-आउटों का बदलने का कार्य किया गया.

'पुलों की मरम्मत'

उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं, इस अवधि के दौरान उत्तर रेलवे ने अपने क्षेत्राधिकार में 11 बड़े और छोटे पुलों की मरम्मत का कार्य किया है. इसके अंतर्गत लखनऊ-जफराबाद रेल सेक्शन पर पुल संख्या 87ए के पुल के गर्डर बदलने, लखनऊ मंडल के उत्तरेटिया-जफराबाद सेक्शन के पुल संख्या 37 अप का सुधार कार्य, दिल्ली मंडल के दिल्ली-बठिंडा सेक्शन के पुल संख्या 12, सरहिंद-नंगलडैम सेक्शन पर पुल संख्या 320 का सुधार कार्य, अम्बाला मंडल के सहारनपुर-अम्बाला सेक्शन पर पुल संख्या 219 अप और अमृतसर स्टेशन पर फुट-ओवर-ब्रिज का विस्तार प्लेटफॉर्म नं0 6 और 7 तक करना शामिल है. उन्होंने कहा कि यात्रियों को सुगम और सुरक्षित यात्रा प्रदान करने और देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने में प्रतिबद्ध है.

नई दिल्ली: पूरी दुनिया कोरोना महामारी से लड़ रही है और एक बड़ी चुनौती का सामना कर रही है. भारतीय रेलवे को भी ऐसी ही एक गम्भीर स्थिति का सामना करना पड़ रहा है. सीमित संख्या में यात्री सुविधाओं के साथ-साथ प्लांनिंग की अधिकतर चीजों पर आशंकाओं के बादल मंडरा रहे हैं. हालांकि इस समय का फायदा उठाकर रेलवे अपने सालों से लंबित पड़े कामों को निपटा रही है.

'उत्तर रेलवे सबसे आगे'

उत्तर रेलवे के जनरल मैनेजर राजीव चौधरी ने बताया कि सभी जोनल रेलवे में आगे रहते हुए उत्तर रेलवे ने इस चुनौती को स्वीकार किया और लॉकडाउन के दौरान मालभाड़ा रेलगाडियां चलाकर आवश्यक आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखने में अपना योगदान दिया. रेलपथ और अन्य ढांचागत सुविधाओं का रख-रखाव एक कठिन काम है, जिसे लगातार किए जाने की जरूरत होती है. रेलवे ने इस समय का उपयोग बड़े पैमाने पर ढांचागत और अनुरक्षण कामों में तेजी लाने के लिए किया. लॉकडाउन के बाद अब अनलॉक के दौरान भी रेलवे अपने मिशन में रुकी नहीं है.


'जुलाई में किए बड़े-बड़े काम'

अनलॉक-2 की घोषणा होने के बाद जुलाई 2020 में रेलवे ने कई बड़े काम किए हैं. रेलवे का इंजीनियरिंग विभाग रेलपथों, रेल पुलों, रेल इमारतों जैसी सभी अवसंरचनाओं के रख-रखाव और अनुरक्षण का काम करता है. जुलाई 2020 के दौरान 14035 किलोमीटर रेलपथ की रिकॉर्डिंग की गई, जोकि सामान्य की लगभग दुगुनी है. 25 मार्च, 2020 से अब तक 60 हजार किलोमीटर रेलपथ की रिकॉर्डिंग की गई है. रेल पटरियों की दरारों को रोकने के लिए 3124 ट्रैक किलोमीटर पटरियों की यूएसएफडी टैस्टिंग की गई और जुलाई में ही 22009 रेल वैल्डिंग की गई.


'रेलवे लाइनों का काम सबसे ऊपर'

उन्होंने बताया कि रेलपथ रेलवे का सबसे कीमती और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा है. रेलगाडियों को सुरक्षित और सुचारू रूप से चलाने के लिए रेलपथों की नियमित निगरानी और रख-रखाव की आवश्यकता होती है. उत्तर रेलवे ने बड़े पैमाने पर पटरियों को बदलने, पूरे रेलपथ का नवीनीकरण करने, पुराने और खराब स्लीपरों को बदलने, रेलपथों की डीप-स्‍क्रीनिंग इत्यादि जैसे अनुरक्षण कार्य किए हैं. इस अवधि के दौरान 67 सीटीआर यूनिटों को बदलने, 112 ट्रैक किलोमीटर का रेल नवीनीकरण, 21 स्लीपर नवीनीकरण (प्राइमरी), 45 ट्रैक किलोमीटर प्लेन ट्रैक की डीप-स्क्रीनिंग, 61 टर्न-आउटों की डीप-स्क्रीनिंग, 43 टर्न-आउटों को बदलने और एक यार्ड ले-आउट में एक सुधार कार्य किया गया.

'ट्रैक के अन्य काम'

उन्होंने कहा कि उत्तर रेलवे ने रेलपथों के निरीक्षण के लिए अत्याधुनिक मशीनों का उपयोग कर रही है. मौजूदा उपकरणों के अलावा 1670 अतिरिक्त ट्रैक मशीनों का इस माह की दौरान इस्तेमाल किया गया और ट्रैक मशीनों द्वारा 408 टर्न-आउटों की टैम्पिंग, पीक्यूआरएस/टीआरटी द्वारा 15.2 ट्रैक किलोमीटर का नवीनीकरण, गिट्टी हटाने वाली मशीन द्वारा 40.5 मेन लाइन ट्रैक की डीप-स्क्रीनिंग और टी-28 ट्रैक मशीन द्वारा 13 टर्न-आउटों का बदलने का कार्य किया गया.

'पुलों की मरम्मत'

उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं, इस अवधि के दौरान उत्तर रेलवे ने अपने क्षेत्राधिकार में 11 बड़े और छोटे पुलों की मरम्मत का कार्य किया है. इसके अंतर्गत लखनऊ-जफराबाद रेल सेक्शन पर पुल संख्या 87ए के पुल के गर्डर बदलने, लखनऊ मंडल के उत्तरेटिया-जफराबाद सेक्शन के पुल संख्या 37 अप का सुधार कार्य, दिल्ली मंडल के दिल्ली-बठिंडा सेक्शन के पुल संख्या 12, सरहिंद-नंगलडैम सेक्शन पर पुल संख्या 320 का सुधार कार्य, अम्बाला मंडल के सहारनपुर-अम्बाला सेक्शन पर पुल संख्या 219 अप और अमृतसर स्टेशन पर फुट-ओवर-ब्रिज का विस्तार प्लेटफॉर्म नं0 6 और 7 तक करना शामिल है. उन्होंने कहा कि यात्रियों को सुगम और सुरक्षित यात्रा प्रदान करने और देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने में प्रतिबद्ध है.

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