रायपुर: छत्तीसगढ़ के एक दिवसीय दौरे पर आये राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत रायपुर पहुंचे. एयरपोर्ट पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उनका भव्य स्वागत किया. इसके बाद अशोक गहलोत सीधे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निवास पहुंचे, जहां उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात की.
संयुक्त प्रेस वार्ता: मुलाकात के बाद सीएम भूपेश बघेल और राजस्थान मुख्यमंत्री आशिक गहलोत ने संयुक्त प्रेस वार्ता की. सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि पत्राचार राजस्थान सरकार से भी और भारत सरकार से भी लगातार होता रहा है. राजस्थान सरकार को जो खदान मिला है, वो विधिवत भारत सरकार से ही उसे अलॉट हुआ. इस मांग के अनुरूप जो अलॉट हुआ है. उसकी विधिवत कार्रवाई की जा रही है. इसकी प्रक्रिया में समय लगता है.
लोगों की मांग पर हमने कभी समझौता नहीं किया: खदान अलॉटमेंट के बाद पर्यावरण और बहुत प्रकार के जो भारत सरकार के गाइडलाइन है. राज्य सरकार की गाइडलाइन है उसे पूरा करना होता है. पर्यावरण और स्थानीय लोगों की मांग से हमने कभी समझौता नहीं किया.हमारी सरकार का मूल मुद्दा भी यही है और उसमें जो स्थानीय लोग हैं और पर्यावरण को लेकर राज्य सरकार हमेशा गंभीर रही है. उसमें हमने कभी समझौता नहीं किया. इसी कारण आपने देखा होगा लेमरु एलिफेंट कॉरिडोर, जो हमने बनाया पिछली सरकार में 2007 से उनको अनुमति भारत सरकार से मिल गई थी. 450 वर्ग किलोमीटर की लेकिन हमने 1995 वर्ग किलोमीटर लेमरु एलिफेंट कॉरिडोर में नोटिफाई किया और उसमे 39 ब्लॉक उसमे आयोजित हैं, जिसमे छत्तीसगढ़ सरकार के भी 2 ब्लॉक जो भारत सरकार से अलॉट हुआ था वो भी लेमरु एलिफेंट में चला गया.
कोयले की किल्लत का राजस्थान में होगा ये असर: इस दौरान सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कोल सप्लाई बंद होने पर बड़ा नुक्सान हुआ है. इससे राज्य में बिजली संकट उत्पन्न होगा. कोयले के लिए हम भी छत्तीसगढ़ पर आश्रित हैं. कोयले की समस्या से राजस्थान के कई पावर प्लांट बंद हो जाएंगे.
राजस्थान में मंडरा रहा बिजली संकट: वहीं, इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रायपुर एयरपोर्ट पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा था कि बिजली के लिए राजस्थान को छत्तीसगढ़ पर निर्भर रहना पड़ता है. यदि छत्तीसगढ़ से कोयला नहीं मिला तो राजस्थान में पावर प्लांट बंद हो जाएंगे.उन्होंने कहा कि काफी लंबे समय से हम लोग मांग कर रहे हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से बातचीत भी हुई थी.अधिकारियों ने भी संपर्क किया था. हम लोग आज बातचीत करेंगे. गहलोत ने कहा कि बिजली की बहुत बड़ी आवश्यकता हमारे राजस्थान को हैं. राजस्थान के ऊपर बड़ा बिजली संकट मंडरा रहा है. पूरे राजस्थान की जनता इंतजार कर रही है कि कब हमें छत्तीसगढ़ की सरकार परमिट दे.
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ये है पूरा मामला: गौरतलब है कि राजस्थान थर्मल बिजली के उत्पादन के लिए आवश्यक कोयले के लिए मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ पर निर्भर है. जानकारी के अनुसार, भारत सरकार ने राजस्थान को 2015 में चार हजार 340 मेगावाट बिजली उत्पादन इकाइयों के लिए छत्तीसगढ़ के पारसा ईस्ट-कांटा बासन (पीईकेबी) में 15 एमटीपीए तथा पारसा में 5 एमटीपीए क्षमता के कोल ब्लॉक आवंटित किये थे. इनमें से पारसा ईस्ट-कांटा बासन कोल ब्लॉक के प्रथम चरण में हनन इस महीने पूरा हो चुका है और यहां से राजस्थान को कोयले की आपूर्ति अब नहीं हो सकेंगी. जिससे बिजली संकट पैदा हो सकता है. केन्द्रीय वन पर्यावरण एवं जलवायू परिवर्तन मंत्रालय और कोयला मंत्रालय ने पारसा कोल ब्लॉक से राजस्थान को कोयले की आपूर्ति के लिए आवश्यक स्वीकृतियां दे दी है. अब द्वितीय चरण में वन से संबंधित स्वीकृति छत्तीसगढ़ सरकार के समक्ष विचाराधीन है. राजस्थान का अधिकांश भू-भाग रेगिस्तानी है, जहां बिजली उत्पादन के लिए ना तो हाईड्रो पावर उपलब्ध है और ना ही कोयला उपलब्ध है.