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बोनसाई ट्री के शौक को रायपुर की पूर्णिमा ने स्टार्ट अप में बदला, हो रही है बंपर कमाई

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Published : Sep 13, 2021, 8:50 PM IST

Updated : Sep 16, 2021, 3:28 PM IST

रायपुर की पूर्णिमा जोशी ने बोनसाई ट्री (bonsai tree) की शुरुआत शौकिया तौर पर एक पेड़ के माध्यम से शुरू की थी. लेकिन बतौर करियर बोनसाई ट्री के कलेक्शन में उनके पास अलग-अलग फल और दूसरी तरह के बोनसाई ट्री के लगभग 400 कलेक्शन हैं.

Poornima Joshi
पूर्णिमा जोशी

रायपुर: राजधानी की रहने वाली एक महिला ने अपने हॉबी को करियर में बदला है. आज वो बोनसाई ट्री (bonsai tree) देशभर में ऑनलाइन बेच रही हैं. जी हां हम बात कर रहे हैं रायपुर की पूर्णिमा जोशी (Poornima Joshi) की, जिन्होंने लगभग 10 साल पहले बोनसाई ट्री बनाने का स्टार्टअप शुरू किया था. लेकिन आज धीरे-धीरे बोनसाई ट्री की डिमांड (demand for bonsai tree) बढ़ने लगी है. पूर्णिमा जोशी ने इसे स्टार्टअप (Startup) के तौर पर शुरू किया है. जिसका रिस्पॉन्स भी अच्छा मिल रहा है. बीते कुछ सालों में बोनसाई ट्री (bonsai tree) का चलन बढ़ा है. बोनसाई ट्री की सबसे खास बात यह है कि यह कम स्पेस वाली जगह यानी विंडो के आसपास या फिर बालकनी में आसानी से रखा जा सकता है. इसे रखने से ग्रीनरी महसूस होने के साथ साथ सुकून मिलता है.

शौक को पूर्णिमा ने स्टार्ट अप में बदला

10 साल पहले शुरू किया था बोनसाई ट्री बनाने का काम

बोनसाई ट्री (bonsai tree) की शुरुआत शौकिया तौर पर पूर्णिमा जोशी ने एक पेड़ के माध्यम से की थी. लेकिन बतौर करियर बोनसाई के कलेक्शन में उनके पास अलग-अलग फल और दूसरी तरह के बोनसाई ट्री के लगभग 400 कलेक्शन हैं. पूर्णिमा जोशी का कहना है कि बोनसाई ट्री का कलेक्शन (Bonsai Tree Collection) उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर शुरू किया है. जिसकी डिमांड भी है और लोग ऑनलाइन ऑर्डर भी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि 3 इंच से लेकर 60 इंच तक के बोनसाई ट्री उनके पास मौजूद है. जिसकी कीमत 300 रुपए से लेकर लगभग 40 हजार रुपए तक है.

क्या होता है बोनसाई ट्री

बोनसाई का मतलब बौने पौधे या काष्टीय पौधों को छोटा आकार (small size of woody plants) या आकर्षक रूप प्रदान करने की एक जापानी कला या तकनीक है. इन छोटे-छोटे पौधों को गमलों में या फिर किसी पॉट में उगाया जा सकता है. इस कला के तहत पौधों को सुंदर आकार देना, पौधों को पानी देने की विशिष्ट विधि और एक गमले से निकालकर दूसरे गमले में रोपित करने की विधियां शामिल है. इस तरह के बहुत सारे बौने पौधों को घर में रखकर एक हरा भरा बगीचा बनाया जा सकता है. बोनसाई पौधों को गमले में इस प्रकार उगाया जाता है कि उनका प्राकृतिक रूप तो बना रहे लेकिन आकार में बौने रह जाएं. बोनसाई ट्री को पूरे घर के किसी भी कोने में आसानी से रखा जा सकता है.

हर तरह के पेड़ और फलों के पौधों को बनाया जा सकता है बोनसाई ट्री

वृक्षों के चयन के समय उनके फूलों की सुंदरता कलियों और रंग रूप आदि का विशेष ध्यान रखा जाता है. अनार, आम, अमलतास, अमरूद, नीम, आंवला, बरगद, बाटब्रूस, संतरा, सेमल, गुलमोहर, पीपल, जकरेंडा, लीची, नीम, केसिया, नाशपत्ती, चमेली और बोगनवेलिया आदि हैं.

बोनसाई ट्री में कई तरह के गमलों का कर सकते हैं यूज

बोनसाई ट्री बनाने के लिए उथले गमलों का प्रयोग किया जाता है. इनकी जड़ों के आसपास मिट्टी कम रखी जाती है. वर्गाकार, आयताकार, गोलाकार, अंडाकार, षटकोणीय गमले इन पौधों के लिए ठीक रहते हैं. धीरे-धीरे बढ़ने वाले पौधे, गर्म हवा, आद्र जलवायु में तीन चार वर्ष तक और शुष्क जलवायु 4 से 6 वर्ष तक गमलों को बदलना होता है. बोनसाई ट्री को गर्मियों के शुरू होने के साथ ही कटाई-छटाई का कार्य किया जाता है. सदाबहार पौधों की कटाई-छटाई का कार्य सर्दियां शुरू होने से पहले ही की जानी चाहिए.

बोनसाई ट्री को तांबे के तारों से दें आकार

बोनसाई ट्री वाले गमलों में उद्यान की मिट्टी,पत्ती की खाद, बालू और रेत की बराबर मात्रा मिलाकर मिश्रण तैयार करना होता है. पौधे को मिट्टी सहित गमले से निकालकर जड़ों से मिट्टी और लकड़ी की सहायता से उसे ऊपर की ओर चढ़ाया जाता है. इसमें एक तिहाई मिट्टी जड़ों में लगी रहनी चाहिए. बोनसाई ट्री तैयार करते समय इनकी पतली शाखाओं के तांबा या एल्युमीनियम के तारों के सहारे निश्चित दिशा दी जानी चाहिए. शाखाओं के मजबूत होने के बाद तारों को वहां से हटा दिया जाना चाहिए.

बोनसाई ट्री के लिए नर्सरी की रहती है डिमांड

नर्सरी के सेल्समैन भावेश जैकब ने बताया कि बोनसाई ट्री परचेज किया जाता है. नर्सरी में लाने के बाद प्लांटेशन के समय मेडिकेशन के साथ ही एक दो महीने में उसकी कटाई, छटाई की जाती है. इसके साथ ही छह महीने का क्वारंटाइन पीरियड के बाद इन पौधों को सेल किया जाता है. आमतौर पर नर्सरी में बोनसाई ट्री नहीं बनाया जाता है. बाहर से परचेज करने के बाद नर्सरी में लाकर लोगों को यह बोनसाई प्लांट सेल किए जाते हैं.

रायपुर: राजधानी की रहने वाली एक महिला ने अपने हॉबी को करियर में बदला है. आज वो बोनसाई ट्री (bonsai tree) देशभर में ऑनलाइन बेच रही हैं. जी हां हम बात कर रहे हैं रायपुर की पूर्णिमा जोशी (Poornima Joshi) की, जिन्होंने लगभग 10 साल पहले बोनसाई ट्री बनाने का स्टार्टअप शुरू किया था. लेकिन आज धीरे-धीरे बोनसाई ट्री की डिमांड (demand for bonsai tree) बढ़ने लगी है. पूर्णिमा जोशी ने इसे स्टार्टअप (Startup) के तौर पर शुरू किया है. जिसका रिस्पॉन्स भी अच्छा मिल रहा है. बीते कुछ सालों में बोनसाई ट्री (bonsai tree) का चलन बढ़ा है. बोनसाई ट्री की सबसे खास बात यह है कि यह कम स्पेस वाली जगह यानी विंडो के आसपास या फिर बालकनी में आसानी से रखा जा सकता है. इसे रखने से ग्रीनरी महसूस होने के साथ साथ सुकून मिलता है.

शौक को पूर्णिमा ने स्टार्ट अप में बदला

10 साल पहले शुरू किया था बोनसाई ट्री बनाने का काम

बोनसाई ट्री (bonsai tree) की शुरुआत शौकिया तौर पर पूर्णिमा जोशी ने एक पेड़ के माध्यम से की थी. लेकिन बतौर करियर बोनसाई के कलेक्शन में उनके पास अलग-अलग फल और दूसरी तरह के बोनसाई ट्री के लगभग 400 कलेक्शन हैं. पूर्णिमा जोशी का कहना है कि बोनसाई ट्री का कलेक्शन (Bonsai Tree Collection) उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर शुरू किया है. जिसकी डिमांड भी है और लोग ऑनलाइन ऑर्डर भी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि 3 इंच से लेकर 60 इंच तक के बोनसाई ट्री उनके पास मौजूद है. जिसकी कीमत 300 रुपए से लेकर लगभग 40 हजार रुपए तक है.

क्या होता है बोनसाई ट्री

बोनसाई का मतलब बौने पौधे या काष्टीय पौधों को छोटा आकार (small size of woody plants) या आकर्षक रूप प्रदान करने की एक जापानी कला या तकनीक है. इन छोटे-छोटे पौधों को गमलों में या फिर किसी पॉट में उगाया जा सकता है. इस कला के तहत पौधों को सुंदर आकार देना, पौधों को पानी देने की विशिष्ट विधि और एक गमले से निकालकर दूसरे गमले में रोपित करने की विधियां शामिल है. इस तरह के बहुत सारे बौने पौधों को घर में रखकर एक हरा भरा बगीचा बनाया जा सकता है. बोनसाई पौधों को गमले में इस प्रकार उगाया जाता है कि उनका प्राकृतिक रूप तो बना रहे लेकिन आकार में बौने रह जाएं. बोनसाई ट्री को पूरे घर के किसी भी कोने में आसानी से रखा जा सकता है.

हर तरह के पेड़ और फलों के पौधों को बनाया जा सकता है बोनसाई ट्री

वृक्षों के चयन के समय उनके फूलों की सुंदरता कलियों और रंग रूप आदि का विशेष ध्यान रखा जाता है. अनार, आम, अमलतास, अमरूद, नीम, आंवला, बरगद, बाटब्रूस, संतरा, सेमल, गुलमोहर, पीपल, जकरेंडा, लीची, नीम, केसिया, नाशपत्ती, चमेली और बोगनवेलिया आदि हैं.

बोनसाई ट्री में कई तरह के गमलों का कर सकते हैं यूज

बोनसाई ट्री बनाने के लिए उथले गमलों का प्रयोग किया जाता है. इनकी जड़ों के आसपास मिट्टी कम रखी जाती है. वर्गाकार, आयताकार, गोलाकार, अंडाकार, षटकोणीय गमले इन पौधों के लिए ठीक रहते हैं. धीरे-धीरे बढ़ने वाले पौधे, गर्म हवा, आद्र जलवायु में तीन चार वर्ष तक और शुष्क जलवायु 4 से 6 वर्ष तक गमलों को बदलना होता है. बोनसाई ट्री को गर्मियों के शुरू होने के साथ ही कटाई-छटाई का कार्य किया जाता है. सदाबहार पौधों की कटाई-छटाई का कार्य सर्दियां शुरू होने से पहले ही की जानी चाहिए.

बोनसाई ट्री को तांबे के तारों से दें आकार

बोनसाई ट्री वाले गमलों में उद्यान की मिट्टी,पत्ती की खाद, बालू और रेत की बराबर मात्रा मिलाकर मिश्रण तैयार करना होता है. पौधे को मिट्टी सहित गमले से निकालकर जड़ों से मिट्टी और लकड़ी की सहायता से उसे ऊपर की ओर चढ़ाया जाता है. इसमें एक तिहाई मिट्टी जड़ों में लगी रहनी चाहिए. बोनसाई ट्री तैयार करते समय इनकी पतली शाखाओं के तांबा या एल्युमीनियम के तारों के सहारे निश्चित दिशा दी जानी चाहिए. शाखाओं के मजबूत होने के बाद तारों को वहां से हटा दिया जाना चाहिए.

बोनसाई ट्री के लिए नर्सरी की रहती है डिमांड

नर्सरी के सेल्समैन भावेश जैकब ने बताया कि बोनसाई ट्री परचेज किया जाता है. नर्सरी में लाने के बाद प्लांटेशन के समय मेडिकेशन के साथ ही एक दो महीने में उसकी कटाई, छटाई की जाती है. इसके साथ ही छह महीने का क्वारंटाइन पीरियड के बाद इन पौधों को सेल किया जाता है. आमतौर पर नर्सरी में बोनसाई ट्री नहीं बनाया जाता है. बाहर से परचेज करने के बाद नर्सरी में लाकर लोगों को यह बोनसाई प्लांट सेल किए जाते हैं.

Last Updated : Sep 16, 2021, 3:28 PM IST
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