रायपुर: छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या कम होती जा रही है. शनिवार को जारी एमईई रिपोर्ट के मुताबिक अब छत्तीसगढ़ के जंगलों में कान्हा और बांधवगढ़ से विचरण करके आने वाले बाघ ही बचे हैं. अचानकमार में 5, उदंती, इंद्रावती रिजर्व में 1-1 बाघ हैं. इस तरह 23 सालों में छत्तीसगढ़ के जंगलों में केवल 7 बाघ ही बचे हैं. तीन-तीन टाइगर रिजर्व और संरक्षण के नाम पर सालाना करोड़ों का खर्च करने के बावजूद प्रदेश के जंगलों में बाघों की संख्या में कमी विफलता को दर्शाती है.
सीएम बघेल ने लिखा पत्र: इसे लेकर सीएम बघेल ने एमपी और महाराष्ट्र के सीएम को पत्र लिखा है. बघेल ने दोनों राज्यों के सीएस से बाघों की मांग की है. इसे लेकर सीएम साफ किया है कि यहां बाघों के लिए वातावरण तैयार किया जा रहा है. साथ ही सीएम ने अंदेशा जताया है कि हो सकता है यहां के बाघ दूसरे राज्य चले गए हो. सीएम ने कहा कि हमारे यहां चीता बच नहीं पा रहे हैं.
हम लोगों का प्रयास यही है कि लगातार उसके लिए वातावरण बनाया जाए. क्योंकि मध्यप्रदेश-महाराष्ट्र उनका ट्रांजिट रूट भी पड़ता है. हो सकता है यहां के बाद दूसरे राज्य में चले गए हों. हमने मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र को लिखा भी है कि हमको बाघ दे दे. -भूपेश बघेल, मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़
ये रहा पिछला आंकड़ा: बाघों के पिछले रिकॉर्ड की बात करें तो छत्तीसगढ़ में साल 2022 में बाघों की संख्या 17 दर्ज की गई है. जो कि 2018 में की गई गणना के लिहाज से दो कम है. इसके पहले की बात की जाए तो साल 2014 में यह आंकड़ा 46 और 2010 और 2006 में 26-26 हुआ करती थी. ताजा आंकड़ों में सबसे ज्यादा 5 बाघ अचानकमार टाइगर रिजर्व में होने का अनुमान है. जबकि उदंती, सीतानदी और इंद्रावती अभयारण्य में एक-एक बाघ होने का अनुमान है.
आंकड़ों पर छिड़ी थी बहस: पिछली बार जब बाघों की संख्या 46 से घट कर 19 हो गई थी तब वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने आंकड़ों को गलत बताया था. चीफ वार्डन वाइल्ड लाइफ ने कहा था कि गलत आंकड़ों के लिये वे डब्ल्यूआईआई के खिलाफ केस करेंगे. इतना ही नहीं हाल के सालो में पुलिस और वन अमले ने बाघ के खाल की तस्करी वालों को गिरफ्तार भी किया है. यानी प्रदेश के जंगलों में बाघ के शिकारियों की भी आना-जाना लगा हुआ है. ऐसे में बाघों की संख्या में कमी का कारण शिकारियों को भी माना जा रहा है.