रायपुर: छत्तीसगढ़ में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पारा हाई है. आगामी विधानसभा चुनाव में पेसा कानून बड़ा मुद्दा बन सकता है. ऐसा हम इसलिए कह रहे, क्योंकि पेसा कानून के मुद्दे को लेकर लगातार आदिवासी आंदोलनरत हैं. इस मुद्दे को कहीं ना कहीं आम आदमी पार्टी ने भुनाने की कोशिश की है. बीते शनिवार को आप पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी के 10 चुनावी गारंटी में पेसा कानून को भी शामिल किया है. जिसके बाद अब छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में यह मुद्दा कहीं ना कहीं तूल पकड़ सकता है.
एक महीने में पेसा कानून लागू करेगी आप: आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल शनिवार को छत्तीसगढ़ पहुंचे. जहां उन्होंने जगदलपुर में एक विशाल सभा को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को लेकर आप की 10वीं गारंटी का भी ऐलान किया. अरविंद केजरीवाल ने सरकार बनने के एक महीने के अंदर पेसा कानून लागू किये जाने का ऐलान किया. जिसके तहत ग्राम सभा को सभी अधिकार दिए जाएंगे.
"केजरीवाल को नहीं पता छत्तीसगढ़ में पहले से लागू है पेसा कानून": केजरीवाल की 10वीं गारंटी पेसा कानून लागू करने की घोषणा पर कांग्रेस ने पलटवार किया है. कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर कहना है, "शायद केजरीवाल को पता ही नहीं है कि छत्तीसगढ़ में पहले से पेसा कानून लागू है और इसका लाभ यहां के आदिवासियों को मिल रहा है. लगातार बस्तर क्षेत्र में रोजगार देने का काम भी भूपेश सरकार कर रही है."
"आदिवासियों को जिस अधिकार से 15 साल तक भाजपा सरकार ने वंचित रखा, उस पेसा कानून का अधिकार भूपेश सरकार ने दिलाने का काम किया है. निर्दोष आदिवासियों को जेल से बाहर निकलने का काम कांग्रेस सरकार ने किया है." - धनंजय सिंह ठाकुर, प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस
"प्रोडक्ट बेचने निकले हैं केजरीवाल": केजरीवाल की 10वीं गारंटी पेसा कानून लागू करने की घोषणा पर भाजपा का कहना है कि, छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में सिर्फ कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही मुकाबला होगा. आम आदमी पार्टी की यहां कोई जगह नहीं है. अरविंद केजरीवाल प्रोडक्ट बेचने निकले हैं, लेकिन वह छत्तीसगढ़ में सफल नहीं हो पाएंगे. केजरीवाल इस तरह के सपने दिखाते हैं. यही सपने उन्होंने गुजरात, असम, हिमाचल, उत्तराखंड में दिखाया, लेकिन वह काम नहीं आया. यहां पर सीधी लड़ाई भाजपा कांग्रेस के बीच में है.
वोटरों को साधने राजनीतिक दल कर सकते हैं कोशिश: आपा के 10वीं गारंटी को राजनीतिक जानकार एवं वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा ने बड़ा मुद्दा बताया है. उनका कहना है, "आगामी विधानसभा चुनाव में पेसा कानून एक बड़ा मुद्दा बनकर सामने आ सकता है. जिसका लाभ लेने की कोशिश सभी राजनीतिक दल कर सकते हैं. इसकी वजह भी है. क्योंकि जो पेसा कानून वर्तमान में छत्तीसगढ़ में लागू है, उसका लाभ कहीं ना कहीं आदिवासियों को नहीं मिल रहा है. यही वजह है कि आज भी आदिवासी अपने अधिकारों के लिए आंदोलनरत हैं."
आखिर क्या है पेसा कानून? : आइये पहले पेसा कानून (PESA) को समझते हैं. पेसा का फुल फॉर्म [Panchayats provisions (Extension to Scheduled Areas) Act] है. इसे हिंदी में पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) कानून भी कहा जाता है. इस कानून को आज से करीब 26 साल पहले 24 दिसंबर, सन् 1996 में कुछ अपवादों एवं संशोधनों के साथ संविधान के भाग 9 के प्रावधानों को अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तारित करने के लिए अधिनियमित किया गया था. यह कानून किसी ग्राम सभा को अनुसूचित जनजाति इलाकों में प्राकृतिक संसाधनों के संबंध में निर्णय लेने की विशेष शक्ति देता है. मूल रूप से यह एक्ट अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए पारंपरिक ग्राम सभाओं के माध्यम से स्वशासन सुनिश्चित करने हेतु बनाया गया कानून हैं.
छत्तीसगढ़ में लागू है पेसा कानून: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में 7 जुलाई, 2022 को हुई कैबिनेट की बैठक में पेसा कानून के प्रारूप को मंज़ूरी दी गई थी. 8 अगस्त, 2022 को राजपत्र में प्रकाशन के साथ ही यह प्रदेश में लागू हो गया. उस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा था, "पेसा कानून पहले से था, लेकिन इसके नियम नहीं बनने के कारण इसका लाभ आदिवासियों को नहीं मिल पा रहा था. अब नियम बन जाने से प्रदेश के आदिवासी अपने जल-जंगल-जमीन के बारे में खुद फैसला ले सकेंगे. पेसा कानून लागू होने से ग्राम सभा का अधिकार बढ़ेगा. पेसा कानून के तहत ग्रामसभा के 50 प्रतिशत सदस्य आदिवासी समुदाय से होंगे. इसमें से 25 प्रतिशत महिला सदस्य होंगी. गांवों के विकास में निर्णय लेने और आपसी विवादों के निपटारे का भी उन्हें अधिकार होगा.