रायपुर : छत्तीसगढ़ में चिटफंड कंपनियों ने करोड़ों रुपए का गोलमाल करके अपना बोरिया बिस्तर समेट लिया. लोगों ने अपनी डूबी रकम वापस मिलने की उम्मीद छोड़ दी थी. लेकिन सीएम भूपेश की सरकार ने चिटफंड कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करके लोगों का पैसा वापस देने का काम शुरू किया. चुनावी साल में भला बीजेपी कहां पीछे रहने वाली थी. बीजेपी ने अब सहारा इंडिया में अटकी लोगों की रकम वापस करने के लिए सहारा पोर्टल हेल्प डेस्क खोला है. इसमें रजिस्ट्रेशन के बाद लोगों को उनकी अटकी हुई राशि वापस दिलाई जाएगी. विधानसभा चुनाव 2023 को देखते हुए दोनों ही पार्टियां एक दूसरे पर राजनीतिक फायदा लेने का आरोप लगा रहीं हैं. आज हम जानेंगे किस तरह छत्तीसगढ़ में चिटफंड कंपनियों में फंसा पैसा लोगों को वापस मिल रहा है और इसमें राजनीतिक दलों का क्या नफा है.
भूपेश सरकार ने चिटफंड कंपनियों पर कसा शिकंजा : छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की जब सरकार बनी, उसके बाद से ही चिटफंड कंपनियों के खिलाफ सरकार ने एक्शन लेने का मन बनाया. इस अभियान में काफी हद तक भूपेश सरकार सफल भी हुई. चुनावी साल में निवेशकों का पैसा लौटाकर कहीं ना कहीं भूपेश सरकार सहानुभूति हासिल करना चाहती है. क्योंकि जिन लोगों ने अपना पैसा डूबा हुआ मान लिया था, उनके लिए पैसा वापस मिलना अंधेरे में रास्ता मिलने जैसा है.
जून तक बघेल सरकार ने दिलाए 33 करोड़ रुपये: जब 2018 में भूपेश सरकार सत्ता में आई तो राज्य में चिटफंड कंपनियों को बैन कर दिया गया. सीएम भूपेश के निर्देश पर फरार हो चुकी चिटफंड कंपनियों के डायरेक्टर्स को दबोचकर छत्तीसगढ़ लाया गया. इसके बाद उनकी संपत्ति कुर्क करके निवेशकों का डूबा पैसा वापस करने की मुहिम शुरू हुई. जब्त संपत्तियों को कुर्क करके निवेशकों का पैसा लौटाया जा रहा है. जून 2023 तक 33.44 करोड़ रुपए निवेशकों को वापस किए जा चुके हैं. वहीं 465 मामलों में 690 लोगों की गिरफ्तारी हुई है, जिसमें चिटफंड कंपनी के डायरेक्टर और पदाधिकारी शामिल हैं.
बीजेपी ने सहारा निवेशकों के लिए शुरू किया हेल्प डेस्क : एक तरफ कांग्रेस चिटफंड कंपनियों में फंसा पैसा लोगों को वापस लौटा रही है. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी ने सहारा इंडिया परिवार में अटके रकम के लिए हेल्प डेस्क की शुरुआत की है. हाल ही में सहारा इंडिया में निवेशकों का पैसा वापस करने का ऐलान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने किया, जिसके बाद बीजेपी ने सहारा निवेशकों पीड़ित के पैसे लौटाने के लिए सहारा पोर्टल हेल्प डेस्क का शुभारंभ किया. इस पोर्टल में रजिस्ट्रेशन के बाद निवेशकों को उनका पैसा वापस मिलना शुरू हो जाएगा. आने वाले समय में बीजेपी प्रदेश के हर जिले में दो सेंटर्स खोलेगी.
हेल्प डेस्क कितने निवेशकों को होगा फायदा: सहारा रिफंड पोर्टल के जरिए उन निवेशकों के पैसे वापस मिलेंगे, जिनकी मेच्योरिटी पूरी हो गई है. बताया जा रहा है कि निवेशकों को क्लेम करने के 45 दिन बाद पैसे वापस मिलेंगे. सहारा समूह की समितियां 30 दिन के अंदर निवेशकों के दस्तावेजों का वेरिफिकेशन करेंगी. इसके बाद ऑनलाइन क्लेम दर्ज करने के 15 दिन के भीतर एसएमएस के जरिए निवेशकों को सूचना दी जाएगी. इसके बाद बैंक खाते में निवेश की रकम आ जाएगी. इस प्रोसेस में कम से कम 45 दिन लगेंगे. केंद्र सरकार की मदद से सहारा इंडिया पोर्टल के जरिए पहली बार में 5 हजार करोड़ रुपए का रिफंड होगा, जिसमें 10 करोड़ निवेशकों को बड़ी राहत मिलेगी.
कांग्रेस ने बताया पॉलिटिकल माइलेज लेने की कोशिश : सहारा पोर्टल हेल्प डेस्क को लेकर छत्तीसगढ़ में सिसायत भी तेज हो गई है. कांग्रेस के संचार विभाग प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने के मुताबिक सहारा कंपनी ने सेबी ने निवेशकों का रुपए 8 से 9 साल पहले जमा कर दिया था. नरेंद्र मोदी की सरकार बदनीयती के चलते निवेशकों को पैसा नहीं दे रही थी. अब जब चुनाव नजदीक आ गया है, पोर्टल बनाकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भाषण देकर पॉलिटिकल माइलेज लेने की कोशिश कर रहे हैं.
भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार को जवाब देना चाहिए जब सहारा कंपनी ने 5 हजार करोड़ रुपए से अधिक पैसा सेबी में जमा किया था, तो इतने दिनों तक गरीबो का पैसा क्यों रोका गया था, जितने दिन तक सेबी के पास निवेशकों का पैसा रोका गया, उतने दिनों का ब्याज क्या केंद्र सरकार देगी. -सुशील आनंद शुक्ला, प्रवक्ता, कांग्रेस
लोगों का पैसा वापस मिल रहा, कांग्रेस को खुश होना चाहिए-भाजपा: पूर्व मंत्री और विधायक बृजमोहन अग्रवाल के मुताबिक लाखों लोगों का पैसा सहारा कंपनी में डूब रहा था. देश के सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कोशिश करके सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से जो रोक लगी हुई थी उसे हटवाया है. अब लाखों लोगों के खाते में प्रारंभिक रूप से एक-एक लाख रुपए आएंगे. कांग्रेस को तो खुश होना चाहिए.
अगर केंद्र की भारतीय जनता पार्टी की सरकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने यह काम किया है. अगर भारतीय जनता पार्टी इसमें लोगों को सुविधाएं दे रही हैं तो इसमें कांग्रेस को खुश होना चाहिए. -बृजमोहन अग्रवाल, पूर्व मंत्री, बीजेपी
चुनावी साल में पॉलीटिकल माइलेज की कोशिश: राजनीतिक जानकार इसे चुनाव से जुड़ा फैसला मान रहे हैं. आने वाले 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं. 2023 में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में पॉलिटिकल माइलेज लेने के लिए सहारा निवेशकों के पोर्टल खोलने की कवायद है. हेल्प डेस्क और चिटफंड कंपनियों पर कार्रवाई इसकी बानगी है.
कांग्रेस हो या बीजेपी, दोनों ही दलों ने अपने-अपने स्तर पर प्राइवेट कंपनियों में पैसा लगाने वाले निवेशकों का पैसा लौटाने का काम किया है. भूपेश सरकार ने जहां चिटफंड कंपनियों में निवेशकों का डूबा पैसा लोगों को वापस दिलाया. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी ने सहारा इंडिया में फंसे हजारों करोड़ रुपए निवेशकों को लौटाने की तैयारी की है, जो कहीं ना कहीं आने वाले आगामी पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव समेत लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी के लिए संजीवनी का काम कर सकती है. -उचित शर्मा, राजनीतिक जानकार
चिटफंड को लेकर छ्त्तीसगढ़ में अब तक की कार्रवाई:
- 209 अनियमित कंपनियों के खिलाफ 465 मामले दर्ज.
- 401 केस में चालान कोर्ट में पेश.
- 465 मामलों में 690 डायरेक्टर्स और पदाधिकारियों की गिरफ्तारी.
- 64 केस में 37 कंपनियों की संपत्ति की नीलामी से 559890866 रुपये मिले.
- डूबी रकम वापस पाने 2595407 आवेदन आए.
- 454324 आवेदन का किया गया निपटारा.
- 2095407 आवेदन के निराकरण की चल रही कार्रवाई.
- 46 मामलों में 38 कंपनियों ने 334477743 रुपए निवेशकों को लौटाए.
- 29 मामलों में 21 कंपनियों से 225413123 रुपये सरकारी खाते में जमा.
चिटफंड कंपियों की जब्त और कुर्क संपत्ति की स्थिति : छत्तीसगड़ में कलेक्टर्स के पास 31 प्रकरणों में 17 कंपनियों की संपत्ति का ब्यौरा जमा है, जिनकी अनुमानित कीमत 24 करोड़ 82 लाख 30 हजार 233 रुपये है. इनकी नीलामी कोर्ट आर्डर के बाद कलेक्टर कार्यालयों में लंबित हैं. 95 मामलों में कुल 80 करोड़ 81 लाख 21 हजार 99 रुपये की संपत्ति कुर्क करने का आदेश कोर्ट ने किया है. 137 केस में संपत्ति की अनुमानित कीमत 678 करोड़ 68 लाख 63 हजार 423 रुपये आंकी गई है, जिसमें छ्त्तीसगढ़ के अंदर 116 करोड़ 63 लाख 95 हजार 262 रुपये और छत्तीसगढ़ के बाहर 562 करोड़ 04 लाख 68 हजार 161 रुपये की संपत्ति है. इनकी कुर्की के अंतरिम आदेश के लिए कलेक्टर के पास फाइल जमा है. इसी तरह 51 मामलों में 138 करोड़ 95 लाख 68 हजार 986 रुपये की संपत्ति चिन्हित की गई है. इसमें छ्त्तीसगढ़ के भीतर 107 करोड़ 99 लाख 31 हजार 586 रुपये आर छत्तीसगढ़ के बाहर 30 करोड़ 96 लाख 34 हजार 400 रुपये की संपत्ति है. इनकी कुर्की को लेकर न्यायालय में केस चल रहा है. ये सारी जानकारी जून 2023 तक की है.