रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक साल पहले 19 अगस्त को जन्माष्टमी के अवसर पर प्रदेश के 124 निकायों में कृष्णकुंज योजना की शुरुआत की थी.इस योजना के शुरु होने के बाद उम्मीद थी कि जिन जगहों पर योजना के तहत वृक्षारोपण हुआ है.वहां हरियाली के साथ फलदार वृक्ष भी रौनक बढ़ाएंगे. साथ ही साथ कृष्णकुंज में लोगों के लिए वॉक करने के लिए सुविधाएं भी बढ़ेंगी. रायपुर के तेलीबांधा में भी कृष्ण कुंज की शुरुआत की गई थी. ईटीवी भारत ने एक साल बाद तेलीबांधा के कृष्ण कुंज का जायजा लिया.
कृष्ण कुंज के दोनों ही गेट में लटका मिला ताला : जिस जोर शोर के साथ कृष्ण कुंज योजना की शुरुआत की गई थी. उतनी रौनक एक साल बाद रायपुर के तेलीबांधा कृष्ण कुंज में देखने को नहीं मिली. ईटीवी भारत की टीम जब मौके पर पहुंची तो मौके पर दोनों ही गेट पर ताले लटके मिले. कृष्ण कुंज के आसपास दुकानें हैं.जहां से पूछताछ करने पर पता चला कि कृष्ण कुंज का गेट सिर्फ साफ सफाई और माली की देखरेख करने के लिए ही खुलता है. इस दौरान लोगों को कृष्ण कुंज के अंदर जाने की मनाही होती है. इस दौरान कई तरह के निर्माण कार्य कृष्ण कुंज के अंदर कराए जा रहे हैं. जो अब तक पूरे नहीं हुए हैं. यानी जिन सुविधाओं को एक साल के अंदर लोगों को देकर कृष्ण कुंज को खोलना था वो ताले में बंद है.
कब खोला गया था कृष्ण कुंज : आपको बता दें कि पिछले साल 19 अगस्त 2022 को कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर के तेलीबांधा में कृष्ण कुंज का शुभारंभ किया था. इस दौरान सीएम भूपेश ने भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना कर पौधारोपण किया था. इस दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कृष्ण कुंज में कदम्ब का पौधा लगाया. तेलीबांधा में बनाए गए कृष्ण कुंज के 1.68 हेक्टेयर में 383 पौधे रोपे गए हैं. उसके बाद से लगातार यहां पर सौंदर्यीकरण का काम चल रहा है. लेकिन एक साल से ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद भी सौंदर्यीकरण का काम नहीं पूरा हो सका है.
कोंडागांव और केशकाल में कृष्णकुंज की हुई शुरुआत |
महासमुंद में कृष्ण कुंज का निर्माण और वृक्षारोपण |
छत्तीसगढ़ में कृष्णकुंज के लिए 124 निकायों का चयन |
कितने जगहों पर बनने हैं कृष्ण कुंज ? : छत्तीसगढ़ में लगभग 162 स्थान पर कृष्ण कुंज बनाए जाने हैं. जिसकी जवाबदारी जिले के कलेक्टर को मिली है.कृष्ण कुंज में बरगद, पीपल, कदंब जैसे सांस्कृतिक और जीवनोपयोगी पौधे लगाए गए हैं. जिसमें आम, इमली, बेर, गंगा इमली, जामुन, गंगा बेर, शहतूत, तेंदू, चिरौंजी, अनार, कैथा, नीम, गूलर, पलाश, अमरूद, सीताफल, बेल और आंवला के पौधों का रोपण किया गया है .