रायपुर : कोल लेवी घोटाला केस में गिरफ्तार आईएएस रानू साहू को आज विशेष अदालत में पेश किया गया. रानू साहू के साथ निखिल चंद्राकर भी पेशी हुई. ईडी ने दोनों आरोपियों की 14 दिनों की रिमांड मांगी थी. जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया. आईएएस रानू साहू और निखिल चंद्रकार को 18 अगस्त तक न्यायिक रिमांड पर जेल भेजा गया है.
क्यों रानू साहू की हुई गिरफ्तारी ? : ED की जांच में इस बात का पता चला कि कोल स्कैम केस में सूर्यकांत तिवारी के साथ आईएएस रानू साहू का क्लोज एसोसिएशन है. कोयले से जुड़ी लेवी का सारा कारोबार कोरबा से हो रहा है. रानू साहू जब कोरबा कलेक्टर थीं इस दौरान सूर्यकांत तिवारी ने कमीशन का पैसा रानू साहू को दिया. उस घूस की राशि से आईएएस साहू ने संपत्तियों को खरीदा. जिसके बाद ने रानू की 5.52 करोड़ रुपए की सम्पत्ति का अटैचमेंट किया है.
क्या है कोल लेवी घोटाला ?: छत्तीसगढ़ में कोल घोटाले का पर्दाफाश ईडी ने किया है. जिसमें ईडी के मुताबिक 540 करोड़ रुपए का हेरफेर किया गया है. इस मामले में ईडी ने कई कारोबारियों और नौकरशाहों पर भी शिकंजा कसा है. जिसमें मुख्य रूप से आईएएस अधिकारी समीर विश्नोई और राज्य सेवा की अधिकारी सौम्या चौरसिया शामिल हैं. ये दोनों भी जेल में बंद हैं. इसके अलावा लक्ष्मीकांत तिवारी और सुनील अग्रवाल भी कोल घोटाले मामले में जेल की हवा खा रहे हैं.
कौन हैं रानू साहू ? : रानू साहू साल 2010 बैच की छत्तीसगढ़ कैडर की आईएएस अफसर हैं.लेकिन कोरबा में उनका कार्यकाल सबसे ज्यादा विवादित रहा. आईएएस रानू साहू कोरबा में कलेक्टर के पद पर एक साल तक रहीं. इस दौरान एक साल का कार्यकाल उनके पूरे कैरियर पर भारी रहा.एक साल के कार्यकाल में रानू साहू और राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल के बीच नहीं बनीं.इस दौरान मंत्री ने उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाएं.इसके बाद उनका ट्रांसफर रायगढ़ किया गया.जहां कलेक्टर रहते उनके घर पर ईडी का छापा पड़ा.छापेमारी के बाद सरकार ने रानू साहू को मंत्रालय में अहम जिम्मेदारी दी.लेकिन 21 जुलाई को दोबारा ईडी ने जब रानू साहू के निवास पर छापा मारा तो उनकी गिरफ्तारी हुई.तब से रानू साहू जेल में हैं.
आईएएस रानू साहू को कोर्ट ने भेजा दस दिन के लिए जेल |
आईएएस रानू साहू को कोर्ट ने चार अगस्त तक भेजा जेल |
आईएएस रानू साहू कोल लेवी स्कैम मामले में कोर्ट में होंगी पेश |
कौन हैं सूर्यकांत तिवारी ? : सूर्यकांत तिवारी महासमुंद के रहने वाले कोल कारोबारी हैं. शुरुआत से ही सूर्यकांत कांग्रेस से जुड़े रहे हैं. उन्हे छात्र जीवन में एनएसयूआई का जिला अध्यक्ष भी बनाया गया था.इसके बाद वो कांग्रेस के दिग्गज नेता विद्याचरण शुक्ल के करीब आए.लेकिन पार्टी में कोई बड़ा पद नहीं मिला. सूर्यकांत तिवारी ने महासमुंद नगर पालिका का चुनाव भी लड़ा था, लेकिन हार गए थे. उसके बाद कभी राजनीति में मुखर नहीं हुए और व्यापार में ही आगे बढ़ते गए.ऐसा कहा जाता है जिसकी सरकार होती है.उसके नेताओं के साथ सूर्यकांत तिवारी अक्सर नजर आते हैं.
कोल कारोबार में सूर्यकांत तिवारी की अच्छी पकड़ है. सबसे पहले जब आईटी ने सूर्यकांत तिवारी के ठिकानों पर दबिश दी तो करोड़ों के अवैध संपत्ति का खुलासा हुआ. इसके कुछ दिन बाद ही ईडी ने 11 अक्टूबर को सूर्यकांत तिवारी के घर छापा मारा . घर में मिले अवैध हिसाब के कारण सूर्यकांत तिवारी को कोल घोटाला मामले में दोषी बनाया गया. 29 अक्टूबर को सूर्यकांत ने विशेष अदालत के सामने सरेंडर किया.तब से वो जेल में हैं.
निखिल चंद्राकर का क्या है रोल ?:निखिल चंद्राकर को ईडी ने कोयला और अवैध वसूली के मामले में किंगपिन सूर्यकांत तिवारी का प्रमुख सहयोगी बताया है. इसके साथ ही इस पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड सूर्यकांत तिवारी का बेहद खास है. ईडी के अनुसार निखिल चंद्राकर सूर्यकांत तिवारी का वह मोहरा था, जिसे कोड वर्ड के माध्यम से इंस्ट्रक्शन दिए जा रहे थे. कोयले के पैसे को हवाले के रूप में लाने ले जाने का काम निखिल चंद्राकर करता था.निखिल चंद्राकर कोल घोटाले और अवैध वसूली के मामले में पैसों का हेरफेर करता था. शुरुआती जांच में ईडी ने निखिल से पूछताछ की और पूछताछ के बाद उसे छोड़ दिया था. जिसके बाद वो फररा हो गया. लेकिन ईडी ने निखिल को महाराष्ट्र से गिरफ्तार किया.
सौम्या चौरसिया ने सुप्रीम कोर्ट से याचिका ली थी वापस : आपको बता दें कि राज्य सेवा की अफसर सौम्या चौरसिया ने सुप्रीम कोर्ट में पीएमएलए की सेक्शन 50 और 56 को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी.लेकिन याचिका पर सुनवाई से पहले ही सौम्या चौरसिया ने इसे वापस ले लिया.