रायपुर: हरियाली तीज व्रत कुंवारी कन्या और सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास त्यौहार होता है. उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में हरियाली तीज मनाया जाता है.साल भर सुहागिन महिलाएं इस व्रत का इंतजार करती हैं. तीज पर्व में महिलाएं माता पार्वती की पूजा, व्रतृ, अनुष्ठान पूरी श्रद्धा के साथ करतीं हैं. सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए ये व्रत करती हैं.
तीज पर्व क्यों है खास? : ऐसी मान्यता है कि माता पार्वती ने 107 जन्म लिए और अनवरत अनादि शंकर के लिए समर्पण भाव से तपस्या की. अपने 108वें जन्म में माता पार्वती को भगवान शंकर पति रूप में मिले. इसीलिए माना जाता है कि इस दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में माता पार्वती की पूजा करने से पति की उम्र लंबी हो जाती है.
तीज पर बना संयोग क्यों है खास? : इस साल तीज व्रत के दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र, सिद्ध योग, तैतिल और वव करण, उत्पाद आनंद योग, रवि और तृतीय योग का संयोग वन रहा है. जो काफी लाभदायक माना जाता है. इस साल इसी संयोग में हरियाली तीज व्रत धूमधाम से भक्तिमय वातावरण में मनाया जाएगा.
तीज पर माता पार्वती की पूजा विधि: आज के शुभ दिन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं भक्तिमय वातावरण में माता पार्वती की पूजा करें. इस दिन महिलाओं के साथ ही कुंवारी कन्या भी माता पार्वती और भोलेनाथ का ध्यान कर पूरे दिन निर्जला उपवास कर सकतीं हैं. माता पार्वती के मंत्रों का जाप करें. इस दौरान "ओम उमायें नमः और ओम जानकी नाथाय नमः मंत्रों का श्रद्धापूर्वक पाठ करें.
कैसे करें माता पार्वती की पूजा? : महिलाएं सुबह स्नानादि के बाद साफ हरे कपड़े पहनें. जिसके बाद महिलाएं विधि विधान से माता पार्वती और शंकर जी की पूजा करें. पूजा पाठ के बाद सामूहिक रूप से उद्यान या बगीचे में इस त्यौहार को मनाया जाता है. पैरों में आलता, हाथों में मेहंदी लगाकर इस पर्व को उल्लास के साथ मनाते हैं. इस दिन आनंद उत्सव के साथ झूला झूलने का भी विधान है. झूले में हरी पत्तियों का श्रृंगार कर झूला झूला जाता है. आनंद उत्सव में नृत्य और गायन के बीच यह पर्व भक्ति साथ मनाया जाता है.
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माता पार्वती की कथा का करें पाठ: सुबह उठकर स्नान करें. इसके बाद मां पार्वती और शिव की प्रतिमा के आगे श्रद्धापूर्वक व्रत का संकल्प लें. इसके साथ ही पार्वती सहस्त्रनाम, पार्वती स्रोत, माता पार्वती की कथा श्रद्धा भाव से विनम्रता के साथ सुनें या पढडे. वैसे तो श्रावण का महीना कथाओं को श्रवण (सुनने) के लिए भी जाना जाता है. इस पूरे महिनों में शिव कथा, भागवत कथा, विष्णु कथा और सभी देवी देवताओं की कथाएं सुनी जाती है. वेद, उपनिषद, भगवत गीता भी सुना जाता है.