रायपुर : राजधानी के हृदय स्थल कहे जाने वाले बूढ़ा तालाब स्वामी विवेकानंद सरोवर का कुछ ही समय पहले सौंदर्यीकरण किया गया था. इस दौरान सरोवर की साफ-सफाई नौका विहार के लिए अलग जगह बनाई गई. बच्चों के खेलने के लिए इस गार्डन में काफी अच्छी व्यवस्था की गई थी. जिसमें झूला गार्डन, म्यूजिकल फाउंटेन, ओपन जिम समेत कई सुविधाएं शामिल थीं.सौदर्यीकरण के बाद इस सरोवर का रूप ही बदल चुका था. इस सौंदर्यीकरण में करीब 14 करोड़ की राशि खर्च की गई थी. लेकिन इतनी राशि खर्च करने के बाद भी इस विवेकानंद सरोवर की मेंटनेंस नहीं की गई.जिसके कारण आज एक बार फिर ये सरोवर और यहां के गार्डन बदहाल स्थिति में हैं.
तालाब और गार्डन एरिया की हालत है खस्ता : बूढ़ा तालाब स्वामी विवेकानंद सरोवर की मौजूदा स्थिति की बात करें तो यहां की बाउंड्रीवाल टूट चुकी है.बच्चों के लिए गार्डन एरिया में लगी फिसल पट्टी अब फिसलन लायक नहीं बची.म्यूजिकल फाउंटेन में कुछ लाइट्स ही सही सलामत हैं.वहीं ओपन जिम के लिए जितनी भी एक्सरसाइज सामग्रियां गार्डन के बगल में लगीं थी वो कबाड़ हो चुकी हैं.यहीं नहीं साफ सफाई नहीं होने से पाथ वे धसक चुका है. गार्डन में जंगली घास का कब्जा है.जिसमें बच्चों को कभी भी कीड़े काटने का खतरा हो सकता है.ईटीवी भारत ने जब गार्डन की तस्वीरें महापौर तक पहुंचाई तो उन्होंने इसमें जल्द सुधार करने को कहा.
" कुछ चीजें बनती हैं तो वह मेंटेनेंस मांगती हैं. क्योंकि उसे बने 2 साल हो चुके हैं. इस गार्डन का अब हम ग्लोबल टेंडर करने जा रहे हैं. इससे हम वहां की व्यवस्थाएं जो झूले हैं जो टूट चुके हैं, जो वोटिंग का एरिया है उसका रखरखाव किया जाएगा. वर्तमान रखरखाव की स्थिति को लेकर मैंने एमआईसी में चर्चा की है बहुत जल्दी ही यह काम किया जाएगा." एजाज ढेबर,महापौर
लेकिन जब महापौर से पूछा गया कि गार्डन का मेंटनेंस की जिम्मेदारी क्यों किसी को नहीं दी गई.तो उनका कहना था कि मेंटनेंस को लेकर वो एमआईसी में चर्चा करते हैं.लेकिन जिस ठेकेदार को काम दिया जाता है.वो काम बीच में ही छोड़कर चला जाता है.जिसके कारण ऐसी स्थिति बनती है.
वही स्मार्ट सिटी के जनरल मैनेजर आशीष मिश्रा के मताबिक बूढ़ा तालाब प्रोजेक्ट में हम 2 फेस में काम कर रहे हैं. फर्स्ट फेस की शुरुआत 2019 में हुई थी. इसलिए वहां के जो उपकरण हैं वह टूट फूट जाते हैं.अधिकारियों ने बूढ़ा तालाब का निरीक्षण किया है.जहां जो कमी मिल रही है उसे दुरुस्त किया जा रहा है. वहीं निगम की नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे ने महापौर पर ही सवाल उठाए हैं.
" कोई भी काम जब होता है तो वह अंडर मेंटेनेंस होता है. बूढ़ा तालाब गार्डन का काम अभी अंडर मेंटेनेंस है. हाल ही में साढ़े 11 करोड़ की लागत से बना पाथ वे 1 महीने भी नहीं हुआ कि वह धसक गया. फाउंटेन जिसे इतना पैसा खर्च करके बनाया गया सिर्फ 1 महीने चला. उसके बाद उसमें कोई गति ही नहीं रही. रही बात ठेकेदारों कि तो बूढ़ा तालाब का प्रोजेक्ट कोई छोटे-मोटा प्रोजेक्ट नहीं है. यदि ठेकेदार भाग जाता है तो साफ है कि महापौर का अपने टीम पर कोई दबाव ही नहीं है. महापौर को ठेकेदार के भागने पर उनका भुगतान तुरंत रोक देना चाहिए." मीनल चौबे, निगम, नेता प्रतिपक्ष
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करोड़ों खर्च लेकिन जनता को नहीं हो रहा फायदा : आपको बता दें कि करोड़ों रुपए खर्च करके विवेकानंदर सरोवर का सौंदर्यीकरण तो कर दिया गया.लेकिन मेंटनेंस नहीं होने से सौंदर्यीकरण में अब दाग लगने लगा है. स्मार्ट सिटी के नाम पर जो भी पैसे तालाब और गार्डन को संवारने के लिए खर्च किए गए उनका फायदा तभी है जब आम आदमी को इस जगह पर आकर सुकून मिले.ना कि तकलीफों से दो चार होना पड़े.