रायपुर : छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से पहले टिकट वितरण को लेकर कांग्रेस ने फॉर्मूला बनाया था. जिसमें ब्लॉक स्तर पर हर छोटे बड़े नेता को आवेदन जमा करना था. इन आवेदनों की स्क्रूटनी और फिर एक से अधिक दावेदार होने पर पैनल बनाने की जिम्मेदारी भी ब्लॉक अध्यक्षों को दी गई थी. जिसमें नामों को फाइनल करने के बाद प्रदेश स्तर की कमेटी तक पहुंचाना था. इसके बाद ये नाम सीईसी को भेजे जाते और वहां पर दावेदार को टिकट मिलती.लेकिन कांग्रेस के इस फॉर्मूले पर उन्हीं के नेताओं ने सवाल उठाए हैं. कई विधानसभा क्षेत्रों में दावेदारों ने आरोप लगाए गए हैं कि आखिरी तारीख तक उनके आवेदन नहीं लिए गए और अब प्रदेश स्तर पर भी कोई जवाब नहीं मिल रहा है.लिहाजा इस गड़बड़ी को वो दिल्ली दरबार तक पहुंचाएंगे.
कुमारी शैलजा ने जिला स्तर पर आवेदन की कही थी बात : आपको बता दें कि टिकट के लिए आवेदन 22 अगस्त तक ब्लॉक लेवल पर मंगवाए गए थे.लेकिन किसी कारणवश आवेदन जमा नहीं कर पाने वालों को अगस्त की आखिरी तारीख तक का वक्त दिया गया था.जिसमें आवेदन उन्हें जिला स्तर पर जमा करना था. प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा ने इस बारे में जानकारी दी थी.लेकिन अब जब कांग्रेस पहली सूची तैयार कर रही है.ऐसे में भरतपुर विधानसभा के एक दावेदार ने स्थानीय विधायक के दबाव के कारण आवेदन नहीं लेने का आरोप लगाया है.
जिला कार्यालय में जमा किया आवेदन : भरतपुर सोनहत विधानसभा सीट से भगवान सिंह ने भी अपना आवेदन टिकट के लिए जमा करना चाहा.लेकिन ब्लॉक स्तर पर उनका आवेदन नहीं लिया गया.इसके बाद उन्होंने जिला कार्यालय में आवेदन जमा किया. लेकिन जिला स्तर में जमा हुए आवेदन प्रदेश स्तर तक आए या नहीं इसकी जानकारी नहीं मिल रही है. क्योंकि ना ही इन्हें आवेदन जमा करने की कोई रसीद दी गई है और ना ही ऐसी कोई सूची बनाई गई है.जिसमें ये पता चल सके कि बाद में जमा हुए आवेदन आए हैं या नहीं.
ब्लॉक में नहीं जमा किया आवेदन : भरतपुर सोनहत के दावेदार भगवान सिंह की माने तो वो ब्लॉक में आवेदन जमा करने गए थे. लेकिन वहां पर ब्लॉक अध्यक्ष नहीं मिले. इसके बाद उन्हें जिला में आवेदन जमा करने के लिए कहा गया.लेकिन प्रदेश कार्यालय में भी आवेदन की स्थिति का कोई पता नहीं चल रहा है.भगवान सिंह ने इस बात की शिकायत दिल्ली तक करने और स्थानीय विधायक से लोगों के नाराज होने की बात कही है.
''विधायकों से लोग अंदर से नाराज हैं.यदि प्रत्याशी नहीं बदल गया तो वहां से कांग्रेस का जीत पाना मुश्किल है. वर्तमान विधायक के द्वारा ब्लॉक अध्यक्षों पर दबाव बनाकर दावेदारों से आवेदन नहीं लिया गया है. भगवान सिंह, टिकट दावेदार, भरतपुर सोनहत विधानसभा
सरकारी नौकरी छोड़कर कांग्रेस की ली थी सदस्यता : भगवान सिंह के मुताबिक 30 साल पहले 1993 में उन्होंने शिक्षाकर्मी की नौकरी छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन की.इसके बाद कांग्रेस ने उन्हें उम्मीदवार भी बनाया था.लेकिन उन्हें बी फॉर्म नहीं मिला.इस वजह से वो चुनाव नहीं लड़ पाए.लेकिन 30 साल से लगातार वो कांग्रेस के लिए काम कर रहे हैं.इस दौरान उन्हें दोबारा टिकट नहीं मिली.अब उन्होंने जब दावेदारी की है तो उनका फॉर्म नहीं लिया गया.
अंतिम तिथि निकलने पर नहीं लिया जाएगा आवेदन : इन आरोपों को लेकर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी कार्यकर्ताओं के भरोसे ही चुनाव लड़ती है.इस बार अधिक लोगों ने दावेदारी पेश की है.ब्लॉक स्तर से आवेदन मंगवाकर प्रत्याशी का चुनाव किया जा रहा है.लेकिन आवेदन नहीं लेने के आरोप गलत हैं.अंतिम तिथि निकलने के बाद कुछ नहीं किया जा सकता.
''आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि निकल गई है. इसलिए अब आवेदन जमा करने का सवाल ही पैदा नहीं होता है.''- घनश्याम राजू तिवारी, प्रवक्ता कांग्रेस
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने अपने 21 प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. इसके बाद कांग्रेस में भी टिकट वितरण को लेकर दबाव बनने लगा था.जिसे लेकर सितंबर माह में सूची जारी करने की बात कही गई थी.लेकिन अब टिकट वितरण से पहले कई जगहों से दावेदार फॉर्म जमा नहीं होने का आरोप लगा रहे हैं.जो आने वाले दिनों में कहीं ना कहीं कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा सकता है.