रायपुर: भारत को मिशन मून चंद्रयान के तहत चंद्रमा के दक्षिणी छोर में चंद्रयान 3 के विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिग कराने में सफलता मिली है. चंद्रयान 3 की इस सफलता के बाद भारत ने इतिहास रचा दिया. भारत अब दुनिया का एकलौता ऐसा देश बन गया है, जिसने चंद्रमा के साउथ पोल में सफलतापूर्वक लैंडिंग किया है. अब सवाल उठता है कि चंद्रयान 3 चांद पर क्या करेगा. इसका जवाब जानने के लिए ETV भारत ने खगोल वैज्ञानिक से बात की.
लैंडिंग के बाद चंद्रमा पर क्या करेगा लैंडर: खगोल वैज्ञानिक विश्वास मेश्राम ने बताया, लैंडिंग के बाद चंद्रयान 3 का विक्रम लैंडर अपने अगले चरण को शुरू करेगा. विक्रम लैंडर में से रोवर निकलेगा, जिसका नाम है प्रज्ञान. प्रज्ञान रोवर 14 दिन तक चंद्रमा के आसपास के सतह पर घूमेगा और वहां पर परीक्षण करेगा. वहां पर कौन से मिनरल्स हैं, पानी की खोज की जाएगी. वहां क्या गैसें हैं? यदि हैं, तो कौन सी है और कैसी है? वहां कितनी ठंड है? वहां पर कितने माइनस डिग्री टेंपरेचर है? ऐसी संभावनाएं जताई जाती है कि वहां पर -2 डिग्री सेंटीग्रेट टेंपरेचर है. इन सारी चीजों की जानकारी प्रज्ञान रोवर लेगा और फिर ऑर्बिटर को मैसेज भेजेगा. फिर ऑर्बिटर इसरो के टेलीमैट्रीव सेंटर्स में चंद्रमा से जुड़ी जानकारियों को भेजेगा. जिसके बाद आंकड़ों और मिली जानकारियों का अध्ययन किया जायेगा.
चंद्रमा का हम केवल एक साइड का हिस्सा ही देख पाते हैं. दूसरे साइड का हिस्सा हमेशा अंधेरे में रहता है. चंद्रमा के दूसरे साइड के हिस्से को दक्षिणी ध्रुव कहा जाता है. वहां पर सैकड़ो सालों से बर्फ जमी हुई है, ऐसा अनुमान है कि, वहां पर सैकड़ों सालों से सूर्य की रोशनी नहीं पहुंच पाई है. तो उस जगह पर पानी की खोज लक्ष्य है. दूसरा उस साइड में कौन से मिनरल्स हैं, वहां ओजोन हीलियम या कौन सी गैस है, इन सभी की खोज हमारा महत्वपूर्ण लक्ष्य रहा है. इसलिए ही दक्षिणी ध्रुव पर उतरना भारत के साथ सभी देशों का लक्ष्य रहा है.- विश्वास मेश्राम, खगोल वैज्ञानिक
चांद के साउथ पोल में पहली बार हुई सफल लैंडिंग: चांद के दक्षिणी ध्रुव (साउथ पोल) पर उतरना भारत के साथ सभी देशों का लक्ष्य रहा है. चंद्रयान 3 के पहले जिस किसी ने भी चंद्र मिशन बनाया, उन्होंने चंद्रमा के इक्वेटर पर लैंडिंग की थी. लेकिन किसी ने भी चांद के साउथ पोल पर लैंड नहीं किया था. इसके लिए कई बार कोशिश भी हुई, लेकिन सभी असफल रहे. वैसे ही भारत का चंद्रयान-2 था, वह पूरी तरह सफल नहीं हो पाया था. उसका ऑर्बिटर अभी भी घूम रहा है, लेकिन चंद्रयान 2 ने चांद पर हार्ड लैंडिंग की थी. चंद्रयान 2 के असफलता से हमने सबक लिया और अब भारत पहला ऐसा देश है, जिसने चंद्रमा के साउथ पोल पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की है. चंद्रयान 3 के लैंडर का नाम विक्रम है और रोवर का नाम प्रज्ञान है.
विक्रम लैंडर ने चांद पर की सॉफ्ट लैंडिंग: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चांद के बारे में अधिक जानकारी लेने के उद्देश्य से मिशन मून चंद्रयान की शुरूआत की थी, जो पूरी तरह सफल रहा है. इसरो के चंद्रयान 3 ने LVM3-M4 रॉकेट के जरिये 14 जुलाई को दोपहर 2:35 बजे श्रीहरिकोटा से उड़ान भरी थी. अपने 40 दिनों के चंद्रमा तक के सफर के दौरान चंद्रयान 3 ने कई चरणों को पूरा किया. जिसके बाद चंद्रयान 3 का विक्रम लैंडर ने 23 अगस्त शाम 6:05 बजे चंद्रमा पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग किया.
अंतरिक्ष में यान भेजने के पीछे क्या है उद्देश्य: खगोल वैज्ञानिक विश्वास मेश्राम का कहना है, वैज्ञानिकों के शोध और अंतरिक्ष में यान को भेजने के पीछे खास उद्देश्य है. पृथ्वी पर मानव अकेली ऐसी जाती है, जो बुद्धिमान या होमोसेपियंस कहलाती है. क्या दूसरे ग्रहों पर भी ऐसे ही जीव पाए जाते हैं? क्या दूसरे ग्रह पर लोग रहते हैं या एलियन होते हैं? या पृथ्वी पर जीवन कैसे आया? यह एक बुनियादी सवाल है, जिसकी खोज में ऐसे अभियान चलाए जाते हैं. ज्ञान जो है सतत चलने वाली प्रक्रिया है."