रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी स्मार्ट सिटी रायपुर को स्मार्ट बनाने के मामले में तगड़ा झटका लगा है. देश के 100 शहरों के लिए शहरी विकास मंत्रालय की ओर से कराई जा रही स्मार्ट सिटी अवार्ड प्रतियोगिता से रायपुर पहले ही राउंड में बाहर हो गया है.
30 अप्रैल को इस अवार्ड प्रतियोगिता का दूसरा राउंड था, लेकिन पहले ही दौर में बाहर हुए रायपुर के लिए इस कॉम्पटिशन में पहले ही नो एंट्री का बोर्ड लग गया है. इसे लेकर अब भाजपा ने जहां नगर निगम की सत्ता में बैठी कांग्रेस पर काम पूरा न करने का आरोप लगाया है. माना जा रहा है कि स्मार्ट सिटी के अधूरे प्रोजेक्ट के काम की धीमी रफ्तार इस फजीहत की वजह है. स्मार्ट शहरों को 3 कैटेगरी में अवार्ड देने के लिए ये प्रतियोगिता हो रही है. इसमें प्रोजेक्ट अवार्ड, नवाचार यानी नए आइडिए के लिए और सिटी अवार्ड रखे गए हैं.
इस बार स्मार्ट सिटी अवार्ड जीतने वाले शहर के आम लोगों के लिए भी आकर्षक इनाम रखे गए हैं, लेकिन शहर के बाहर हो जाने से राजधानी के लोग अब इससे वंचित हो गए. देश में चार चरणों में स्मार्ट सिटी मिशन के लिए शहरों का चयन हुआ था. अवार्ड के लिए इसी आधार पर चार ग्रुप बनाए गए थे. रायपुर का चयन स्मार्ट सिटी के दूसरे चरण में हुआ था, इसलिए इस ग्रुप में रायपुर समेत 13 शहर थे. इनमें से 11 शहरों को अवार्ड के दूसरे राउंड के लिए चुना गया और रायपुर बाहर हो गया. इसे लेकर भाजपा ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि नगर निगम में पिछले 5 सालों से सत्ता पर कांग्रेस के महापौर हैं. इसके बावजूद इसके राज्य और केंद्र की भाजपा सरकार ने निगम को भरपूर फंड दिया है, लेकिन तमाम विवादों के चलते काम नही हो पाए और स्मार्ट सिटी में हम पिछड़ गए.
इसे लेकर कांग्रेस ने कहा है कि भाजपा ने लगातार राजनीतिक द्वेष के चलते काम करती रही है. स्मार्ट सिटी का जुमला देश के पीएम नरेंद्र मोदी ने दिया है. रायपुर शहर के निगम में हो रहे सारे काम राज्य सरकार सीधे ही कर रही थी और अब ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ा जा रहा है.
पहले राउंड में मिले थे 50 नंबर
अवार्ड की रेस में क्वालीफाई करने के लिए पहले 50 नंबर की कसौटी से गुजरना था. इसमें 30 नंबर प्रोजेक्ट के लागू किए जाने और काम की गति के थे. वहीं स्मार्ट सिटी के अंतर्गत प्रशासकीय स्तर पर किस तरह काम हो रहा है, बोर्ड की रेगुलर मीटिंग हो रही है या नहीं. किए जा रहे कामों का ऑडिट हो रहा है या नहीं ऐसे तमाम बिंदुओं पर 10 अंकों का प्रावधान था. वहीं स्मार्ट सिटी से जुड़े निवेशकों और शहर के लोगों की इसमें भूमिका के लिए 10 अंक भी थे.
प्रोजेक्ट की धीमी चाल से नुकसान
क्वालीफाई राउंड में अंकों का बड़ा हिस्सा प्रोजेक्ट लागू किए जाने और इसकी गति पर ही था. मिली जानकारी के मुताबिक 30 अंकों के इसी बिंदु पर शहर को कम अंक हासिल हुए. बाकी 10-10 अंकों के दो बिंदुओं पर भी शहर को औसत अंक ही हासिल हुए. अंकों की रैंकिंग के आधार पर ही 33 शहर चुने गए. इस लिहाज से शहर की रैंकिंग 100 स्मार्ट शहरों में 33वीं पायदान से भी कम रही. पचास में से शहर जरूरी 33 फीसदी अंक भी हासिल नहीं कर पाया.
अधूरे निर्माण कार्यों से फजीहत
स्मार्ट सिटी के कामों की गति हमेशा सवालों के घेरे में रही है. ज्यादातर प्रोजेक्ट तय समय से पीछे चल रहे हैं. इसकी वजह से प्रोजेक्ट की लागत भी बढ़ रही है. वहीं बहुत सारे कामों को अभी तक रिव्यू किया जा रहा है. कंपीटिशन में वित्तीय वर्ष 2018 -2019 यानी 1 अप्रैल 2018 से 2019 के बीच के कामों के आधार पर ही आकलन होना था. इससे पहले पूरे हुए प्रोजेक्टों को इसमें शामिल नहीं किया.