रायपुर : भक्ति और आस्था के कार्यों में श्रद्धालु अक्सर इतना खो जाते हैं कि बड़े-बड़े खतरे भी बिना सोचे समझे ही मोल ले लेते हैं. हाल ही में भोपाल में हुए एक दुखद हादसे में 11 श्रद्धालुओं ने अपनी जान गंवा दी. गणपति की आस्था में डूबे श्रद्धालु भोपाल में गणपति का विसर्जन करने के लिए बिना लाइफ जैकेट पहने नाव में सवार हुए थे.
इस घटना का जिक्र करना इसलिए जरूरी था ताकि इससे सीख लेकर अन्य घटनाओं को रोका जा सके, लेकिन छत्तीसगढ़ में न तो प्रशासन के जिम्मेदार और न ही आम लोगों हादसे से कोई सीख ली, तभी तो रायपुर की लाइफ लाइन कहीं जाने वाली खारून नदी में लोग भोपाल की तरह ही बिना लाइफ जैकेट पहने अपनी जान जोखिम में डालकर विसर्जन कर रहे हैं. आलम यह है कि सुरक्षा के इंतजाम देखने के लिए मौके पर पुलिस का एक भी जवान मौजूद नहीं था.
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प्रशासन ने नदी से हटाकर अस्थाई कुंड बनाया है, जिसमें लोग गणपति का विसर्जन कर रहे थे. विसर्जन के दौरान कोई अप्रिय घटना न हो. इसके लिए विसर्जन कुंड पर पुलिस अधिकारियों के साथ-साथ नगर निगम के कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है, लेकिन नदी के तट पर ध्यान देने वाला कोई नहीं है. भक्ति और आस्था में खो चुके लोग नदी में जाकर विसर्जन कर रहे हैं और इन्हें रोकने वाला यहां कोई नहीं है.
ऐसा नहीं है की लोगों को खतरे का अंदाजा नहीं है. इसके साथ ही नाव चलाने वाले प्रोफेशनल भी नहीं है. यहां के हालात ये हैं की न तो लोग और न ही नाविक खतरे को नहीं समझ पा रहे हैं. लोगों की तो छोड़िए नाविक तक लाइफ जैकेट नहीं पहन रहे हैं. ऐसे में सिस्टम और गणपति विसर्जन करने वाले दोनों को चाहिए कि वो विसर्जन के दौरान सुरक्षा का ध्यान रखे ताकि किसी अप्रिय घटना से बचा जा सके.