रायपुर: चावल से इथेनॉल बनाने के केंद्र सरकार के फैसले और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के इस पर अमल करने की घोषणा पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने विरोध दर्ज कराया है. साथ ही इन फैसलों को वापस लेने की मांग रखी है. माकपा ने राज्य सचिव ने केंद्र और राज्य सरकार पर निशाना साधा है.
माकपा के राज्य सचिव ने कहा है कि, जो देश भुखमरी सूचकांक में पूरी दुनिया में 102वें स्थान पर खड़ा हो, जिस देश में महिलाओं और बच्चों की आधी से ज्यादा आबादी कुपोषित हो, साथ ही जहां कोरोना वायरस प्रकोप के कारण खाने के विशाल भंडार होते हुए भी, जनता के बीच में भुखमरी तेजी से फैल रही हो ऐसे देश में केंद्र सरकार का चावल को इथेनॉल बनाने का लिया गया यह निर्णय जनविरोधी फैसला है.
कोरोना से खेती पर प्रभाव
माकपा के राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि आने वाले दिनों में कोरोना का प्रकोप बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं. यदि ऐसा होता है, तो हमारी अर्थव्यवस्था को बुरे दिन देखने पड़ेंगे. इसका किसानों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. ऐसे संकट के दौर में हमें अनाज के अतिरिक्त भंडार को बचाने और बढ़ाने की जरूरत है.
सरकार खोजे अन्य विकल्प
सचिव संजय पराते ने इथेनॉल बनाने के लिए सरकार को दूसरे विकल्पों पर गौर करने की बात कही है. इसमें निश्चित रूप से सड़े अनाज का उपयोग किया जा सकता है. लेकिन जहां एक ओर आम जनता के पास हाथ धोने के लिए साबुन तक ना हो, वहां केंद्र सरकार को अमीरों के हाथ धोने के लिए सैनिटाइजर और बायो-फ्यूल बनाने के लिए चावल का उपयोग करने की इजाजत नहीं दी जा सकती.
राज्य सरकार को नसीहत
माकपा नेता ने कहा कि 'प्रदेश की कांग्रेस सरकार को अपने नेता राहुल गांधी की बात पर ध्यान देना चाहिए और चावल से सैनिटाइजर और बायो-फ्यूल बनाने के अपने इरादों पर रोक लगाना चाहिए. प्रदेश सरकार के पास इस समय 12 लाख टन चावल का अतिरिक्त भंडार है. और यह संपत्ति हमारे प्रदेश की जनता को भुखमरी से बचाने की गारंटी देती है. जिसे इस प्रकार नष्ट नहीं किया जाना चाहिए. अनाज का उपयोग लोगों को भूख से बचाने के लिए होना चाहिए, न कि गोदामों में सड़ाने के लिए या अल्कोहल और शराब या सैनिटाइजर बनाने के लिए.