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रायपुर : QR कोड के साथ स्कूल पहुंची किताबें, पोर्टल पर नहीं है कोई कंटेंट

शिक्षा विभाग ने 10वीं तक की किताबों में हर सवाल के पीछे एक क्यू आर कोड छापा है, लेकिन इन कोड्स को स्कैन करने पर पोर्टल पर कोई जानकारी नहीं दिख रही है.

मिशन संचालक पी. दयानंद का
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Published : Jun 16, 2019, 8:03 AM IST

रायपुर : शिक्षा विभाग द्वारा पहली से 10वीं तक की किताबों में क्यूआर कोडिंग की गई है. कोड को स्कैन कर बच्चे सवालों का हल खोज सकते हैं. क्यू आर कोडिंग की गई ये किताबें स्कूलों को भिजवाई भी जा चुकी हैं, 24 जून से शिक्षा सत्र शुरू होने जा रहे है, लेकिन इन कोड्स को स्कैन करने पर पोर्टल पर कोई जानकारी नहीं दिख रही है.

QR कोड के साथ स्कूल पहुंची किताबें

दरअसल, विभाग ने पहली से लेकर 10वीं तक की किताबों में हर सवाल के पीछे एक क्यू आर कोड छापा है, जिसे दीक्षा नामक पोर्टल पर स्कैन करते ही सवाल का हल सामने आ जाएगा.

क्यूआर कोड से पढ़ाई में मिलेगी मदद
स्कूल शिक्षा विभाग ने किताबों में क्यू आर कोडिंग कर खूब वाहवाही बटौरी थी. साथ ही दावा किया था कि, अब बच्चों को ट्यूशन जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और माता-पिता अब बच्चों को घर पर ही क्यू आर कोडिंग के जरिए पढ़ा सकेंगे.

पोर्टल पर नहीं दिख रहा कुछ
3 महीने पहले लिए गए इस फैसले के बाद शिक्षा विभाग किताबों में क्यू आर कोडिंग करने में तो सफल रहा और किताबें स्कूलों को भेज भी दी गई है, लेकिन क्यूआर कोड स्कैन करने पर पोर्टल पर कुछ दिखाई नहीं दे रहा है.

'तय समय में हो जाएगा सब'
मामले में मिशन संचालक पी. दयानंद का कहना है कि, 'स्कूल का नया सत्र शुरू होने से पहले ही सारा मटेरियल तैयार कर लिया जाएगा और पोर्टल से लिंक कर दिया जाएगा. अब सवाल ये पैदा होता है कि भीषण गर्मी की वजह से शिक्षा सत्र शुरू होने का समय बढ़ा दिया गया है, लेकिन अगर ऐसा नहीं किया जाता तो 16 जून यानि कि सोमवार से स्कूल खुल जाते, ऐसे में शिक्षा विभाग की तैयारी कहीं न कहीं पूरी नहीं दिखाई दे रही है.

रायपुर : शिक्षा विभाग द्वारा पहली से 10वीं तक की किताबों में क्यूआर कोडिंग की गई है. कोड को स्कैन कर बच्चे सवालों का हल खोज सकते हैं. क्यू आर कोडिंग की गई ये किताबें स्कूलों को भिजवाई भी जा चुकी हैं, 24 जून से शिक्षा सत्र शुरू होने जा रहे है, लेकिन इन कोड्स को स्कैन करने पर पोर्टल पर कोई जानकारी नहीं दिख रही है.

QR कोड के साथ स्कूल पहुंची किताबें

दरअसल, विभाग ने पहली से लेकर 10वीं तक की किताबों में हर सवाल के पीछे एक क्यू आर कोड छापा है, जिसे दीक्षा नामक पोर्टल पर स्कैन करते ही सवाल का हल सामने आ जाएगा.

क्यूआर कोड से पढ़ाई में मिलेगी मदद
स्कूल शिक्षा विभाग ने किताबों में क्यू आर कोडिंग कर खूब वाहवाही बटौरी थी. साथ ही दावा किया था कि, अब बच्चों को ट्यूशन जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और माता-पिता अब बच्चों को घर पर ही क्यू आर कोडिंग के जरिए पढ़ा सकेंगे.

पोर्टल पर नहीं दिख रहा कुछ
3 महीने पहले लिए गए इस फैसले के बाद शिक्षा विभाग किताबों में क्यू आर कोडिंग करने में तो सफल रहा और किताबें स्कूलों को भेज भी दी गई है, लेकिन क्यूआर कोड स्कैन करने पर पोर्टल पर कुछ दिखाई नहीं दे रहा है.

'तय समय में हो जाएगा सब'
मामले में मिशन संचालक पी. दयानंद का कहना है कि, 'स्कूल का नया सत्र शुरू होने से पहले ही सारा मटेरियल तैयार कर लिया जाएगा और पोर्टल से लिंक कर दिया जाएगा. अब सवाल ये पैदा होता है कि भीषण गर्मी की वजह से शिक्षा सत्र शुरू होने का समय बढ़ा दिया गया है, लेकिन अगर ऐसा नहीं किया जाता तो 16 जून यानि कि सोमवार से स्कूल खुल जाते, ऐसे में शिक्षा विभाग की तैयारी कहीं न कहीं पूरी नहीं दिखाई दे रही है.

Intro:रायपुर शिक्षा विभाग में एक बड़ा बदलाव किया है उन्होंने सभी पुस्तकों में जो दसवीं तक की पुस्तकें हैं उनमें क्यूआर कोड लगाएं हैं जिससे स्कैन करके बच्चे सभी सवालों का हल जान सकेंगे नौवीं और दसवीं के जो किताबों में हर एक फार्मूले के बाद क्यूआर कोड लगाया गया था ताकि बच्चों को पढ़ाई में आसानी हो सके


Body:पुस्तकों में क्यूआर कोड लग चुके हैं और यह स्कूलों में भिजवाए भी जा चुके हैं 24 जून से नया सत्र शुरू होने वाला है लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि अब तक ना तो क्यूआर कोड के लिए फोटो बनकर तैयार हुआ है और ना ही इसको स्कैन करने के बाद जो मटेरियल उपलब्ध होगा वह बंद कर रेडी हुआ है दीक्षा पोर्टल के नाम से पोर्टल तैयार किया जाएगा जिससे स्कैन करते ही सभी प्रश्नों के हल प्राप्त हो जाएंगे लेकिन अब तक शिक्षा विभाग में नाकाम रही है केवल पुस्तकों में एक तस्वीर की तरह ही क्यू आर कोड चिपका दिए गए हैं इनका वास्तविक कोई उपयोग नजर नहीं आ रहा है

स्कूल शिक्षा विभाग ने qr-code के नाम पर खूब तारीफें बटोरी कई तरीके के वादे किए कि अब बच्चों को ट्यूशन का मुंह नहीं देखना पड़ेगा बच्चे घर में अपने माता पिता के साथ ही पढ़ पाएंगे जमीनी स्तर पर फिलहाल तो यह साबित होता नहीं दिखाई दे रहा है


Conclusion:केवल 3 महीने के भीतर या फैसला लिया गया कि पुस्तकों में क्यूआर कोड लगवाए जाएंगे और इससे तैयार भी किया गया लेकिन अब तक qr-code काम नहीं कर रहा है मिशन संचालक पी दयानंद का कहना है कि स्कूल का नया सत्र शुरू होने से पहले ही सारा मटेरियल तैयार कर लिया जाएगा और पोर्टल भी जल्दी रेडी हो जाएगा क्या होगा कि क्या वाकई में स्कूल का नया सत्र शुरू होने से पहले शिक्षा विभाग के बारकोड के लिए पोर्टल और मटेरियल दोनों तैयार कर पाती है

यहां एक बड़ा प्रश्न यह भी उठता है कि शिक्षा विभाग की तैयारियां पूरी नहीं हुई यह बात अलग है कि इस बार तारीख बढ़ा दी गई है लेकिन यदि तारीख ना बढ़ाई गई होती तो सोमवार से नया सत्र शुरू हो जाता तब तक बच्चों को किताबें दे दी जाती
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