रायपुर: गोवर्धन मठ आदिश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती रविवार को छत्तीसगढ़ पहुंचे. गुढ़ियारी में मीडिया से बातचीत में शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने धर्मांतरण को लेकर प्रदेश सरकार और छत्तीसढ़ के राज्यपाल को जिम्मेदार ठहराया है. उनका कहना है कि "छत्तीसगढ़ में हो रहे धर्मांतरण पर सरकार और राज्यपाल दोनों दोषी हैं."
धर्मांतरण पर हिंदू समाज को भी ठहराया जिम्मेदार: शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती का कहना है कि "सेवा के नाम पर हिंदू को अल्पसंख्यक बनाने का काम किया जा रहा है, जिसके लिए हिंदू समाज भी जिम्मेदार है. अपनी समस्याओं का समाधान मिलकर करना चाहिए. एक समिति का गठन करिए, जिसमें क्षेत्र के विधायक, सांसद और पार्षद को जोड़ा जाए. हर 3 महीने में उनके कार्यों के बारे में जानकारी ले."
रायपुर में तीन मठों के मठाधीश: तीन मठों के मठाधीश के रायपुर में आने के सवाल पर पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा "क्या आप उन्हें मान्यता देंगे, क्या आप शंकराचार्य बनकर घूमेंगे, तो मैं आपको शंकराचार्य मानूंगा? जिनका आप नाम ले रहे हैं, उनके गुरु जी का 99 वर्ष की उम्र में शरीर छूटा. दो-तीन सालों से वे उसी अस्वस्थ थे. लेकिन उन्होंने अपने जीवन काल में किसी को शंकराचार्य के पद पर आसित नहीं किया. अब आप इस बात को समझ सकते हैं."
स्वघोषित शंकराचार्य के सवाल पर रखा पक्ष: मीडिया ने जब पूछा कि वह स्वघोषित शंकराचार्य हैं तो स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा "उन्हें इसलिए स्वघोषित शंकराचार्य नहीं कह सकते क्योंकि मैं पुराने शंकराचार्य को जानता हूं. मैं नए शंकराचार्य को नहीं जानता. उन्होंने तीन तीन बार एक ही व्यक्ति को उस पद पर अवसित किया, आपको उनसे जाकर पूछना चाहिए."
"नरसिम्हा राव सरकार में ही बन जाते मंदिर मस्जिद": शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि "नरसिम्हा राव के शासनकाल के दौरान उन्होंने कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर भी बने और मस्जिद भी बने. लेकिन उस दौरान मैंने हस्ताक्षर नहीं किया. मेरे अपहरण करने और मुझे मरवाने का भी प्रयास किया गया. उस दौरान अगर मैंने हस्ताक्षर कर दिया होता, तो नरसिम्हा राव के शासनकाल के दौरान ही अयोध्या में मंदिर और मस्जिद एक साथ बन जाते या अगल बगल बनते."
"अगर आज कोई किसी भी दल का पक्षधर है, तो वह शंकराचार्य के पद का दायित्व निर्वहन नहीं कर सकता. यह शिव की गद्दी है. इसलिए लोभ, भय, कोरी भावुकता का प्रभाव जिसकी वाणी में नहीं है, वही इस पद के दायित्व निर्वाह कर सकता है. यह शिव की परंपरा है. जैसे तैसे व्यक्ति अगर शंकराचार्य बनकर घूमने लगे, तो वह शंकराचार्य नहीं है." -स्वामी निश्चलानंद सरस्वती, शंकराचार्य, पुरी
देश की सत्ता को लेकर बोले शंकराचार्य: देश की सत्ता में कैसी होना चाहिए इस सवाल पर स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा "जिसे राजतंत्र कहते हैं, वह लोकतंत्र नहीं है. मंत्रिमंडल में 4 शिक्षाविद ब्राह्मण होना चाहिए. 8 रक्षा विद क्षत्रिय होने चाहिए. 21 अर्थशास्त्र के विशेषज्ञ वैश्य होने चाहिए. 3 शूद्र कल्प-कारखाने और सेवा प्रकल्प को चलाने वाले होने चाहिए. 1 संस्कृति मंत्री होना चाहिए. आज के समय में राजनीति के नाम पर उन्माद है. चुनाव की प्रक्रिया में सज्जन व्यक्ति वहां तक पहुंच जाए, यही कठिन है. अगर कोई पहुंच भी जाता है, तो उनकी टांग खींची जाती है."
"लोभ, भय, भावुकता को त्यागें और किसी के सामने घुटना नहीं टेके. शंकराचार्य का यह दायित्व होता है. ब्रह्मा ज्ञान से युक्त हो, शास्त्रों का बल हो, वेग हो. तपस्या इतनी प्रबल होगी, कि कोई नीचे गिराने के लिए समर्थ ना हो." -स्वामी निश्चलानंद सरस्वती, शंकराचार्य, पुरी
"राजनीति के नाम पर उन्माद तंत्र चल रहा": स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा "आजकल राजनीति के नाम पर उन्माद तंत्र चल रहा है. इसको राजनीति नहीं कह सकते." राजनीति में धर्म की परिभाषा को परिभाषित करते हुए शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने कहा "राजनीति राजधर्म, दंड, नीति, अर्थनीति और छात्र धर्म, यह पांचों पर्यायवाची हैं और एकार्थक हैं." राजनीति में हो रही तुष्टीकरण पर कहा कि "राजनीति के नाम पर यह अभिशाप है. राजनीति को ही राजधर्म कहते हैं."
16 जून रायपुर में होगी धर्मसभा: गोवर्धन मठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज का 16 जून को प्राकट्य दिवस रायपुर के रावनभाठा मैदान में मनाया जाएगा. इस दौरान धर्मसभा का भी आयोजन होगा और रुद्राभिषेक किया जाएगा. इस कार्यक्रम में 11 हजार लोग कलश यात्रा में भाग लेंगे. इस दौरान आयोजित धर्म सभा में लगभग 21 हजार लोग शामिल होंगे.