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Raipur latest news छत्तीसगढ़ की एक ऐसी बस्ती, जहां की दीवारों पर हो रहे भगवान के दर्शन - Gods painting on walls in purani basti of Raipur

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के पुरानी बस्ती की गलियों में अब जगह जगह भगवान के दर्शन हो रहे हैं. Gods painting on walls in purani basti of Raipur किसी दीवार पर राधा-कृष्ण की लीलाएं हैं, तो किसी में हनुमान जी की बड़ी से तस्वीर दिखाई दे रही है. (purani basti wall penting in raipur) यह काम रायपुर स्मार्ट सिटी ने हैरिटेज वॉल प्रोजेक्ट के तहत किया हैं. जिसमें पुरानी बस्ती के 1.8 किमी तक की दीवारों में भगवान के अलावा छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपराओं को वॉल पेंटिंग के माध्यम से उकेरा हैं. Raipur latest news

purani basti wall penting in raipur
वॉल पेंटिंग से मन मोह रही पुरानी बस्ती की गलियां
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Published : Dec 26, 2022, 9:03 PM IST

Updated : Dec 26, 2022, 11:55 PM IST

रायपुर की इस बस्ती में दीवारों पर हो रहे भगवान के दर्शन

रायपुर: राजधानी रायपुर की पुरानी बस्ती की गलियां पूरी तरह से भक्तिमय माहौल में रमी नजर आ रही है. Gods painting on walls in purani basti of Raipur राम-सीता का वियोग हो, तो कहीं तपस्या में लीन भोलेनाथ नजर आ रहे हैं. इन जगहों पर जाने से लगा रहा है कि आप काशी या किसी तीर्थस्थल पर पहुंच गए हैं. (Initiative to beautify heritage with wall painting) पुरानी बस्ती के दीवारों पर पेंटिंग करने का यह काम रायपुर स्मार्ट सिटी ने हैरिटेज वॉल प्रोजेक्ट के तहत किया हैं. Raipur latest news

पुरानी बस्ती के लोगों में खुशी: पुरानी बस्ती के रहने वाले पं संजय जोशी बताते हैं कि "पुरानी बस्ती रायपुर शहर का मुख्य इलाका है. पुरानी बस्ती के बाद रायपुर शहर फैला हैं. हमारे तैंतीस करोड़ कोटी देवी देवताओं के अलावा पुरानी तस्वीरों को भी अंकित किया गया है. (purani basti wall penting in raipur) साथ ही हमारे धरोहरों को भी बेहतर ढंग से वॉल पेंटिंग किया गया है. हमें बहुत अच्छा लग रहा है. कम कम से बच्चों को ये तो पता चल रहा है कि यह हनुमान जी हैं, यह राम जी हैं या अन्य हमारे देवी देवताएं हैं. उन्हें बच्चे अब उनके बारे में जान रहे हैं." wall painting of Bhagwan Basti in Raipur

बच्चों को अध्यात्म से जोड़ने की अनूठी पहल: पुरानी बस्ती निवासी सुमीत तिवारी कहते हैं कि "पहले हम लोग देखते थे कि स्ट्रीट नार्मल था, लेकिन अब इस स्ट्रीट देखते हुए एक किमी तक कब पहुंच जाते हैं पता ही नही चलता है. हमारा मोहल्ला इतना सुंदर हो गया है कि अब हम इन्हें निहारते रहते हैं पुरानी बस्ती ग्वालों की भी बस्ती हैं. यहां बहुत सी तस्वीरें गायों की भी हैं. यहां राधा कृष्ण के अलावा बहुत से भगवानों की पेंटिंग हैं. सबसे अच्छा यह लगता है कि यहां बहुत से बच्चे रहते हैं. बच्चों को अध्यात्म से जोड़ने का अनुठा पहल हैं. फिलहाल रायपुर के पुरानी बस्ती में ही इस तरह का रंग रोगन किया गया है. बाकी जगहों पर भी होना चाहिए." राहगीर भी इस काम की कर रहे तारीफ: रायपुर के अभिजीत वाजपेयी कहते हैं कि "यहां से गुजरता हूं तो बहुत अच्छा लगता है. यहां की दीवारों में गायों के अलावा हमारी देवी देवताओं की तस्वीर है, जो अपने आप में आकर्षण का केंद्र है. रायपुर की पुरानी जगहों में भी इसी तरह की वॉल पेंटिंग की जानी चाहिए, ताकि लोग जाने की हमारी संस्कृति क्या है."

यह भी पढ़ें: Happy New Year 2023: छत्तीसगढ़ में नए साल के जश्न पर पाबंदियों का पहरा, पार्टी के लिए परमिशन जरूरी, पढ़ लें ये गाइडलाइंस



हैरिटेज वॉक के तहत किया गया पेंटिंग: रायपुर स्मार्ट सिटी के जनसंपर्क अधिकारी आशीष मिश्रा कहते हैं कि "रायपुर स्मार्ट सिटी शहर के जो ऐतिहासिक विरासत हैं, उसे संवारने का काम कर रहा है. चूंकि 2018 और 19 में हमने हैरिटेज वॉक का एक प्रोग्राम लेकर आए थे. वह काफी सक्सेस हुआ था. हमारा जो हैरिटेज साइट्स है, वह 1.8 किमी का है, जिसमें सबसे पुराना दुरी टहरी, किले वाला बाबा और जैतूसाव मठ है. जहां की पूरी दीवारों को आकर्षक रूप दिया जा रहा है और प्रॉपर इस पर वॉल पेंटिंग कराकर खुबसूरत लुक दिया जा रहा हैं. साथ ही कोशिश किया जा रहा है कि कैसे हम अपनी विरासत को संवार सकते हैं, सहेज सकते हैं. इस मार्ग पर मां महामाया का भी मंदिर है, उसकी अपनी एक अलग धार्मिक मान्यता और इतिहास है. ऐसे में हम उस इलाके को सहेजने का काम कर रहे हैं.



यह है पुरानी बस्ती की खासियत: रायपुर की पुरानी बसाहटों में पुरानी बरती की अपनी एक अलग पहचान है. सबसे पुराना इलाका होने की वजह से इसका नाम पुरानी बस्ती हो गया. यहां करीब 600 साल पहले कल्चुरी शासक राजा ब्रह्मदेव राय का शासन था. राजा महाराजाओं के जमाने की बस्ती होने की वजह से यहां धनेली बाड़ा, शास्त्री बाड़ा, छुरा बाड़ा जैसे अनेक बाड़े मौजूद हैं. यह इलाका अध्यात्मिक और साहित्यिक तौर पर भी पहचाना जाता है. यहां साहित्यकार मावली प्रसाद श्रीवास्तव का निवास स्थान होने की वजह से देश भर के ख्यातिप्राप्त साहित्यकारों की महफिलें सजा करती थीं. अनेक बुद्धिजीवी और आध्यात्मिक गुरु इस इलाके की पहचान रखते हैं. पुरानी बस्ती में बहुत सी छोटी-छोटी गलियां है, जिसका केंद्र बिंदू टूरी हटरी है. अंग्रेजों के खिलाफ जारी जंग में भी जब अंग्रेज सैनिक स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को गिरफ्तार करने आती, तो इन्ही गलियों में अंग्रेजों को चकमा देकर बचा जाता था. इतना ही नहीं यह इलाका राष्ट्रीय चेतना के आंदोलन का भी केंद्र रहा है. इस तरह के प्रयोग को लोगों का अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. ऐसे में आने वाले दिनों में इस कवायद को आगे भी बढ़ाया जा सकता है.

रायपुर की इस बस्ती में दीवारों पर हो रहे भगवान के दर्शन

रायपुर: राजधानी रायपुर की पुरानी बस्ती की गलियां पूरी तरह से भक्तिमय माहौल में रमी नजर आ रही है. Gods painting on walls in purani basti of Raipur राम-सीता का वियोग हो, तो कहीं तपस्या में लीन भोलेनाथ नजर आ रहे हैं. इन जगहों पर जाने से लगा रहा है कि आप काशी या किसी तीर्थस्थल पर पहुंच गए हैं. (Initiative to beautify heritage with wall painting) पुरानी बस्ती के दीवारों पर पेंटिंग करने का यह काम रायपुर स्मार्ट सिटी ने हैरिटेज वॉल प्रोजेक्ट के तहत किया हैं. Raipur latest news

पुरानी बस्ती के लोगों में खुशी: पुरानी बस्ती के रहने वाले पं संजय जोशी बताते हैं कि "पुरानी बस्ती रायपुर शहर का मुख्य इलाका है. पुरानी बस्ती के बाद रायपुर शहर फैला हैं. हमारे तैंतीस करोड़ कोटी देवी देवताओं के अलावा पुरानी तस्वीरों को भी अंकित किया गया है. (purani basti wall penting in raipur) साथ ही हमारे धरोहरों को भी बेहतर ढंग से वॉल पेंटिंग किया गया है. हमें बहुत अच्छा लग रहा है. कम कम से बच्चों को ये तो पता चल रहा है कि यह हनुमान जी हैं, यह राम जी हैं या अन्य हमारे देवी देवताएं हैं. उन्हें बच्चे अब उनके बारे में जान रहे हैं." wall painting of Bhagwan Basti in Raipur

बच्चों को अध्यात्म से जोड़ने की अनूठी पहल: पुरानी बस्ती निवासी सुमीत तिवारी कहते हैं कि "पहले हम लोग देखते थे कि स्ट्रीट नार्मल था, लेकिन अब इस स्ट्रीट देखते हुए एक किमी तक कब पहुंच जाते हैं पता ही नही चलता है. हमारा मोहल्ला इतना सुंदर हो गया है कि अब हम इन्हें निहारते रहते हैं पुरानी बस्ती ग्वालों की भी बस्ती हैं. यहां बहुत सी तस्वीरें गायों की भी हैं. यहां राधा कृष्ण के अलावा बहुत से भगवानों की पेंटिंग हैं. सबसे अच्छा यह लगता है कि यहां बहुत से बच्चे रहते हैं. बच्चों को अध्यात्म से जोड़ने का अनुठा पहल हैं. फिलहाल रायपुर के पुरानी बस्ती में ही इस तरह का रंग रोगन किया गया है. बाकी जगहों पर भी होना चाहिए." राहगीर भी इस काम की कर रहे तारीफ: रायपुर के अभिजीत वाजपेयी कहते हैं कि "यहां से गुजरता हूं तो बहुत अच्छा लगता है. यहां की दीवारों में गायों के अलावा हमारी देवी देवताओं की तस्वीर है, जो अपने आप में आकर्षण का केंद्र है. रायपुर की पुरानी जगहों में भी इसी तरह की वॉल पेंटिंग की जानी चाहिए, ताकि लोग जाने की हमारी संस्कृति क्या है."

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हैरिटेज वॉक के तहत किया गया पेंटिंग: रायपुर स्मार्ट सिटी के जनसंपर्क अधिकारी आशीष मिश्रा कहते हैं कि "रायपुर स्मार्ट सिटी शहर के जो ऐतिहासिक विरासत हैं, उसे संवारने का काम कर रहा है. चूंकि 2018 और 19 में हमने हैरिटेज वॉक का एक प्रोग्राम लेकर आए थे. वह काफी सक्सेस हुआ था. हमारा जो हैरिटेज साइट्स है, वह 1.8 किमी का है, जिसमें सबसे पुराना दुरी टहरी, किले वाला बाबा और जैतूसाव मठ है. जहां की पूरी दीवारों को आकर्षक रूप दिया जा रहा है और प्रॉपर इस पर वॉल पेंटिंग कराकर खुबसूरत लुक दिया जा रहा हैं. साथ ही कोशिश किया जा रहा है कि कैसे हम अपनी विरासत को संवार सकते हैं, सहेज सकते हैं. इस मार्ग पर मां महामाया का भी मंदिर है, उसकी अपनी एक अलग धार्मिक मान्यता और इतिहास है. ऐसे में हम उस इलाके को सहेजने का काम कर रहे हैं.



यह है पुरानी बस्ती की खासियत: रायपुर की पुरानी बसाहटों में पुरानी बरती की अपनी एक अलग पहचान है. सबसे पुराना इलाका होने की वजह से इसका नाम पुरानी बस्ती हो गया. यहां करीब 600 साल पहले कल्चुरी शासक राजा ब्रह्मदेव राय का शासन था. राजा महाराजाओं के जमाने की बस्ती होने की वजह से यहां धनेली बाड़ा, शास्त्री बाड़ा, छुरा बाड़ा जैसे अनेक बाड़े मौजूद हैं. यह इलाका अध्यात्मिक और साहित्यिक तौर पर भी पहचाना जाता है. यहां साहित्यकार मावली प्रसाद श्रीवास्तव का निवास स्थान होने की वजह से देश भर के ख्यातिप्राप्त साहित्यकारों की महफिलें सजा करती थीं. अनेक बुद्धिजीवी और आध्यात्मिक गुरु इस इलाके की पहचान रखते हैं. पुरानी बस्ती में बहुत सी छोटी-छोटी गलियां है, जिसका केंद्र बिंदू टूरी हटरी है. अंग्रेजों के खिलाफ जारी जंग में भी जब अंग्रेज सैनिक स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को गिरफ्तार करने आती, तो इन्ही गलियों में अंग्रेजों को चकमा देकर बचा जाता था. इतना ही नहीं यह इलाका राष्ट्रीय चेतना के आंदोलन का भी केंद्र रहा है. इस तरह के प्रयोग को लोगों का अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. ऐसे में आने वाले दिनों में इस कवायद को आगे भी बढ़ाया जा सकता है.

Last Updated : Dec 26, 2022, 11:55 PM IST
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