हैदराबाद: कृषि कानून के विरोध की आग छत्तीसगढ़ भी पहुंच चुकी है. प्रदेश के किसान केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध करने के लिए अब सड़क पर उतर आए हैं. प्रदेश के 25 किसान संगठन एक मंच से विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. सैकड़ों की संख्या में किसान नेशनल हाई-वे पर एकजुट होकर धरना दे रहे हैं. किसान, केंद्र के कृषि कानून और राज्य सरकार के द्वारा धान खरीदी में लेटलतीफी को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. चक्काजाम के बाद प्रदर्शनस्थल पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है.
कृषि कानून के विरोध में स्टेट और नेशनल हाई-वे पर दोपहर से शाम 4 बजे तक किसानों का प्रदर्शन जारी रहेगा.
किसानों ने सेरीखेड़ी के पास किया चक्काजाम
केंद्र सरकार के नए कृषि कानून के खिलाफ और 15 नवंबर से धान खरीदी सहित अन्य मांगों को लेकर किसान संगठनों ने हल्ला बोला है. राजधानी के सेरीखेड़ी के पास एकजुट हुए किसान राष्ट्रीय राजमार्ग में बैठकर चक्काजाम कर दिया. चक्काजाम के चलते सड़क के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग गई. इस दौरान मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने प्रदर्शनकारी किसानों को सड़क से हटाया. जिसके बाद आवागमन शुरू हो सका.
बालोद में किसानों का हल्लाबोल
रायपुर-जगदलपुर नेशनल हाई-वे क्रमांक 30 में किसानों ने चक्का जाम किया. किसान कृषि कानून वापस लेने और 15 नवंबर से धान खरीदी की मांग को लेकर धरना पर बैठे हुए है. इस दौरान पुलिस और प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे हुए हैं और किसानों से चर्चा भी की है.
महासमुंद में सड़क पर किसान
राष्ट्रीय किसान संघर्ष समिति के बैनर तले महासमुंद में किसानों ने एनएच 53 में घोडारी के पास चक्का जाम कर दिया. किसान केंद्र के कृषि बिल को वापस लेने और 20 नवंबर से धान खरीदी शुरू करने की मांग कर रहे हैं. पुलिस ने जोर जबरदस्ती से किसानों को हटाया है.
दुर्ग में छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन ने किया चक्काजाम
राजधानी समेत प्रदेश के सभी शहरों में किसान केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ धरने पर बैठ गए हैं. शहर के मिनी माताचौक में दुर्ग-बालोद के किसानों ने चक्काजाम कर दिया है. प्रदर्शन के चलते यातायात पूरी तरह से प्रभावित हो गया है.
किसानों की प्रमुख मांगें
- केंद्र के नए कानून को वापस ले सरकार.
- मिनिमन सपोर्ट प्राइज नहीं मिनिमन गारंटेड कानून दे सरकार.
- प्रदेश सरकार प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान खरीदी करें.
- दिवासी से पहले धान खरीदी की मांग.
- चना और गेहूं की खरीदी भी सरकार करे.
- किसान न्याय योजना से सभी किसान को जोड़ा जाए.