रायपुर : छत्तीसगढ़ अभिकर्ता एवं उपभोक्ता सेवा संघ के प्रदर्शनकारियों ने एक ज्ञापन ईडी कार्यालय को और दूसरा ज्ञापन राज्यपाल को दिया. छत्तीसगढ़ अभिकर्ता एवं उपभोक्ता सेवा संघ का कहना है ''कि पूरे प्रदेश में 100 से अधिक चिटफंड कंपनी है, जिन्होंने एजेंटों के माध्यम से चिटफंड कंपनी में पैसा जमा करवाया,लेकिन आज तक किसी भी निवेशक का पैसा नहीं मिला.''
क्या है अभिकर्ता एवं उपभोक्ता सेवा संघ का आरोप : ईश्वर पटेल के मुताबिक "पूरे प्रदेश में 100 से अधिक चिटफंड कंपनी में लोगों ने अपना पैसा निवेश किया था. जिसमें गरीब और सामान्य व्यक्तियों का लगभग 10 हजार करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है. चिटफंड कंपनी में पैसा निवेश करने वाले लोगों को शासन प्रशासन की तरफ से मात्र आश्वासन ही मिला है. लेकिन अब तक लोगों के पैसे वापस नहीं मिल पाए हैं. प्रशासन के द्वारा कागजी कार्यवाही करने के साथ ही चिटफंड कंपनी के संचालक गिरफ्तार हुए. निवेश करने वाले लोगों का पैसा वापस नहीं मिल पाया.''
नेता और मंत्रियों की फोटो लगाकर हुई धोखाधड़ी : ईश्वर पटेल ने बताया कि '' अनमोल कंपनी, यालको, सहारा एसबीएन, साईं प्रसाद जैसी तमाम चिटफंड कंपनियों ने अपना व्यापार छत्तीसगढ़ के साथ ही दूसरे राज्यों में अपना जाल फैलाया था. चिटफंड कंपनी को अच्छा बताकर लोगों से पैसा जमा करवाया गया था. चिटफंड कंपनी के ब्रोशर में नेताओं और मंत्रियों के फोटो लगे होने के कारण लोग ऐसी कंपनियों के झांसे में आ गए. रोजगार मेला लगाकर अपनी कंपनी को प्रमोट करते थे. एक निर्धारित समय पूरा होने के बाद कंपनी बंद कर वहां का स्टाफ फरार हो गया. जिसका खामियाजा प्रदेश के गरीब और आम जनता को भुगतना पड़ रहा है.''
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20 लाख गरीब जनता की कमाई डूबी : छत्तीसगढ़ अभिकर्ता एवं उपभोक्ता सेवा संघ के प्रदेश अध्यक्ष गगन कुंभकार ने बताया कि "ईडी कार्यालय का घेराव करने के साथ ही प्रदर्शन करने के लिए राजधानी आए हैं. उनका कहना है कि चिटफंड कंपनी ने निवेशकों का पैसा लूटा है. 15 साल बीजेपी की सरकार थी और सरकार ने इन चिटफंड कंपनियों को संरक्षण देने के साथ ही चिटफंड कंपनियों का उद्घाटन कार्यक्रम में भी शामिल हुए थे. भाजपा के जनप्रतिनिधियों ने लोगों को कंपनी अच्छा होने का झांसा दिया था. साल 2009 और 2010 में इसकी जांच भी हुई थी, जिसमें सब कुछ ठीक-ठाक बता दिया गया था. नेता और अधिकारी के संरक्षण में चिटफंड कंपनी का संचालन हो रहा था. पूरे प्रदेश के लगभग 20 लाख गरीब जनता की खून पसीने और मेहनत की कमाई चिटफंड कंपनी में डूब गई है. बावजूद इसके ईडी ने इस मामले में अब तक कोई कार्यवाही नहीं की है."