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project tiger report: छत्तीसगढ़ में बाघों के संरक्षण के लिए गंभीर पहल की जरूरत

छत्तीसगढ़ में बीते कई वर्षों में बाघों की संख्या घटती जा रही है. जबकि, छत्तीसगढ़ का अधिकांश इलाका वनों और जंगलों से भरा हुआ है. इस तरह यहां बाघों की संख्या बढ़नी चाहिए थी. लेकिन इसमें कमी दर्ज की गई है. जो चिंता का विषय है. अब बाघों के संरक्षण की दिशा में काम करने की जरूरत है. ऐसी बातें प्रोजेक्ट टाइगर रिपोर्ट में कही गई है. conservation of tigers in Chhattisgarh

project tiger report
भारत में प्रोजेक्ट टाइगर
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Published : Apr 9, 2023, 9:38 PM IST

नई दिल्ली/रायपुर: भारत में प्रोजेक्ट टाइगर के 50 साल पूरे हो चुके हैं. इस मौके पर रविवार को, पीएम नरेंद्र मोदी कर्नाटका के बांदीपुर बाघ अभयारण्य में थे. जंगल सफारी में यहां पीएम मोदी घूमे. इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाघों को लेकर एक आंकड़ा जारी किया है. इन आंकड़ों से कई खुलासे हुए. देश में बाघों की संख्या में इजाफा हुआ है. साल 2018 की तुलना में साल 2022 में बाघों की संख्या 3167 पहुंच गई है. छत्तीसगढ़ के लिहाज से देखा जाए तो यहां बाघों की संख्या 46 से घटकर 19 हो गई.

इस रिपोर्ट के तहत, छत्तीसगढ़ में बाघों की आबादी को ठीक करने के लिए, बाघों के संरक्षण को लेकर उपाय करने को कहा गया है. छत्तीसगढ़ में टाइगर रिजर्व की बात की जाए तो, यहां सीता नदी उदंती, इंद्रावती और अचानकमार टाइगर रिजर्व हैं. राज्य में बाघों के विकास के लिए पर्याप्त जंगल और रहवास है. लगातार सरकार बाघ संरक्षण को लेकर खर्च भी कर रही है. लेकिन उसका असर नहीं दिख रहा है. बीते कई सालों में तेजी से बाघों की संख्या छत्तीसगढ़ में घटी है.

तीनों टाइगर रिजर्व पर बीते तीन साल में 183 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई. बाघों के संरक्षण के लिए शाकाहारी जंतुओं का प्रबंध भी छत्तीसगढ़ के तीनों टाइगर रिजर्व में किया गया. लेकिन बावजूद इसके बाघों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है. जो चिंता का विषय है.

ये भी पढ़ें: Project Tiger : बाघों की संख्या में इजाफा, बढ़कर 3167 हुई

प्रोजेक्ट टाइगर की रिपोर्ट में यह कहा गया है कि, छत्तीसगढ़ में बाघों की संरक्षण में गंभीर कदम उठाने की जरूरत है. अगर इसमें देरी की गई तो राज्य में बाघों का विकास रुक सकता है. रिपोर्ट में जंगली इलाकों को तेजी से खत्म करने पर भी चिंता जाहिर की गई है. जंगली इलाकों में होने वाले बसाहट को रोकने को लेकर इस रिपोर्ट में जोर दिया गया है.

SOURCE-PTI

नई दिल्ली/रायपुर: भारत में प्रोजेक्ट टाइगर के 50 साल पूरे हो चुके हैं. इस मौके पर रविवार को, पीएम नरेंद्र मोदी कर्नाटका के बांदीपुर बाघ अभयारण्य में थे. जंगल सफारी में यहां पीएम मोदी घूमे. इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाघों को लेकर एक आंकड़ा जारी किया है. इन आंकड़ों से कई खुलासे हुए. देश में बाघों की संख्या में इजाफा हुआ है. साल 2018 की तुलना में साल 2022 में बाघों की संख्या 3167 पहुंच गई है. छत्तीसगढ़ के लिहाज से देखा जाए तो यहां बाघों की संख्या 46 से घटकर 19 हो गई.

इस रिपोर्ट के तहत, छत्तीसगढ़ में बाघों की आबादी को ठीक करने के लिए, बाघों के संरक्षण को लेकर उपाय करने को कहा गया है. छत्तीसगढ़ में टाइगर रिजर्व की बात की जाए तो, यहां सीता नदी उदंती, इंद्रावती और अचानकमार टाइगर रिजर्व हैं. राज्य में बाघों के विकास के लिए पर्याप्त जंगल और रहवास है. लगातार सरकार बाघ संरक्षण को लेकर खर्च भी कर रही है. लेकिन उसका असर नहीं दिख रहा है. बीते कई सालों में तेजी से बाघों की संख्या छत्तीसगढ़ में घटी है.

तीनों टाइगर रिजर्व पर बीते तीन साल में 183 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई. बाघों के संरक्षण के लिए शाकाहारी जंतुओं का प्रबंध भी छत्तीसगढ़ के तीनों टाइगर रिजर्व में किया गया. लेकिन बावजूद इसके बाघों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है. जो चिंता का विषय है.

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प्रोजेक्ट टाइगर की रिपोर्ट में यह कहा गया है कि, छत्तीसगढ़ में बाघों की संरक्षण में गंभीर कदम उठाने की जरूरत है. अगर इसमें देरी की गई तो राज्य में बाघों का विकास रुक सकता है. रिपोर्ट में जंगली इलाकों को तेजी से खत्म करने पर भी चिंता जाहिर की गई है. जंगली इलाकों में होने वाले बसाहट को रोकने को लेकर इस रिपोर्ट में जोर दिया गया है.

SOURCE-PTI

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