रायपुर: हर साल 19 जून को विश्व सिकलसेल दिवस मनाया जाता है. इस मौके पर सिकलसेल को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते इस बार सिकल सेल को लेकर कोई बड़ा आयोजन नहीं किया गया. हालांकि छुटपुट आयोजनों के जरिए लोगों को सिकलसेल के प्रति जागरूक करने की कोशिश की गई.
रायपुर स्थित सिकलसेल संस्थान में भी एक आयोजन किया गया. जिसमें सिकलसेल से पीड़ित बच्चों सहित उनके अभिभावकों को बुलाया गया था. इस कार्यक्रम के दौरान इन बच्चों को संस्थान की तरफ से एक-एक बैग दिया गया. जिसमें बच्चों के लिए कुछ जरूरी चीजें थी. इस आयोजन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का भी विशेष ध्यान रखा गया.
विश्व सिकल सेल दिवस: 'जैसे कुंडली मिलाते हैं, वैसे करें सिकल कुंडली का मिलान, तभी बच सकेगी जान'
आयोजन के जरिए जागरुकता
राज्य सिकल सेल संस्थान के महानिदेशक सह एचओडी डॉक्टर अरविंद नेरल ने उपस्थित लोगों को सिकलसेल और उससे बचाव सहित कई जरुरी जानकारी दी. डॉ. अरविंद ने बताया कि आज कोरोना संक्रमण के चलते सिकलसेल दिवस के अवसर पर बड़ा आयोजन नहीं किया गया है. लेकिन फिर भी इस छोटे से आयोजन के माध्यम से लोगों को सिकल सेल से बचाव के प्रति जागरूक किया जा रहा है. डॉ. अरविंद ने बताया कि यदि किसी को यह बीमारी हो जाती है तो सरकार उसका नि:शुल्क इलाज कराती है. वर्तमान में रायपुर स्थित सिकलसेल संस्थान में लगभग साढ़े पांच हजार लोग रजिस्टर्ड हैं, जिनका लगातार काउंसलिंग और इलाज किया जा रहा है.
2013 में शुरू हुई थी संस्था
बता दें कि इस बिमारी से जुड़ी परेशानी और कठिनाइयों को देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने साल 2013 में सिकलसेल संस्थान छत्तीसगढ़ की स्थापना रायपुर में की थी. यह संस्थान सिकलसेल के मरीजों और उनके परिवार के सदस्यों के लिए विशेष इलाज और परामर्श की सुविधा मुफ्त में देता है. साथ ही यह संस्थान सिकलसेल रोगियों के इलाज के लिए जरुरी प्रशिक्षित चिकित्सकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए राज्य के स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षण भी देता है.