रायपुर: हाल ही में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा निर्धारित शैक्षणिक संस्थानों में 58% आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया है. फैसला सुनाए जाने के बाद इसका असर अब शैक्षणिक संस्थाओं पर देखने लगा है. छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े और पुरानी पं रविशंकर विश्वविद्यालय की प्रोफेसर की कमी से जूझ रहा है. विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा प्रोफेसरों भर्ती की सूचना जारी होने वाली थी. इससे ठीक पहले आरक्षण पर हाई कोर्ट के फैसले के आने के बाद रविशंकर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर भर्ती प्रक्रिया रोक लग गई है.
विश्वविद्यालय में है 50% खाली पद: रविशंकर विश्वविद्यालय में हर साल प्रोफेसर रिटायर होते जा रहे हैं. ऐसे में विश्वविद्यालय प्रोफेसरों की कमी से जूझ रहा है. विश्वविद्यालय में 50% प्रोफेसर एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर की कमी है. जिसका खामियाजा स्टूडेंटस को भुगतना पड़ रहा है. यहां तक कि विश्वविद्यालय की नैक रैंकिग भी इससे प्रभावित हो रही है.
69 पदों पर होनी थी भर्ती: रविशंकर विश्वविद्यालय कुलसचिव शैलेंद्र कुमार पटेल ने बताया " राज्य सरकार की ओर से हमें 69 पदों पर भर्ती की अनुमति मिली थी और इसकी प्रोसेस पूरी तैयारी कर चुके थे लेकिन हाई कोर्ट के डिसीजन के कारण रोस्टर निर्धारण की प्रक्रिया रुकी है. जैसे ही शासन की ओर से निर्देश प्राप्त होगा इस पर शीघ्र कार्रवाई शुरू की जाएगी. यूनिवर्सिटी में 50% प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, और असिस्टेंट प्रोफेसर के पद खाली है. अभी 69 पदों पर भर्ती की अनुमति मिली है. जिनमें सभी प्रोफेसर शामिल हैं."
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नैक ग्रेडिंग पर पड़ेगा असर: विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने बताया कि "विश्वविद्यालय में प्रोफेसरों के पद खाली हैं . नैक ग्रेडिंग के दौरान विश्वविद्यालय के इंफ्रास्ट्रक्चर फैसिलिटी के साथ-साथ प्रोफेसरों की भर्ती के संबंध में भी मार्किंग होती है. हो सकता है कि नैक ग्रेडिंग में कुछ असर पड़े."
क्या कहना है शिक्षाविद का: शिक्षाविद शशांक शर्मा का कहना है " प्रोफेसर की कमी से अध्यापन का कार्य पूरी तरह से प्रभावित होता है. पंडित रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी छत्तीसगढ़ की सबसे पुरानी यूनिवर्सिटी होने के बावजूद भी इसके कई संकाय में पर्याप्त एडमिशन नहीं हो पा रहे हैं. विश्वविद्यालय की छवि टीचर, प्रोफेसर और वहां के पढ़ाई व्यवस्था से बनती है. प्रोफेसरों की कमी होने के कारण रविशंकर यूनिवर्सिटी के साख पर असर पड़ेगा. आरक्षण को लेकर जो बातें है जिसके कारण यूनिवर्सिटी में अचानक भर्तियां नहीं आई है, लगातार 7-8 सालों से यूनिवर्सिटी प्रोफेसर की भर्ती नहीं हो रही है. लेकिन प्रोफेसर लगातार रिटायर होते जा रहे हैं. उच्च शिक्षा विभाग की बात करें या विश्वविद्यालय प्रशासन की बात की जाए तो उच्च शिक्षा को लेकर कोई गंभीरता नजर नहीं आती. अड़ंगेबाजी बहुत ज्यादा होती है. इसलिए इसका खामियाजा यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट को भुगतना पड़ता है. दिन-ब-दिन प्रदेश के यूनिवर्सिटी के साख गिरते जा रही है. नैक ग्रेडिंग में विश्वविद्यालय बी प्लस ग्रेडिंग से ऊपर नही आ रहा है. प्रदेश के विकास में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता बनाने और उसका विकास बेहद जरूरी है."
आरक्षण के चलते भर्ती प्रक्रिया रुकने को लेकर शशांक शर्मा का कहना है कि "आरक्षण को लेकर हाई कोर्ट का फैसला कुछ दिनों पहले ही आया है. राज्य सरकार भी प्रयास में लगी है कि एक नया अध्यादेश लेकर आए हैं, भर्ती प्रक्रिया ज्यादा बड़ी बात नहीं है. पहले भर्ती प्रक्रिया तो शुरू की जाए और प्रक्रिया में शर्तें भी लागू कर दिया जाए कि शासन द्वारा न्यायालय के निर्देश पर निर्णय लिए. वह रोस्टर लागू होगा. भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी तो वह प्रक्रिया 6 से 8 महीने में पूरी होगी तब तक निर्णय भी हो जाएगा."
क्या है रविशंकर विश्वविद्यालय में प्रोफेसरों पदों की स्थिति
वर्तमान | पद का नाम स्वीकृत | कार्यरत | रिक्त |
प्रोफेसर | 30 | 10 | 20 |
एसोसिएट प्रोफेसर | 60 | 21 | 39 |
असिस्टेंट प्रोफेसर | 130 | 67 | 63 |