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SPECIAL: कोरोना ने ऑटो चालकों की रोजी रोटी पर लगाया ब्रेक, सवारी नहीं मिलने से बढ़ी परेशानी

छत्तीसगढ़ में कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में लोग घरों से कम निकल रहे हैं. ऐसे में अब ऑटो चालकों की परेशानी बढ़ गई है. ऑटो चालकों का कहना है कि यात्री नहीं आने के कारण अब रोजी-रोटी की समस्या आ खड़ी हुई है. ऑटो में अब सिर्फ दो लोगों को बैठाने की अनुमति है. ऐसे में उनको नुकसान उठाना पड़ रहा है.

Trouble over auto drivers not getting ride in Raipur
सवारी नहीं मिलने से ऑटो चालकों की बढ़ी परेशानी
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Published : Sep 20, 2020, 9:50 PM IST

Updated : Sep 20, 2020, 10:17 PM IST

रायपुर: शहर में किसी को कहीं आना-जाना हो तो सबसे पहले वह ऑटो को ही ढूंढते हैं. ऑटो वाले भी ग्राहकों को मंजिल से लाने और ले जाने का काम बड़ी ईमानदारी से करते हैं. लॉकडाउन की वजह से शुरुआती 2 से 3 महीने से ऑटो के पहिए थम चुके थे. इसके बाद से लगातार ऑटो चालक रोजी रोटी की समस्या से जूझ रहे हैं. ऑटो चालक लॉकडाउन में अपने घर के पहियों को उधारी लेकर चला रहे थे. इसी बीच लॉकडाउन 5 में ऑटो चालक को राज्य सरकार ने कुछ शर्तों और नियमों के साथ परमिशन दे दी. बावजूद इसके अभी भी ऑटो चालक की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं हुई है.

कोरोना ने ऑटो चालकों की रोजी रोटी पर लगाया ब्रेक

रेलवे स्टेशन में खड़े ऑटो चालकों की हालत काफी खस्ता है. 25 मार्च से देशभर में हुए लॉकडाउन की वजह से ट्रेनों को भी बंद कर दिया गया था, जिसके बाद 1 जून से 100 जोड़ी स्पेशल ट्रेन देशभर में चलना शुरू हुई. इसमें से सिर्फ 3 जोड़ी स्पेशल ट्रेन रायपुर से होकर गुजर रही थी. ऐसे में स्टेशन पर खड़े ऑटो चालकों को घर चलाने में काफी परेशानी हो रही थी, क्योंकि जो यात्री ट्रेन से आ रहे थे. उनकी संख्या पहले के मुकाबले काफी कम थी, ऊपर से कोई उनमें कैब बुला लेता तो कोई अपने रिश्तेदारों की गाड़ी से घर चल जाता था. ऐसे में ऑटो चालकों की परेशानी बढ़ गई है.

problem of auto drivers increased due to lack of rides at Raipur railway station
ऑटो के बीच में प्लास्टिक शील्ड की व्यवस्था

एक दिन में महज 1000 यात्री कर रहे हैं सफर

रायपुर रेलवे स्टेशन में एक दिन में फिलहाल 11 से 12 ट्रेनें पहुंच रही हैं, जिसमें 800 से 1000 यात्री ही यात्रा कर रहे हैं. ऐसे में रेलवे स्टेशन परिसर में खड़े ऑटो चालकों की परेशानी काफी बढ़ गई है. पहले रोजाना 10 हजार से 12 हजार यात्री कम से कम रेलवे स्टेशन में रोजाना आते-जाते थे, लेकिन वहीं अब संख्या 800 से 1000 हो गई है. ऐसे में ऑटो चालकों को यात्री मिल नहीं रहे हैं. उनकी ऑटो दिनभर रेलवे स्टेशन में जस के तस खड़ी रहती है.

problem of auto drivers increased due to lack of rides at Raipur railway station
कोरोना ने ऑटो चालकों की रोजी रोटी पर लगाया ब्रेक

रायपुर रेलवे स्टेशन पर करीब 300 ऑटो चालक रहते हैं मौजूद
रायपुर रेलवे स्टेशन में आंकड़े की बात की जाए तो कुल 300 ऑटो चालक हैं, जिनमें से अभी सिर्फ 150 ऑटो ही रेलवे स्टेशन पर नजर आ रहे हैं. रायपुर रेलवे स्टेशन में कम ट्रेन गुजरने और कम यात्री आने की वजह से कुछ ऑटो चालक एक से दो ट्रिप ही लगा पाते हैं. ऑटो चालकों का कहना है कि आज से 7 महीने पहले एक दिन में 700 से 800 रुपए कमा लेते थे. आज वही ऑटो चालक दिन में 100 से 200 रुपये कमा रहे हैं. उसमें भी 70 से 80 रुपए तेल पर खर्च हो जाता है.

राज्य सरकार द्वारा ऑटो चालकों के लिए नियम

  • ऑटो में दो या तीन व्यक्ति से ज्यादा कोई नहीं बैठेगा.
  • ऑटो चालक को ऑटो सैनिटाइज करना अनिवार्य है.
  • ऑटो चालक को मास्क पहनना अनिवार्य है.
  • ऑटो में बैठने वाले कस्टमर के बीच सोशल डिस्टेन्स का ध्यान ऑटो चालक को रखना है.
  • ऑटो में सैनिटाइजर की व्यवस्था होनी चाहिए.

ऑटो चालकों ने बताया की शुरुआती 3 महीने तो ऑटो घर पर ही खड़े रहे. उसके बाद अब रेलवे स्टेशन में यात्रियों का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन ट्रेनें इतनी कम चल रही थी कि हमें यात्री मिल ही नहीं रहे हैं. कई बार तो ऐसा होता है कि 3 से 4 दिन तक ऑटो रेलवे स्टेशन में ही खड़े रह जाते थे.

वहीं ऑटो में कोविड-19 को लेकर व्यवस्था की बात की जाए तो जैसे ही यात्री स्टेशन से बाहर निकलते हैं. हम यह देखते हैं कि वह मास्क पहना हुआ है या नहीं, इसके बाद ही हम उसे ऑटो में बैठने के लिए कहते हैं. ऑटो में बैठने के वक्त भी यात्री मास्क पहनाकर रखते हैं. ऑटो में बैठने पर यात्री के हाथों को सैनिटाइज कराते हैं. यात्री और ऑटो चालक के बीच प्लास्टिक शील्ड भी लगाई गई है, जिससे ऑटो चालक और यात्री के बीच कम से कम कॉन्टेक्ट हो. साथ ही यात्री को घर पर छोड़ कर आने के बाद भी ऑटो को एक बार पूरी तरह से सैनिटाइजर किया जाता है.

कम सवारी बिठाने के कारण हो रहा नुकसान
ऑटो चालक ने बताया कि शुरुआती तीन महीने घर में रहने के बाद शहर में ऑटो चलाने की अनुमति मिली. बावजूद इसके अभी भी बहुत से लोग हैं, जो ऑटो में चढ़ने से बच रहे हैं. कई बार ऐसा होता है कि पूरे दिन ऑटो एक ही जगह रोककर रखना पड़ जाता है. कोरोना के कारण ज्यादा सवारी बैठने को नहीं मिल रहा है. ऐसे में उन्हें खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है. 2 सवारियों को दूर तक ले जाने में जितना सवारियां पैसे देती हैं, उससे ज्यादा तो तेल में खर्च हो जाता है.

रायपुर: शहर में किसी को कहीं आना-जाना हो तो सबसे पहले वह ऑटो को ही ढूंढते हैं. ऑटो वाले भी ग्राहकों को मंजिल से लाने और ले जाने का काम बड़ी ईमानदारी से करते हैं. लॉकडाउन की वजह से शुरुआती 2 से 3 महीने से ऑटो के पहिए थम चुके थे. इसके बाद से लगातार ऑटो चालक रोजी रोटी की समस्या से जूझ रहे हैं. ऑटो चालक लॉकडाउन में अपने घर के पहियों को उधारी लेकर चला रहे थे. इसी बीच लॉकडाउन 5 में ऑटो चालक को राज्य सरकार ने कुछ शर्तों और नियमों के साथ परमिशन दे दी. बावजूद इसके अभी भी ऑटो चालक की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं हुई है.

कोरोना ने ऑटो चालकों की रोजी रोटी पर लगाया ब्रेक

रेलवे स्टेशन में खड़े ऑटो चालकों की हालत काफी खस्ता है. 25 मार्च से देशभर में हुए लॉकडाउन की वजह से ट्रेनों को भी बंद कर दिया गया था, जिसके बाद 1 जून से 100 जोड़ी स्पेशल ट्रेन देशभर में चलना शुरू हुई. इसमें से सिर्फ 3 जोड़ी स्पेशल ट्रेन रायपुर से होकर गुजर रही थी. ऐसे में स्टेशन पर खड़े ऑटो चालकों को घर चलाने में काफी परेशानी हो रही थी, क्योंकि जो यात्री ट्रेन से आ रहे थे. उनकी संख्या पहले के मुकाबले काफी कम थी, ऊपर से कोई उनमें कैब बुला लेता तो कोई अपने रिश्तेदारों की गाड़ी से घर चल जाता था. ऐसे में ऑटो चालकों की परेशानी बढ़ गई है.

problem of auto drivers increased due to lack of rides at Raipur railway station
ऑटो के बीच में प्लास्टिक शील्ड की व्यवस्था

एक दिन में महज 1000 यात्री कर रहे हैं सफर

रायपुर रेलवे स्टेशन में एक दिन में फिलहाल 11 से 12 ट्रेनें पहुंच रही हैं, जिसमें 800 से 1000 यात्री ही यात्रा कर रहे हैं. ऐसे में रेलवे स्टेशन परिसर में खड़े ऑटो चालकों की परेशानी काफी बढ़ गई है. पहले रोजाना 10 हजार से 12 हजार यात्री कम से कम रेलवे स्टेशन में रोजाना आते-जाते थे, लेकिन वहीं अब संख्या 800 से 1000 हो गई है. ऐसे में ऑटो चालकों को यात्री मिल नहीं रहे हैं. उनकी ऑटो दिनभर रेलवे स्टेशन में जस के तस खड़ी रहती है.

problem of auto drivers increased due to lack of rides at Raipur railway station
कोरोना ने ऑटो चालकों की रोजी रोटी पर लगाया ब्रेक

रायपुर रेलवे स्टेशन पर करीब 300 ऑटो चालक रहते हैं मौजूद
रायपुर रेलवे स्टेशन में आंकड़े की बात की जाए तो कुल 300 ऑटो चालक हैं, जिनमें से अभी सिर्फ 150 ऑटो ही रेलवे स्टेशन पर नजर आ रहे हैं. रायपुर रेलवे स्टेशन में कम ट्रेन गुजरने और कम यात्री आने की वजह से कुछ ऑटो चालक एक से दो ट्रिप ही लगा पाते हैं. ऑटो चालकों का कहना है कि आज से 7 महीने पहले एक दिन में 700 से 800 रुपए कमा लेते थे. आज वही ऑटो चालक दिन में 100 से 200 रुपये कमा रहे हैं. उसमें भी 70 से 80 रुपए तेल पर खर्च हो जाता है.

राज्य सरकार द्वारा ऑटो चालकों के लिए नियम

  • ऑटो में दो या तीन व्यक्ति से ज्यादा कोई नहीं बैठेगा.
  • ऑटो चालक को ऑटो सैनिटाइज करना अनिवार्य है.
  • ऑटो चालक को मास्क पहनना अनिवार्य है.
  • ऑटो में बैठने वाले कस्टमर के बीच सोशल डिस्टेन्स का ध्यान ऑटो चालक को रखना है.
  • ऑटो में सैनिटाइजर की व्यवस्था होनी चाहिए.

ऑटो चालकों ने बताया की शुरुआती 3 महीने तो ऑटो घर पर ही खड़े रहे. उसके बाद अब रेलवे स्टेशन में यात्रियों का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन ट्रेनें इतनी कम चल रही थी कि हमें यात्री मिल ही नहीं रहे हैं. कई बार तो ऐसा होता है कि 3 से 4 दिन तक ऑटो रेलवे स्टेशन में ही खड़े रह जाते थे.

वहीं ऑटो में कोविड-19 को लेकर व्यवस्था की बात की जाए तो जैसे ही यात्री स्टेशन से बाहर निकलते हैं. हम यह देखते हैं कि वह मास्क पहना हुआ है या नहीं, इसके बाद ही हम उसे ऑटो में बैठने के लिए कहते हैं. ऑटो में बैठने के वक्त भी यात्री मास्क पहनाकर रखते हैं. ऑटो में बैठने पर यात्री के हाथों को सैनिटाइज कराते हैं. यात्री और ऑटो चालक के बीच प्लास्टिक शील्ड भी लगाई गई है, जिससे ऑटो चालक और यात्री के बीच कम से कम कॉन्टेक्ट हो. साथ ही यात्री को घर पर छोड़ कर आने के बाद भी ऑटो को एक बार पूरी तरह से सैनिटाइजर किया जाता है.

कम सवारी बिठाने के कारण हो रहा नुकसान
ऑटो चालक ने बताया कि शुरुआती तीन महीने घर में रहने के बाद शहर में ऑटो चलाने की अनुमति मिली. बावजूद इसके अभी भी बहुत से लोग हैं, जो ऑटो में चढ़ने से बच रहे हैं. कई बार ऐसा होता है कि पूरे दिन ऑटो एक ही जगह रोककर रखना पड़ जाता है. कोरोना के कारण ज्यादा सवारी बैठने को नहीं मिल रहा है. ऐसे में उन्हें खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है. 2 सवारियों को दूर तक ले जाने में जितना सवारियां पैसे देती हैं, उससे ज्यादा तो तेल में खर्च हो जाता है.

Last Updated : Sep 20, 2020, 10:17 PM IST
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