रायपुर : रायपुर सेंट्रल जेल का माता चामुंडा मंदिर काफी प्रसिद्ध है. इस मंदिर में नवरात्रि के नौ दिनों तक ज्योति जलाई जाती है. जिसकी पूरी जिम्मेदारी किसी पुजारी या सेवक की नहीं बल्कि कैदियों की होती है. ये कैदी पूरे नौ दिनों तक मंदिर परिसर में रहकर माता की सेवा करते हैं. इस मंदिर का एक छोर जेल तो दूसरा मुख्य सड़क की ओर है.
कैदी अपनी मर्जी से करते हैं सेवा : इस काम के लिए बंदियों पर किसी प्रकार का कोई भी दबाव नहीं डाला जाता. जिस कैदी को माता की आराधना और सेवा करनी होती है वो खुद मंदिर में उपस्थित होकर सेवा करते हैं. इस मंदिर की साज सज्जा और रंगाई पुताई का जिम्मा भी कैदियों के पास ही है.
किन कैदियों को सेवा की है अनुमति : जेल के नियमों के मुताबिक मंदिर में सेवा के लिए हर कैदी को अनुमति नहीं होती है. बल्कि उन कैदियों को सेवा के काम में लगाया जाता है. जिनकी रिहाई में कुछ साल ही बचे हैं. मंदिर में आने वाले कैदियों पर भरोसा करना ही एक बड़ी जिम्मेदारी होती है. मंदिर में सेवा देने वाले कैदियों के साथ दो जवानों की ड्यूटी भी लगाई जाती है. जो हर वक्त कैदियों के साथ रहते हैं. इस दौरान प्रहरी और कैदी सिविल कपड़ों में रहते हैं. ताकि भक्तगण असहज महसूस ना करें.
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मंदिर में कैदी ने की थी पेंटिंग : इस मंदिर का जब निर्माण हुआ तो एक कैदी ने मंदिर की दीवारों पर देवी देवताओं की तस्वीरें उकेरी थीं.जो ईसाई धर्म का मानने वाला था.लेकिन उसका मन हिंदू धर्म ग्रंथ और देवी देवता में रमा रहता था. ईसाई होते हुए भी वो हनुमान चालीसा का पाठ करता था. इस मंदिर में भक्ति का अनोखा रूप देखने को मिलता है.