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गोधन न्याय योजना के क्रियान्वयन को लेकर तैयारियां शुरू, कलेक्टर ने जारी किए निर्देश - गोधन न्याय योजना का क्रियान्वयन

गोबर की खरीदी को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार ने तैयारियां शुरू कर दी है. पशुपालकों से गोबर खरीदी की इस महत्वाकांक्षी योजना के क्रियान्वयन के लिए कृषि विभाग ने कलेक्टरों को जिम्मेदारी सौंपी है. इसके साथ ही मंत्रालय महानदी भवन रायपुर से योजना के क्रियान्वयन के संबंध में स्पष्ट दिशा निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं.

preparations for godhan nayay yojna
फाइल फोटो
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Published : Jul 18, 2020, 6:23 PM IST

कोरबा: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की महत्वाकांक्षी योजना 'गोधन न्याय योजना' की शुरुआत हरेली पर्व यानी 20 जुलाई को की जाएगी. इस योजना के तहत पूरे प्रदेश में 2 रुपये किलो में गोबर खरीदा जाएगा. जिला कलेक्टर किरण कौशल ने अधिकारियों को गोबर खरीदी की तैयारियां समय रहते पूरे करने के निर्देश दिए है.

पशुपालकों से गोबर खरीदी की इस महत्वाकांक्षी योजना के क्रियान्वयन के लिए कृषि विभाग ने कलेक्टरों को जिम्मेदारी सौंपी है. इसके साथ ही मंत्रालय महानदी भवन रायपुर से योजना के क्रियान्वयन के संबंध में स्पष्ट दिशा निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं.

पढ़ें: 'गौधन न्याय योजना से गरीब किसानों को ही नहीं बल्कि गाय पाल कर गुजारा करने वालों को भी फायदा होगा'

गोधन न्याय योजना के तहत कोरबा के 197 गौठानों में गोबर खरीदी कर वर्मी कम्पोस्ट और गोबर के अन्य उत्पाद तैयार किए जाएंगे. इन वर्मी कम्पोस्ट से सरकार जैविक खाद बनाएगी जिसे निर्धारित दर पर बेचा जाएगा.

इन नियमों के तहत होगी गोबर की खरीदी

  • गौ पालकों से गोबर की खरीदी गौठान समितियों की ओर से परिवहन शुल्क सहित दो रुपये प्रति किलो के हिसाब से की जाएगी.
  • गौठान समिति अपने ग्राम पंचायत में शामिल गांव के ही गौ पालकों से गोबर खरीदेगी.
  • गोबर खरीदने के लिए गांव में जाने की समय सारिणी निर्धारित की जाएगी.
  • गौठान समितियों द्वारा गौवंशीय एवं भैंसवंशीय पशुओं का ही गोबर खरीदा जाएगा.
  • अपने पशुओं द्वारा उत्पादित गोबर की बिक्री पशुपालक के लिए पूरी तरह से स्वैच्छिक होगी.
  • गौठान समितियां हाथ में उठाये जाने लायक अर्द्ध ठोस प्रकृति का ही गोबर खरीदेंगी
  • कांच, प्लास्टिक, मिट्टी आदि अपशिष्टों वाला गोबर नहीं खरीदा जाएगा.
  • पशु पालकों से केवल गोबर खरीदा जाएगा, गोबर से बने अन्य उत्पाद जैसे कंडा आदि नहीं खरीदे जायेंगे.
  • गौठान समितियां पशुपालकों से खरीदे गये गोबर का पूरा लेखा-जोखा भी रखेंगी.
  • हर एक पशुपालक के लिए गोबर खरीदी कार्ड या क्रय पत्रक बनाया जाएगा.
  • प्रतिदिन खरीदे गए गोबर की मात्रा की इस कार्ड में इंट्री की जाएगी और इसपर पशुपालक के भी हस्ताक्षर लिये जाएंगे.
  • गौठानों में रहने वाले पशुओं से मिले गोबर का स्वामित्व गोठान का होगा और उसके लिए पशुपालक को कोई राशि नहीं दी जाएगी.
  • गौठानों में आने वाले पशुओं के लिए पहले की तरह ही हरे चारे की व्यवस्था गौठान समितियों द्वारा की जाएगी.
  • पशुपालकों से खरीदे गये गोबर की मात्रा अनुसार भुगतान हर 15 दिन में होगा.
  • गोबर को तौलने के लिए तराजू या कैलिबेर्टेड फर्मा का उपयोग किया जाएगा.
  • गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट बनाने का काम स्थानीय स्व-सहायता समूह करेगी.
  • इस काम में चरवाहों को भी जोड़ा जाएगा.
  • जिला कलेक्टर के नेतृत्व में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ग्रामीण क्षेत्रों की सभी गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट बनाने के काम की निगरानी करेंगे.

कोरबा: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की महत्वाकांक्षी योजना 'गोधन न्याय योजना' की शुरुआत हरेली पर्व यानी 20 जुलाई को की जाएगी. इस योजना के तहत पूरे प्रदेश में 2 रुपये किलो में गोबर खरीदा जाएगा. जिला कलेक्टर किरण कौशल ने अधिकारियों को गोबर खरीदी की तैयारियां समय रहते पूरे करने के निर्देश दिए है.

पशुपालकों से गोबर खरीदी की इस महत्वाकांक्षी योजना के क्रियान्वयन के लिए कृषि विभाग ने कलेक्टरों को जिम्मेदारी सौंपी है. इसके साथ ही मंत्रालय महानदी भवन रायपुर से योजना के क्रियान्वयन के संबंध में स्पष्ट दिशा निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं.

पढ़ें: 'गौधन न्याय योजना से गरीब किसानों को ही नहीं बल्कि गाय पाल कर गुजारा करने वालों को भी फायदा होगा'

गोधन न्याय योजना के तहत कोरबा के 197 गौठानों में गोबर खरीदी कर वर्मी कम्पोस्ट और गोबर के अन्य उत्पाद तैयार किए जाएंगे. इन वर्मी कम्पोस्ट से सरकार जैविक खाद बनाएगी जिसे निर्धारित दर पर बेचा जाएगा.

इन नियमों के तहत होगी गोबर की खरीदी

  • गौ पालकों से गोबर की खरीदी गौठान समितियों की ओर से परिवहन शुल्क सहित दो रुपये प्रति किलो के हिसाब से की जाएगी.
  • गौठान समिति अपने ग्राम पंचायत में शामिल गांव के ही गौ पालकों से गोबर खरीदेगी.
  • गोबर खरीदने के लिए गांव में जाने की समय सारिणी निर्धारित की जाएगी.
  • गौठान समितियों द्वारा गौवंशीय एवं भैंसवंशीय पशुओं का ही गोबर खरीदा जाएगा.
  • अपने पशुओं द्वारा उत्पादित गोबर की बिक्री पशुपालक के लिए पूरी तरह से स्वैच्छिक होगी.
  • गौठान समितियां हाथ में उठाये जाने लायक अर्द्ध ठोस प्रकृति का ही गोबर खरीदेंगी
  • कांच, प्लास्टिक, मिट्टी आदि अपशिष्टों वाला गोबर नहीं खरीदा जाएगा.
  • पशु पालकों से केवल गोबर खरीदा जाएगा, गोबर से बने अन्य उत्पाद जैसे कंडा आदि नहीं खरीदे जायेंगे.
  • गौठान समितियां पशुपालकों से खरीदे गये गोबर का पूरा लेखा-जोखा भी रखेंगी.
  • हर एक पशुपालक के लिए गोबर खरीदी कार्ड या क्रय पत्रक बनाया जाएगा.
  • प्रतिदिन खरीदे गए गोबर की मात्रा की इस कार्ड में इंट्री की जाएगी और इसपर पशुपालक के भी हस्ताक्षर लिये जाएंगे.
  • गौठानों में रहने वाले पशुओं से मिले गोबर का स्वामित्व गोठान का होगा और उसके लिए पशुपालक को कोई राशि नहीं दी जाएगी.
  • गौठानों में आने वाले पशुओं के लिए पहले की तरह ही हरे चारे की व्यवस्था गौठान समितियों द्वारा की जाएगी.
  • पशुपालकों से खरीदे गये गोबर की मात्रा अनुसार भुगतान हर 15 दिन में होगा.
  • गोबर को तौलने के लिए तराजू या कैलिबेर्टेड फर्मा का उपयोग किया जाएगा.
  • गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट बनाने का काम स्थानीय स्व-सहायता समूह करेगी.
  • इस काम में चरवाहों को भी जोड़ा जाएगा.
  • जिला कलेक्टर के नेतृत्व में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ग्रामीण क्षेत्रों की सभी गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट बनाने के काम की निगरानी करेंगे.
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