रायपुर : नवरात्रि पर्व (Navratri Festival) में अब महज कुछ ही दिन शेष हैं. ऐसे में जिला प्रशासन (District Administration) की ओर से गाइड लाइन जारी नहीं होने के कारण जहां उनकी सारी तैयारी धरी की धरी रह जा रही है. वहीं दूसरी ओर मिट्टी के कलश (Clay Pots) समेत अन्य सामानों के ऑर्डर नहीं आने के कारण उनकी कमाई पर भी ब्रेक लग गया है. ऐसे में किसानों को अपना और अपने परिवार के पेट पालने की चिंता खाये जा रही है. बता दें कि बीते साल 2020 में कोरोना संक्रमण (Corona Infection) की आशंका को देखते हुए मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ न जुटे इस कारण मंदिरों में ज्योति कलश की स्थापना की अनुमति नहीं थी. वहीं इस साल भी ज्योति कलश को लेकर जिला प्रशासन की ओर से अब तक कोई गाइड-लाइन जारी नहीं हुआ है. इसके कारण कुम्हारों के बनाए कलश और दीये की बिक्री प्रभावित हो रही है.
कोरोना ने छीन लिया व्यवसाय
राजधानी में इन दिनों नवरात्रि के महापर्व की तैयारी कैसी है, ईटीवी भारत की टीम ने इसका जायजा लिया. इस क्रम में सबसे पहले महादेव घाट स्थित कुम्हारों की बस्ती पहुंचकर टीम ने ज्योति कलश बनाने वाले कम्हारों से बातचीत की. बातचीत में कुम्हारों ने बताया कि एक तरफ कोरोना संक्रमण के चलते पिछले दो सालों से उनका व्यवसाय प्रभावित हुआ है. इस साल उम्मीद है कि प्रशासन हमलोगों को दीये और कलश की बिक्री के लिए अनुमति दे, लेकिन जिला प्रशासन की ओर से अभी तक कोई गाइड-लाइन जारी नहीं हुआ है. इस कारण असमंजस की स्थिति है.
परिवार चलाने में हो रही दिक्कत है
कुम्हारों ने आगे बताया कि नवरात्रि में ज्योति कलश स्थापित करने के लिए मंदिर प्रबंधन समिति और दुर्गोत्सव समिति के सदस्य भी बाजार से बड़ी संख्या में मिट्टी के कलश खरीदते हैं, लेकिन अभी तक ऑर्डर नहीं मिलने के कारण व्यवसाय प्रभावित हो रहा है. घनश्याम चक्रधारी ने बताया कि हर साल नवरात्रि में 800 से 900 कलश का निर्माण करते थे, लेकिन अभी 200 कलश का ही ऑर्डर आया है. आलम यह है कि परिवार का पेट पालना भी मुश्किल हो रहा है. इधर, पवन कुमार चक्रधारी ने बताया कि अभी कलश के ऑर्डर नहीं आ रहे हैं. शासन प्रशासन की ओर से नवरात्रि को लेकर कोई स्पष्ट गाइड-लाइन जारी नहीं किया गया है, जिसके कारण कलश और दीये के ऑर्डर नहीं आ रहे हैं.
कुम्हारों की मदद करे सरकार
वहीं, गुलेश चक्रधारी ने बताया कि महादेव घाट की इस कुम्हार बस्ती में 200 कुम्हार परिवार रहते हैं. इन सभी का व्यापार पिछले 2 साल से बेहद ज्यादा प्रभावित है. सरकार को कुम्हारों की मदद करनी चाहिए. जिस तरह दीपावली में पटाखों की दुकान लगाने के लिए स्टॉल लगाए जाते हैं, उसी तरह कुम्हारों के लिए भी शहर में स्टॉल लगाने की व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि कुम्हारों को भी बाजार मिले. गुलेश ने बताया कि इससे पहले भी विधायक से की मांग की गई थी, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया गया.