रायपुर: छत्तीसगढ़ में धान और किसान राजनीति के प्रमुख बिन्दुओं में से एक है. वर्तमान सरकार ने इस साल रिकॉर्ड धान खरीदी की है. प्रदेश सरकार किसानों से 2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी करते हुए 20 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है.
92 लाख मीट्रिक से ज्यादा हुई धान खरीदी
इस साल 95.40 प्रतिशत किसानों ने समर्थन मूल्य पर धान बेचा है. वहीं सरकार ने किसानों से 92 लाख 6 हजार 521 मीट्रीक धान खरीदते हुए अबतक का सबसे ज्यादा धान खरीदने का रिकॉर्ड भी बना दिया है. इसे लेकर किसानों और राजनीतिक विशेषज्ञों से ईटीवी भारत ने चर्चा की है.
जब आरोप-प्रत्यारोप चल रहे हों, तब आंकड़ों पर नजर डालना जरूरी है.
- साल 2017-2018 - 56.88 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी हुई थी.
- 2018-2019 - 80.83 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी की गई थी.
- 2019-2020 - 83.94 लाख मीट्रिक टन धान किसानों ने बेचा था.
- 2020-2021 में अब तक 84.44 लाख मीट्रिक टन धान 25 सौ रुपए समर्थन मूल्य पर सरकार ने खरीदा है.
अब रजिस्टर्ड किसानों के डाटा पर भी नजर डाल लेते हैं-
- 2016-2017- 14.51 लाख किसानों ने पंजीयन कराया.
- 2017-2018- 15.77 लाख किसानों का पंजीयन हुआ.
- 2018-2019- 16.96 लाख किसान रजिस्टर हुए.
- 2019-2020- 19.55 लाख किसानों का रजिस्ट्रेशन हुआ.
- 2020-2021- 21.52 लाख किसानों ने पंजीयन कराया.
उपार्जन केंद्रों से धान का उठावा नहीं होने से जाम की स्थिति
कृषि मंत्री ने केंद्र सरकार पर लगाए आरोप
रिकॉर्ड धान खरीदी के बाद कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने केंद्र सरकार को आंड़े हाथो लिया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के तमाम अड़ंगों के बाद भी हमने रिकॉर्ड धान खरीदी की है.
धान तस्करों को संरक्षण देने का आरोप
इधर, भाजपा राज्य सरकार पर आरोप लगा रही है. भाजपा किसान मोर्चा के गौरीशंकर श्रीवास ने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार अपनी झूठी वाहवाही ले रही है. उन्होंने कहा कि भूपेश सरकार ने दूसरे पड़ोसी राज्यों से लाकर बड़े पैमाने पर धान छत्तीसगढ़ में खपाया है. वहीं तस्करों को खुला संरक्षण देने का भी आरोप लगाया है. गौरीशंकर श्रीवास ने कहा कि धान का टोकन जारी करने के बाद भी 95 हजार पंजीकृत किसानों का धान नहीं खरीदा गया है.
धान खरीदी के अंतिम दिन समितियों में किसानों की बढ़ी संख्या
बारदाने की कमी से किसान हुए थे परेशान
इस बीच किसानों को कई तरह की परेशानियां भी हुई. बारदाने की कमी से लेकर टोकन जारी होने में समस्या आई. इसके बाद भी रिकॉर्ड धान खरीदी कहीं न कहीं किसानों में जागरूकता और उत्साह को दिखाता है. कुछ सहकारी समिति के प्रबंधकों ने ये भी बताया कि उनके केंद्र में धान खरीदी बंद होने के बाद भी बारदाने उपलब्ध हैं. खरीदी केंद्रों में चबूतरों के निर्माण का भी काफी फायदा मिल रहा है. इससे धान के रख-रखाव में काफी मदद मिल रही है.
छत्तीसगढ़ ने तोड़ा 20 साल का रिकॉर्ड, 95.38 प्रतिशत किसानों ने समर्थन मूल्य पर बेचा धान
बोनस की राशि एक साथ देने की मांग
धान खरीदी में बंपर खरीदी के बाद अब किसानों ने सरकार से बोनस की राशि की मांग की है. राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत किसानों को चार किस्तों में धान खरीदी की राशि का भुगतान किया जा रहा है. किसानों का मानना है कि इसी योजना से प्रभावित होकर किसानों ने इस साल धान खरीदी के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं.
हालांकि इसे लेकर कुछ किसानों ने आपत्ति भी जताई है. किसानों का साफ तौर पर कहना है कि सरकार को बोनस की राशि एक साथ देनी चाहिए, ताकि किसान बाजार से उधार लेकर खाद, बीज और अन्य उपकरण ले सकें.