रायपुर : राजनीति में कब कौन सा मुद्दा तूल पकड़ ले कहा नहीं जा सकता, छत्तीसगढ़ की सियासत में गोबर ने एंट्री मारी है, एक ओर इसका श्रेय लेने की होड़ चल पड़ी है तो वहीं दूसरी ओर बयानबाजी का दौर भी जारी है. छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की सरकार ने गोबर खरीदी करने का ऐलान किया है. पहली बार कोई सरकार किसानों और ग्रामीणों से गोबर खरीदने जा रही है. सरकार की एक उपसमिति की बैठक में गोबर की संभावित कीमत पर भी चर्चा हुई और गोबर 1.50 रुपए किलो की दर पर खरीदी करने की सलाह भी दे दी गई हालांकि इसकी कीमत पर अंतिम मुहर लगना बाकी है. लेकिन सियासी गलियारों में इस 'गोबर' ने तहलका मचा दिया.
सरकार ने जैसे ही गोबर खरीदने का ऐलान किया, सरकार पर सबसे पहले तीखा प्रहार किया विपक्ष के बड़े नेता और पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने, उन्होंने ट्वीट के जरिए सरकार पर हमला बोलते हुए गोबर को ही राजकीय चिन्ह बनाने की सलाह दे डाली, इस पर वे ट्रोल भी हुए. ट्वीट वाला विवाद थमा नहीं था कि भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने इस पर माइलेज लेते हुए गोबर खरीदी को केंद्र की गोबर-धन योजना की कॉपी करार दिया है.
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इसपर पलटवार करते हुए कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि यदि भाजपा की योजना थी तो इतने सालों तक प्रदेश में इस योजना को लागू क्यों नहीं किया गया, योजना के शुरू होने से भारतीय जनता पार्टी घबरा गई है.
पूर्व मंत्री ने कसा तंज
गोबर को ही राजकीय चिन्ह बनाने की सलाह देने वाले पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने फिर तंज कसा है. उन्होंने लिखा है कि...'अटल इनोवेशन मिशन' और छत्तीसगढ़ में... 'गोबर और बाकी सब गुड़ गोबर'
योजना को लेकर सरकार का नजरिया
खैर सकरार का दावा है कि योजना से जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा प्रदान कर सकता है. इस नजरिए से देखें तो सरकार का फैसला तारीफ योग्य है. योजना को लागू किस तरह किया जाएगा ये देखने वाली बात होगी. सियासत और मुद्दों की बात की जाए तो गोबर का सीधा ताल्लुक गाय से है. और गौ माता से जुड़े मुद्दे की राजनीति भाजपा करती आई है.अब भूपेश बघेल सरकार का यह कदम भी कहीं ना कहीं भाजपा नेताओं को खल रहा होगा.