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SPECIAL: कहीं रमन सरकार के रतनजोत प्रोजेक्ट को तो नहीं दुहराएगा एथेनॉल प्रोजेक्ट ?

छत्तीसगढ़ में एथेनॉल प्रोजेक्ट को लेकर चर्चा और संदेह दोनों जारी हैं. लोग इसे पूर्व की रमन सरकार के रतनजोत प्रोजेक्ट से जोड़ कर देख रहे हैं. हालांकि कृषि विशेषज्ञ एथेनॉल को लेकर पॉजिटिव रेस्पॉन्स दे रहे हैं.

politics on ethanol project in chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में एथेनॉल प्रोजेक्ट
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Published : Nov 24, 2020, 1:07 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में जल्द ही धान से एथेनॉल बनाने पर काम शुरू हो जाएगा. सरकार ने 4 कंपनियों से प्लांट लगाने के लिए MOU भी कर लिया है. ये कंपनियां अब जल्द ही इस पर काम शुरू कर देंगी, लेकिन एथेनॉल प्लांट लगाने को लेकर सियासी चर्चाएं भी जोरों पर हैं. एथेनॉल प्रोजेक्ट को प्रदेश की पिछली बीजेपी सरकार के रतनजोत प्रोजेक्ट से जोड़ कर देखा जा रहा है, क्योंकि उस दौरान भी रतनजोत से बॉयोडीजल बनाने को लेकर काफी प्रचार-प्रसार किया गया. एक अनुमान के मुताबिक रतनजोत प्रोजेक्ट पर करोड़ों रुपये फूंक दिए गए लेकिन हाथ कुछ नहीं लगा.

एथेनॉल प्रोजेक्ट पर जारी है राजनीति

'डीजल नहीं अब खाड़ी से, डीजल मिलेगा बाड़ी से'

छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार के दौरान मुख्यमंत्री रहे रमन सिंह ने रतनजोत से बायोडीजल बनाने के लिए एक नारा दिया था. 'डीजल नहीं अब खाड़ी से, डीजल मिलेगा बाड़ी से', जो पूरे राज्य में सबसे बड़ा मुद्दा बायोडीजल बन गया, लेकिन सालों बाद भी ये योजना सक्सेस नहीं हो सकी. अब एक बार फिर छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार धान से एथेनॉल बनाने को लेकर गंभीर हो गई है. बहुत जल्द ही प्लांट भी लग जाएंगे. सरकार को उम्मीद है कि धान से एथेनॉल बनाने से 750 करोड़ रुपये का सालाना फायदा होगा वहीं धान को भी खपाने में मदद मिलेगी. ऐसे में ये बात भी सामने निकलकर आ रही है कि कहीं एथेनॉल प्लांट का हाल भी रतनजोत जैसा न हो जाए.

पढ़ें: धर्मेंद्र प्रधान से बघेल ने बायो-एथेनॉल के उत्पादन की अनुमति मांगी

2005 में शुरू हुआ था काम

छत्तीसगढ़ में रतनजोत से ईंधन बनाने का काम 2005 में शुरू हुआ था. शुरुआत में बस और अन्य छोटे वाहनों में इसका उपयोग किया गया, लेकिन ये ईंधन चल न सका. लगभग 1 .65 लाख हेक्टेयर में इसका उत्पादन किया गया. जिससे 4 लाख 27 हजार किलोग्राम बीज का उत्पादन हुआ.

रतनजोत से डीजल बनाने के नाम पर भ्रष्टाचार

कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि प्रदेश की पिछली सरकार में रतनजोत से डीजल बनाने के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार किया गया है. उन्होंने कहा कि कुछ बड़े कॉर्पोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए तत्कालीन बीजेपी सरकार ने करोड़ों रुपये फूंक दिए.

पढ़ें: SPECIAL: धान से होगा ट्रिपल मुनाफा, एथेनॉल प्लांट से किसान और सरकार के साथ सुधरेगी पर्यावरण की सेहत

'एथेनाल है अच्छा विकल्प'

कृषि विशेषज्ञ रजनीश अवस्थी ने ETV भारत से इस पूरे मामले में चर्चा की और बताया कि एथेनॉल, रतनजोत के मुकाबले काफी अच्छा विकल्प है. क्योंकि इससे न सिर्फ बॉयोडीजल बन सकता है बल्कि कई उद्योगों में भी इसका उपयोग होता है. जिससे इसकी खपत ज्यादा होगी. उन्होंने कहा कि रतनजोत से बायोडीजल बनाने के बाद मार्केट प्राइस का सही आंकलन नहीं हो पाना इस प्रोजक्ट की बड़ी खामी रही. अवस्थी ने कहा कि एथेनॉल की प्रदेश में काफी अच्छी संभावनाएं हैं.

कई देशों में सफल उपयोग
कई देशों में बॉयोडीजल का सफल व्यवसायिक उपयोग कई सालों से हो रहा है. अमेरिका, आस्ट्रेलिया, कनाडा, थाईलैंड समेत कई देशों में इस ईंधन का विमानों में उपयोग हो रहा है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में जल्द ही धान से एथेनॉल बनाने पर काम शुरू हो जाएगा. सरकार ने 4 कंपनियों से प्लांट लगाने के लिए MOU भी कर लिया है. ये कंपनियां अब जल्द ही इस पर काम शुरू कर देंगी, लेकिन एथेनॉल प्लांट लगाने को लेकर सियासी चर्चाएं भी जोरों पर हैं. एथेनॉल प्रोजेक्ट को प्रदेश की पिछली बीजेपी सरकार के रतनजोत प्रोजेक्ट से जोड़ कर देखा जा रहा है, क्योंकि उस दौरान भी रतनजोत से बॉयोडीजल बनाने को लेकर काफी प्रचार-प्रसार किया गया. एक अनुमान के मुताबिक रतनजोत प्रोजेक्ट पर करोड़ों रुपये फूंक दिए गए लेकिन हाथ कुछ नहीं लगा.

एथेनॉल प्रोजेक्ट पर जारी है राजनीति

'डीजल नहीं अब खाड़ी से, डीजल मिलेगा बाड़ी से'

छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार के दौरान मुख्यमंत्री रहे रमन सिंह ने रतनजोत से बायोडीजल बनाने के लिए एक नारा दिया था. 'डीजल नहीं अब खाड़ी से, डीजल मिलेगा बाड़ी से', जो पूरे राज्य में सबसे बड़ा मुद्दा बायोडीजल बन गया, लेकिन सालों बाद भी ये योजना सक्सेस नहीं हो सकी. अब एक बार फिर छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार धान से एथेनॉल बनाने को लेकर गंभीर हो गई है. बहुत जल्द ही प्लांट भी लग जाएंगे. सरकार को उम्मीद है कि धान से एथेनॉल बनाने से 750 करोड़ रुपये का सालाना फायदा होगा वहीं धान को भी खपाने में मदद मिलेगी. ऐसे में ये बात भी सामने निकलकर आ रही है कि कहीं एथेनॉल प्लांट का हाल भी रतनजोत जैसा न हो जाए.

पढ़ें: धर्मेंद्र प्रधान से बघेल ने बायो-एथेनॉल के उत्पादन की अनुमति मांगी

2005 में शुरू हुआ था काम

छत्तीसगढ़ में रतनजोत से ईंधन बनाने का काम 2005 में शुरू हुआ था. शुरुआत में बस और अन्य छोटे वाहनों में इसका उपयोग किया गया, लेकिन ये ईंधन चल न सका. लगभग 1 .65 लाख हेक्टेयर में इसका उत्पादन किया गया. जिससे 4 लाख 27 हजार किलोग्राम बीज का उत्पादन हुआ.

रतनजोत से डीजल बनाने के नाम पर भ्रष्टाचार

कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि प्रदेश की पिछली सरकार में रतनजोत से डीजल बनाने के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार किया गया है. उन्होंने कहा कि कुछ बड़े कॉर्पोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए तत्कालीन बीजेपी सरकार ने करोड़ों रुपये फूंक दिए.

पढ़ें: SPECIAL: धान से होगा ट्रिपल मुनाफा, एथेनॉल प्लांट से किसान और सरकार के साथ सुधरेगी पर्यावरण की सेहत

'एथेनाल है अच्छा विकल्प'

कृषि विशेषज्ञ रजनीश अवस्थी ने ETV भारत से इस पूरे मामले में चर्चा की और बताया कि एथेनॉल, रतनजोत के मुकाबले काफी अच्छा विकल्प है. क्योंकि इससे न सिर्फ बॉयोडीजल बन सकता है बल्कि कई उद्योगों में भी इसका उपयोग होता है. जिससे इसकी खपत ज्यादा होगी. उन्होंने कहा कि रतनजोत से बायोडीजल बनाने के बाद मार्केट प्राइस का सही आंकलन नहीं हो पाना इस प्रोजक्ट की बड़ी खामी रही. अवस्थी ने कहा कि एथेनॉल की प्रदेश में काफी अच्छी संभावनाएं हैं.

कई देशों में सफल उपयोग
कई देशों में बॉयोडीजल का सफल व्यवसायिक उपयोग कई सालों से हो रहा है. अमेरिका, आस्ट्रेलिया, कनाडा, थाईलैंड समेत कई देशों में इस ईंधन का विमानों में उपयोग हो रहा है.

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