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झीरम मामला : अब तक छत्तीसगढ़ में सभी आयोगों की जांच रिपोर्ट सरकार के ही सुपुर्द, धरमलाल बोले-सार्वजनिक हो

छत्तीसगढ़ में अब तक विभिन्न मामलों में गठित न्यायिक जांच की रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी जाती रही है. एडसमेटा में हुई कथित मुठभेड़ हो या फिर भिलाई की गोशालाओं में हुई गायों की मौत का मामला. या फिर कोई अन्य मामला, उन सभी में जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपी गई है. इसके अलावा भी ऐसे कई मामले हैं, जिसकी न्यायिक जांच चल ही रही है. लेकिन इस बीच अचानक झीरम मामले की जांच रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपी गई है. अब इसे लेकर प्रदेश में सियासत गरमा गई है. पक्ष-विपक्ष इस मामले को लेकर आमने-सामने हो गए हैं.

Politics heats up on investigation report of Jhiram Ghati case
झीरम घाटी मामले की जांच रिपोर्ट पर राजनीति गरमाई
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Published : Nov 8, 2021, 7:40 PM IST

Updated : Nov 8, 2021, 9:40 PM IST

रायपुर : छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित झीरम घाटी नक्सली (The famous Jhiram Valley Naxalite attack) हमले की जांच रिपोर्ट (Jhiram Valley Naxalite Attack Investigation Report) आयोग ने राज्यपाल अनुसुईया (Governor Anusuiya Uikey) उइके को सौंप दी है. यह रिपोर्ट राज्यपाल को आयोग के सचिव एवं छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) संतोष कुमार तिवारी ने सौंपी थी. रिपोर्ट कुल 10 वॉल्यूम और 4184 पेज में तैयार की गई है. इधर, राज्यपाल को यह जांच रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद से ही प्रदेश में राजनीति गरमा गई है. सीएम भूपेश (CM Bhupesh Baghel) बघेल समेत पीसीसी चीफ मोहन (PCC Chief Mohan Markam) मरकाम ने रिपोर्ट सीधे राज्यपाल को सौंपे जाने पर सवाल खड़े किये हैं.

राज्यपाल को जांच रिपोर्ट सौंपने पर सियासी घमासान तेज

राज्य सरकार ने सिटिंग जज की अध्यक्षता में साल 2013 में जांच आयोग का गठन किया. जून 2021 में यह पत्र आया कि जांच आयोग को अंतिम मौका दिया गया. सितंबर महीने में जांच आयोग को और समय देने की बात सामने आई. इस बीच जस्टिस मिश्रा का ट्रांसफर हो गया. इस आयोग के सचिव की तरफ से बार-बार समय की मांग की जा रही थी, अब उसकी रिपोर्ट सौंपी गई है. अब तक सरकार ने सात या आठ जांच आयोग का गठन राज्य सरकार की तरफ से किया है. मान्य परिपाटी ये है कि जांच आयोग की रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी जाती है. फिर एक्शन टेकन रिपोर्ट के साथ इसे विधानसभा में पेश किया जाता है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ. इसको लेकर सीएम भूपेश बघेल ने ऐतराज जताया है.

सीएम ने उठाए सवाल-गुडसा उसेंडी से क्यों नहीं की गई पूछताछ?

एनआईए की जांच पर भी सीएम ने सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि कई बार हमने केंद्र से यह जांच वापस मांगी. इस केस में भारत सरकार किसको बचाना चाहती है. केंद्र सरकार से केस डायरी वापस मांगी, राज्य सरकार ने ही उसे NIA को दिया था और NIA जांच पूरी कर चुकी थी. कई बार पत्राचार के बाद गृह मंत्री के साथ कई बैठकों के बाद भी केंद्र सरकार ने केस वापस नहीं किया. हमें तो न्याय चाहिए. आप जांच नहीं कर सकते तो हमें जांच करने दीजिए. सीएम ने कहा कि खुद NIA कोर्ट ने कहा था कि सरेंडर के बाद आंध्र प्रदेश की जेल में बंद नक्सली नेता गुडसा उसेंडी का बयान लिया जाना चाहिए. उसके बाद भी NIA ने आज तक गुडसा उसेंडी से पूछताछ क्यों नहीं की?

झीरम घाटी मामले की जांच रिपोर्ट पर राजनीति गरमाई

इतना ही नहीं, सीएम भूपेश बघेल ने सवाल उठाया कि झीरम नक्सली हमले में केंद्रीय जांच ऐजेंसियों ने षड्यंत्र के पहलू पर जांच नहीं की. इससे पहले भी कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन का अपहरण हुआ. बाद में भी कई लोगों को नक्सलियों ने किडनैप किया. सरकार से बातचीत के बाद उन्हें छोड़ा गया. ऐसे में जब नंदकुमार पटेल और दिनेश पटेल को नक्सली पकड़कर ले गए तो उन्हें गोली क्यों मार दी गई?

3 महीने में सौंपनी थी रिपोर्ट, 8 साल लग गए : मोहन मरकाम

झीरम आयोग की रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपने पर पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने कहा कि जांच रिपोर्ट सरकार के बदले राज्यपाल को सौंपकर नियम का उल्लंघन किया गया है. यह राज्यपाल को सौंपना ठीक नहीं है. तीन महीने में रिपोर्ट सौंपनी थी, लेकिन इसे तैयार करने में 8 साल लग गए. इस रिपोर्ट में ऐसा क्या है, जिसे छिपाने का प्रयास किया जा रहा है. मरकाम ने कहा कि झीरम कांड देश का सबसे बड़ा राजनीतिक षड्यंत्र था. NIA की जांच भी संदिग्ध थी. विधानसभा में चर्चा के बाद कोई भी रिपोर्ट सार्वजनिक होती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है. उन्होंने कहा है कि राज्यपाल अविलंब पूरी रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजें.

झीरम घाटी मामले की जांच रिपोर्ट पर राजनीति गरमाई

राज्यपाल को रिपोर्ट सौंपना न्यायसंगत: अमित जोगी

इस पूरे मामले पर जनता कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने सत्ता पक्ष पर कड़ा प्रहार किया है. उन्होंने झीरम घाटी मामले की जांच रिपोर्ट सीधे राज्यपाल को सौंपे जाने को न्यायसंगत बताया है. जोगी ने ट्विट कर कहा है कि झीरम रिपोर्ट आंध्र प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश मान. श्री प्रशांत मिश्रा ने तैयार की है. छत्तीसगढ़ के इतिहास के अब तक के सबसे वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी होने के नाते उन्होंने संभवतः माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय कि अगर किसी जांच रिपोर्ट में राज्य सरकार के किसी मंत्री का उल्लेख आता है तो उसे मंत्रिमंडल के स्थान पर राष्ट्रपति अथवा राज्यपाल को सौंपना न्यायसंगत होगा का पालन करते हुए, अपनी रिपोर्ट महामहिम राज्यपाल को विधिवत सौंपी है. जोगी ने आगे कहा है कि विषय की संवेदनशीलता और संवैधानिकता को ध्यान में रखते हुए सभी को संयम और समझदारी बरतनी चाहिए.

सरकार सबूत छुपा रही या फिर सरकार के पास था सबूत था ही नहीं : विष्णुदेव साय

उधर, झीलम मामले पर सीएम भूपेश बघेल के बयान पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने पलटवार किया है. साय ने कहा है कि घटना की आयोग द्वारा जांच रिपोर्ट भी आ गई है. कांग्रेस को किस बात का डर है. न्यायिक जांच से बड़ी कोई जांच नहीं होती है. राज्यपाल भी सरकार का ही अंश हैं. सीएम विधानसभा में घटना के सबूत की बात करते थे, लेकिन आयोग को सबूत नहीं दे पाए. क्या सरकार सबूत छुपा रही है? या फिर सरकार के पास सबूत था ही नहीं?

राज्यपाल को रिपोर्ट सौंपे जाने पर इतना आग बबूला होने की जरूरत नहीं : धरमलाल

'झीरम घाटी नक्सली हमला' को लेकर राज्यपाल को सौंपी गई रिपोर्ट और इस पर कांग्रेस में खलबली के जवाब में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि इसमें इतना आग बबूला होने की जरूरत नहीं है. सरकार को इसमें इतना प्रश्न खड़ा करने की आवश्यकता नहीं है. और ना ही आग बबूला होने की जरूरत है. महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि उसमें है क्या और जिस प्रकार से कांग्रेस आग बबूला हो रही है शायद उनकी कुछ जानकारी में हो. मैं मांग करता हूं कि रिपोर्ट को सार्वजनिक प्रकाशित करना चाहिए कि कौन-कौन से महत्वपूर्ण बिंदु उसमें आए हैं? रिपोर्ट सार्वजनिक होनी चाहिए.

झीरम घाटी मामले की जांच रिपोर्ट पर राजनीति गरमाई

सरकार करती है आयोग का गठन, उसे ही रिपोर्ट जाना न्यायसंगत : इकबाल

इस पूरे मामले पर हमने रायपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता और राजनीतिज्ञ इकबाल अहमद रिजवी से बातचीत की. उन्होंने कहा कि इतिहास में मैंने कभी भी यह नहीं देखा कि किसी प्रकार के आयोग की रिपोर्ट को राज्यपाल को सौंपा गया हो. क्योंकि इसका गठन राज्य सरकार करती है. जो गठन करती है, उसको ही रिपोर्ट सौंपा जाना उचित और न्यायसंगत है. झीरम मामले में जो जांच रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपी गई है, उससे एक जबरदस्ती का विवाद उत्पन्न हो गया है. मैं नहीं समझता कि इस विवाद को भी राज्यपाल उचित समझेंगी.

झीरम घाटी मामले की जांच रिपोर्ट पर राजनीति गरमाई
क्या है झीरम घाटी नक्सली हमला मामला...

झीरम घाटी की घटना 25 मई 2013 को हुई थी. इस घटना की जांच के लिए आयोग का गठन 28 मई 2013 को किया गया था. उल्लेखनीय है कि बस्तर के झीरम घाटी में नक्सलियों ने तत्कालीन कांग्रेस विधायक नंदकुमार पटेल (Congress MLA Nandkumar Patel) के काफिले पर हमला किया था. इस हमले में नंदकुमार पटेल, महेन्द्र कर्मा सहित कांग्रेस की टॉप लीडरशिप आहत हुई थी. वे सभी शहीद हो गए थे. जबकि घटना में पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल (Former Union Minister Vidya Charan Shukla) गंभीर रूप से घायल हो गए थे, जिनका इलाज के दौरान बाद में निधन हो गया था.

अब तक के छत्तीसगढ़ के कुछ प्रमुख मामलों की जांच रिपोर्ट की स्थिति

  • 6 नवंबर 2021 : छत्तीसगढ़ के उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार संतोष कुमार तिवारी ने "झीरम घाटी" मामले की जांच रिपोर्ट राज्यपाल अनुसुईया उइके को सौंपी.
  • 11 सितंबर 2021 : छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले के एडसमेटा में हुई कथित मुठभेड़ मामले की न्यायिक जांच आखिरकार पूरी हो गई. जस्टिस वीके अग्रवाल कमेटी ने इसकी जांच रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी है.
  • 26 सितंबर 2019 : भिलाई की गोशालाओं में हुई गायों की मौत मामले की न्यायिक जांच में गोशाला संचालक और राज्य गोसेवा आयोग दोनों को कसूरवार ठहराया गया है. न्यायिक आयोग के अध्यक्ष एके सामंतरे ने छह बिंदुओं पर तैयार जांच प्रतिवेदन सरकार को सौंप दी है.
  • दिसंबर 2019 : बीजापुर जिले के बासागुड़ा स्थित सारकेगुड़ा गांव में 28 व 29 जून 2012 को सुरक्षा बलों की गोली से पहले दिन 16 और दूसरे दिन एक ग्रामीण की मौत हुई थी. इसकी जांच के लिए सरकार ने न्यायिक जांच आयोग गठित किया था. आयोग ने सात वर्ष बाद दिसंबर 2019 में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी है.
  • 05. साल 2019 : (मदनवाड़ा जांच आयोग) राजनांदगांव के मदनवाड़ा में 2009 में हुई घटना में राजनांदगांव के तत्कालीन एसपी वीके चौबे समेत 29 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे. घटना के करीब 10 वर्ष बाद 2019 में मौजूदा सरकार ने न्यायिक जांच आयोग का गठन किया. सरकार की राय में इस घटना से जुड़े कई सवाल अनसुलझे हैं. इस कारण आयोग को जांच सौंपी गई है.

इन मामलों में दिये गए थे न्यायिक जांच के आदेश

  • ताड़मेटला कांड 11 से 16 मार्च 2011.
  • चिंतलनार मुठभेड़ 12 अगस्त 2011.
  • एडसमेटा घटना 19 मई 2013.
  • झीरमघाटी हमला 28 मई 2013.
  • विधायक भीमा मंडावी की हत्या 09 अप्रैल 2019.

रायपुर : छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित झीरम घाटी नक्सली (The famous Jhiram Valley Naxalite attack) हमले की जांच रिपोर्ट (Jhiram Valley Naxalite Attack Investigation Report) आयोग ने राज्यपाल अनुसुईया (Governor Anusuiya Uikey) उइके को सौंप दी है. यह रिपोर्ट राज्यपाल को आयोग के सचिव एवं छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) संतोष कुमार तिवारी ने सौंपी थी. रिपोर्ट कुल 10 वॉल्यूम और 4184 पेज में तैयार की गई है. इधर, राज्यपाल को यह जांच रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद से ही प्रदेश में राजनीति गरमा गई है. सीएम भूपेश (CM Bhupesh Baghel) बघेल समेत पीसीसी चीफ मोहन (PCC Chief Mohan Markam) मरकाम ने रिपोर्ट सीधे राज्यपाल को सौंपे जाने पर सवाल खड़े किये हैं.

राज्यपाल को जांच रिपोर्ट सौंपने पर सियासी घमासान तेज

राज्य सरकार ने सिटिंग जज की अध्यक्षता में साल 2013 में जांच आयोग का गठन किया. जून 2021 में यह पत्र आया कि जांच आयोग को अंतिम मौका दिया गया. सितंबर महीने में जांच आयोग को और समय देने की बात सामने आई. इस बीच जस्टिस मिश्रा का ट्रांसफर हो गया. इस आयोग के सचिव की तरफ से बार-बार समय की मांग की जा रही थी, अब उसकी रिपोर्ट सौंपी गई है. अब तक सरकार ने सात या आठ जांच आयोग का गठन राज्य सरकार की तरफ से किया है. मान्य परिपाटी ये है कि जांच आयोग की रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी जाती है. फिर एक्शन टेकन रिपोर्ट के साथ इसे विधानसभा में पेश किया जाता है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ. इसको लेकर सीएम भूपेश बघेल ने ऐतराज जताया है.

सीएम ने उठाए सवाल-गुडसा उसेंडी से क्यों नहीं की गई पूछताछ?

एनआईए की जांच पर भी सीएम ने सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि कई बार हमने केंद्र से यह जांच वापस मांगी. इस केस में भारत सरकार किसको बचाना चाहती है. केंद्र सरकार से केस डायरी वापस मांगी, राज्य सरकार ने ही उसे NIA को दिया था और NIA जांच पूरी कर चुकी थी. कई बार पत्राचार के बाद गृह मंत्री के साथ कई बैठकों के बाद भी केंद्र सरकार ने केस वापस नहीं किया. हमें तो न्याय चाहिए. आप जांच नहीं कर सकते तो हमें जांच करने दीजिए. सीएम ने कहा कि खुद NIA कोर्ट ने कहा था कि सरेंडर के बाद आंध्र प्रदेश की जेल में बंद नक्सली नेता गुडसा उसेंडी का बयान लिया जाना चाहिए. उसके बाद भी NIA ने आज तक गुडसा उसेंडी से पूछताछ क्यों नहीं की?

झीरम घाटी मामले की जांच रिपोर्ट पर राजनीति गरमाई

इतना ही नहीं, सीएम भूपेश बघेल ने सवाल उठाया कि झीरम नक्सली हमले में केंद्रीय जांच ऐजेंसियों ने षड्यंत्र के पहलू पर जांच नहीं की. इससे पहले भी कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन का अपहरण हुआ. बाद में भी कई लोगों को नक्सलियों ने किडनैप किया. सरकार से बातचीत के बाद उन्हें छोड़ा गया. ऐसे में जब नंदकुमार पटेल और दिनेश पटेल को नक्सली पकड़कर ले गए तो उन्हें गोली क्यों मार दी गई?

3 महीने में सौंपनी थी रिपोर्ट, 8 साल लग गए : मोहन मरकाम

झीरम आयोग की रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपने पर पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने कहा कि जांच रिपोर्ट सरकार के बदले राज्यपाल को सौंपकर नियम का उल्लंघन किया गया है. यह राज्यपाल को सौंपना ठीक नहीं है. तीन महीने में रिपोर्ट सौंपनी थी, लेकिन इसे तैयार करने में 8 साल लग गए. इस रिपोर्ट में ऐसा क्या है, जिसे छिपाने का प्रयास किया जा रहा है. मरकाम ने कहा कि झीरम कांड देश का सबसे बड़ा राजनीतिक षड्यंत्र था. NIA की जांच भी संदिग्ध थी. विधानसभा में चर्चा के बाद कोई भी रिपोर्ट सार्वजनिक होती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है. उन्होंने कहा है कि राज्यपाल अविलंब पूरी रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजें.

झीरम घाटी मामले की जांच रिपोर्ट पर राजनीति गरमाई

राज्यपाल को रिपोर्ट सौंपना न्यायसंगत: अमित जोगी

इस पूरे मामले पर जनता कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने सत्ता पक्ष पर कड़ा प्रहार किया है. उन्होंने झीरम घाटी मामले की जांच रिपोर्ट सीधे राज्यपाल को सौंपे जाने को न्यायसंगत बताया है. जोगी ने ट्विट कर कहा है कि झीरम रिपोर्ट आंध्र प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश मान. श्री प्रशांत मिश्रा ने तैयार की है. छत्तीसगढ़ के इतिहास के अब तक के सबसे वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी होने के नाते उन्होंने संभवतः माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय कि अगर किसी जांच रिपोर्ट में राज्य सरकार के किसी मंत्री का उल्लेख आता है तो उसे मंत्रिमंडल के स्थान पर राष्ट्रपति अथवा राज्यपाल को सौंपना न्यायसंगत होगा का पालन करते हुए, अपनी रिपोर्ट महामहिम राज्यपाल को विधिवत सौंपी है. जोगी ने आगे कहा है कि विषय की संवेदनशीलता और संवैधानिकता को ध्यान में रखते हुए सभी को संयम और समझदारी बरतनी चाहिए.

सरकार सबूत छुपा रही या फिर सरकार के पास था सबूत था ही नहीं : विष्णुदेव साय

उधर, झीलम मामले पर सीएम भूपेश बघेल के बयान पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने पलटवार किया है. साय ने कहा है कि घटना की आयोग द्वारा जांच रिपोर्ट भी आ गई है. कांग्रेस को किस बात का डर है. न्यायिक जांच से बड़ी कोई जांच नहीं होती है. राज्यपाल भी सरकार का ही अंश हैं. सीएम विधानसभा में घटना के सबूत की बात करते थे, लेकिन आयोग को सबूत नहीं दे पाए. क्या सरकार सबूत छुपा रही है? या फिर सरकार के पास सबूत था ही नहीं?

राज्यपाल को रिपोर्ट सौंपे जाने पर इतना आग बबूला होने की जरूरत नहीं : धरमलाल

'झीरम घाटी नक्सली हमला' को लेकर राज्यपाल को सौंपी गई रिपोर्ट और इस पर कांग्रेस में खलबली के जवाब में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि इसमें इतना आग बबूला होने की जरूरत नहीं है. सरकार को इसमें इतना प्रश्न खड़ा करने की आवश्यकता नहीं है. और ना ही आग बबूला होने की जरूरत है. महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि उसमें है क्या और जिस प्रकार से कांग्रेस आग बबूला हो रही है शायद उनकी कुछ जानकारी में हो. मैं मांग करता हूं कि रिपोर्ट को सार्वजनिक प्रकाशित करना चाहिए कि कौन-कौन से महत्वपूर्ण बिंदु उसमें आए हैं? रिपोर्ट सार्वजनिक होनी चाहिए.

झीरम घाटी मामले की जांच रिपोर्ट पर राजनीति गरमाई

सरकार करती है आयोग का गठन, उसे ही रिपोर्ट जाना न्यायसंगत : इकबाल

इस पूरे मामले पर हमने रायपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता और राजनीतिज्ञ इकबाल अहमद रिजवी से बातचीत की. उन्होंने कहा कि इतिहास में मैंने कभी भी यह नहीं देखा कि किसी प्रकार के आयोग की रिपोर्ट को राज्यपाल को सौंपा गया हो. क्योंकि इसका गठन राज्य सरकार करती है. जो गठन करती है, उसको ही रिपोर्ट सौंपा जाना उचित और न्यायसंगत है. झीरम मामले में जो जांच रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपी गई है, उससे एक जबरदस्ती का विवाद उत्पन्न हो गया है. मैं नहीं समझता कि इस विवाद को भी राज्यपाल उचित समझेंगी.

झीरम घाटी मामले की जांच रिपोर्ट पर राजनीति गरमाई
क्या है झीरम घाटी नक्सली हमला मामला...

झीरम घाटी की घटना 25 मई 2013 को हुई थी. इस घटना की जांच के लिए आयोग का गठन 28 मई 2013 को किया गया था. उल्लेखनीय है कि बस्तर के झीरम घाटी में नक्सलियों ने तत्कालीन कांग्रेस विधायक नंदकुमार पटेल (Congress MLA Nandkumar Patel) के काफिले पर हमला किया था. इस हमले में नंदकुमार पटेल, महेन्द्र कर्मा सहित कांग्रेस की टॉप लीडरशिप आहत हुई थी. वे सभी शहीद हो गए थे. जबकि घटना में पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल (Former Union Minister Vidya Charan Shukla) गंभीर रूप से घायल हो गए थे, जिनका इलाज के दौरान बाद में निधन हो गया था.

अब तक के छत्तीसगढ़ के कुछ प्रमुख मामलों की जांच रिपोर्ट की स्थिति

  • 6 नवंबर 2021 : छत्तीसगढ़ के उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार संतोष कुमार तिवारी ने "झीरम घाटी" मामले की जांच रिपोर्ट राज्यपाल अनुसुईया उइके को सौंपी.
  • 11 सितंबर 2021 : छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले के एडसमेटा में हुई कथित मुठभेड़ मामले की न्यायिक जांच आखिरकार पूरी हो गई. जस्टिस वीके अग्रवाल कमेटी ने इसकी जांच रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी है.
  • 26 सितंबर 2019 : भिलाई की गोशालाओं में हुई गायों की मौत मामले की न्यायिक जांच में गोशाला संचालक और राज्य गोसेवा आयोग दोनों को कसूरवार ठहराया गया है. न्यायिक आयोग के अध्यक्ष एके सामंतरे ने छह बिंदुओं पर तैयार जांच प्रतिवेदन सरकार को सौंप दी है.
  • दिसंबर 2019 : बीजापुर जिले के बासागुड़ा स्थित सारकेगुड़ा गांव में 28 व 29 जून 2012 को सुरक्षा बलों की गोली से पहले दिन 16 और दूसरे दिन एक ग्रामीण की मौत हुई थी. इसकी जांच के लिए सरकार ने न्यायिक जांच आयोग गठित किया था. आयोग ने सात वर्ष बाद दिसंबर 2019 में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी है.
  • 05. साल 2019 : (मदनवाड़ा जांच आयोग) राजनांदगांव के मदनवाड़ा में 2009 में हुई घटना में राजनांदगांव के तत्कालीन एसपी वीके चौबे समेत 29 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे. घटना के करीब 10 वर्ष बाद 2019 में मौजूदा सरकार ने न्यायिक जांच आयोग का गठन किया. सरकार की राय में इस घटना से जुड़े कई सवाल अनसुलझे हैं. इस कारण आयोग को जांच सौंपी गई है.

इन मामलों में दिये गए थे न्यायिक जांच के आदेश

  • ताड़मेटला कांड 11 से 16 मार्च 2011.
  • चिंतलनार मुठभेड़ 12 अगस्त 2011.
  • एडसमेटा घटना 19 मई 2013.
  • झीरमघाटी हमला 28 मई 2013.
  • विधायक भीमा मंडावी की हत्या 09 अप्रैल 2019.
Last Updated : Nov 8, 2021, 9:40 PM IST
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