रायपुरः डीएमएफ याने जिला खनिज फाउंडेशन (District Mineral Foundation) का प्रमुख कौन होगा, इसको लेकर एक बार फिर सियासत गर्म हो गई है. गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से केंद्र से आग्रह किया गया था कि डीएमएफ अध्यक्ष जिला के प्रभारी मंत्री को बना दिया जाए. जबकि केंद्र सरकार कलेक्टर को ही इस फाउंडेशन का कर्ता-धर्ता बनाए रखना चाहती है. केंद्र ने हाल ही में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अनुरोध को मानने से इनकार कर दिया है. अब इसको लेकर बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है.
छत्तीसगढ़ कांग्रेस का कहना है कि केंद्र सरकार ऐसा करके लोकतंत्र का अपमान कर रही है, क्योंकि चुने हुए जनप्रतिनिधि को इस महत्वपूर्ण फाउंडेशन की जिम्मेदारी न देकर एक कलेक्टर को देना जनप्रतिनिधि का अपमान होगा. साथ ही कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ सरकार को परेशान करने के लिए जान-बूझकर केंद्र सरकार द्वारा इस व्यवस्था को लागू करने का आरोप लगाया है. कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि डीएमएफ को लेकर केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा लिया गया निर्णय आपत्तिजनक और अलोकतांत्रिक है. प्रजातांत्रिक व्यवस्था में जनता द्वारा चुनी हुई सरकार और जनप्रतिनिधि सर्वोपरि है, लेकिन केंद्र की सरकार चाहती है कि कलेक्टर की अध्यक्षता में डीएमएफ फंड की कमेटी बने और मंत्री उसके सदस्य हों. यह सीधे-सीधे जनप्रतिनिधियों का अपमान करने के समान है. केंद्र ने हठधर्मिता में यह निर्णय लिया है. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है, इस कारण सरकार के प्रस्ताव का विरोध किया है.
भाजपा का पलटवार कांग्रेसी नेताओं का एटीएम बन गया था डीएमएफ
कांग्रेस के इस आरोप पर भाजपा ने पलटवार किया है. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता गौरी शंकर श्रीवास का कहना है डीएमएफ फंड का मतलब कांग्रेस के मंत्री विधायक और नेता का एटीएम कार्ड है. डीएमएफ फंड का उपयोग कहीं न कहीं भ्रष्टाचार करने और अपनी जेब भरने के लिए किया है. डीएमएफ फंड के माध्यम से कांग्रेस ने कोई भी विकास काम नहीं किया है, अपनी जेबें जरूर भरी हैं. इसलिए केंद्र के निर्णय के बाद कांग्रेसी नेताओं की बेचैनी बढ़ गई है. अगर पुराने ढाई साल के डीएमएफ फंड से किये गए कार्यों की जांच की जाए तो बहुत बड़ा घोटाला सामने आ सकता है. कई लोगों को जेल भी जाना पड़ सकता है, इसलिए कांग्रेस सरकार इसका विरोध कर रही है.
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डीएमएफ पर नहीं होनी चाहिए राजनीति
इधर, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्य सचिव सुयोग्य मिश्र का कहना है कि जिले की सभी योजनाओं के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी कलेक्टर के हाथों में होती है, ऐसे में यदि डीएमएफ की जिम्मेदारी कलेक्टर को दी जाती है तो वह ज्यादा बेहतर तरीके से विकास की योजनाओं का क्रियान्वयन कर सकते हैं. ऐसे में इसपर राजनीति नहीं होनी चाहिए.
केंद्र ने 23 अप्रैल 2021 को जारी किया था आदेश
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार आने के बाद कलेक्टर के स्थान पर जिले के प्रभारी मंत्रियों को डीएमएफ का अध्यक्ष बना दिया गया था. इस पर केंद्र सरकार ने 23 अप्रैल 2021 को एक आदेश जारी कर फिर से कलेक्टर को ही डीएमएफ का अध्यक्ष बनाए जाने का आदेश दिया. इसी आदेश के बाद मुख्यमंत्री बघेल ने केंद्रीय कोयला एवं खनन मंत्री को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि डीएमएफ के शासकीय परिषद के अध्यक्ष के रूप में प्रभारी मंत्री को ही जिम्मेदारी सौंपने की अनुमति दी जाए. लेकिन केंद्रीय मंत्री ने इस आग्रह को खारिज कर दिया है. साथ ही 23 अप्रैल के आदेश को जल्द से जल्द लागू करने के निर्देश दिये हैं.